- रॉन्ग साइट ड्राइविंग और मोबाइल पर बात करने के चलते सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट में होती हैं मौतें

LUCKNOW:

शॉटकर्ट के चलते रॉन्ग साइट ड्राइविंग न केवल खुद की सेहत के लिए हानिकारक है बल्कि दूसरों की जिंदगी को भी खतरे में डाल रही है। लखनऊ में पिछले वर्ष गलत दिशा में गाड़ी चलाने की वजह से 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।

मिठाई वाला चौराहा

आए दिन होते हैं हादसे

पॉलीटेक्निक चौराहे से लोहिया पथ पर आने वाली रोड पर गोमती नगर स्थित मिठाई वाला चौराहे पर एक कट पड़ता है। जहां हर दिन तीन सौ से ज्यादा लोग रॉन्ग साइट ड्राइविंग करते हैं। जिसमें सभी तरह के वाहन शामिल हैं। मिठाई वाला चौराहे की तरफ से आने वाली गाडि़यां लोहिया पथ की तरफ जाती हैं। दोनों तरफ से वाहन आने के कारण यहां काफी एक्सीडेंट होते हैं। पिछले दो साल में यहां तीन दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।

निशातगंज ओवर ब्रिज

रॉन्ग साइड से जाते हैं निशातगंज

भैंसाकुंड से निशातगंज जाने वाले लोग सिकंदरबाग से घूम कर जाने की जगह रॉन्ग साइट निशातगंज ओवरब्रिज की तरफ जाते हैं। इस रूट पर निशातगंज से सिकंदरबाग की तरह ट्रैफिक आता है। जिसके चलते महानगर गोमती रिवरफ्रंट से आने वाले ट्रैफिक और निशातगंज से आने वाले ट्रैफिक का प्रेशर तिराहे पर पड़ता है और रॉन्ग साइट आने वाले लोग हादसों का कारण बनते हैं।

रॉन्ग साइड चलने पर सर्वाधिक हादसे

यूपी पुलिस के ट्रैफिकडायरेक्टर के कराए सर्वे में सामने आया है कि लखनऊ में सड़क हादसे की दूसरी सबसे बड़ी वजह गलत दिशा में गाड़ी चलाना है। राजधानी में बीते एक साल में 251 सड़क हादसे हुए हैं। जिसमें 105 हादसे रॉन्ग साइड ड्राइविंग के कारण हुए हैं। इन हादसों में होने वाली सर्वाधिक मौतें हाईवे पर हुई हैं।

इन इलाकों में ज्यादा हादसे

- चिनहट

- इंदिरा नगर

- पॉलीटेक्निक

- गोमती नगर

- मिठाई वाला चौराहा

- निशातगंज ओवरब्रिज

- जियामऊ

- लालबाग

- नाका हिंडोला

- कैसरबाग

ये हैं खतरनाक जगहें

- समता मूलक चौराहा

- कृष्णा नगर, पिकैडली होटल के पास

- इंजीनियरिंग कॉलेज, सीतापुर रोड

- अमौसी एयरपोर्ट के पास

- अहिमामऊ सुल्तानपुर रोड

-बालू अड्डा चौराहा

-भैंसा कुंड चौराहा, निशातगंज की तरफ

मोबाइल भी बन रहा एक कारण

गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करना भी हादसों का कारण बन रहा है। करीब 40 फीसद एक्सीडेंट इन दिनों इसी कारण हो रहे हैं। इन हादसों में घायल होने वालों में पुरुषों की संख्या 99 फीसद है। यह खुलासा केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के रिसर्च में हुआ है।

18 से 49 साल वाले ज्यादा

केजीएमयू के इस रिसर्च में 18 से 49 साल के 900 घायलों को शामिल किया गया। इन लोगों ने अस्पताल में डॉक्टरों को बताया कि वे हादसे के दौरान मोबाइल पर बात कर रहे थे। इस सर्वे में बेहोश और अति गंभीर लोगों को शामिल नहीं किया गया है। इनमें से करीब 10 फीसद ऐसे हैं, जिन्होंने बताया कि हादसे के दौरान वे वाट्सएप पर मैसेज भेज रहे थे। वहीं करीब 11 फीसद लोग ऐसे थे जो पैदल चलने के दौरान वाट्सएप देख रहे थे और हादसे का शिकार हो गए। राजधानी में सड़क हादसों का शिकार होने वाले करीब तीन फीसद लोग ऐसे होते हैं, जो नशे में गाड़ी चलाने वालों के चलते अस्पताल पहुंच रहे हैं।

क्या कहती है विश्वबैंक की रिपोर्ट

- दुनिया में रोड एक्सीडेंट से होने वाली मौतों का 11 फीसद इंडिया में

- साढ़े चार लाख रोड एक्सीडेंट हर साल होते हैं इंडिया में

- इंडिया मं हर घंटे करीब 53 रोड एक्सीडेंट होते हैं

- हर चार मिनट में रोड एक्सीडेंट में एक की जा रही है जान

- पिछले 10 सालों में भारत में 13 लाख लोगों की एक्सीडेंट में गई जान

- 50 लाख से अधिक घायल हुए पिछले 10 वर्षो के दौरान

आर्थिक नुकसान भी हो रहा है

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार हर साल देश में सड़क हादसों के कारण 1,47,114 करोड़ रुपये की सामाजिक व आर्थिक क्षति होती है। जो जीडीपी के 0.77 प्रतिशत के बराबर है। मंत्रालय के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं का शिकार लोगों में 76.2 प्रतिशत ऐसे हैं। जिनकी उम्र 18 से 45 साल के के बीच है।