लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां शहर को स्वच्छ रखने के लिए अलग-अलग योजनाएं चल रही हैैं, वहीं दूसरी तरफ आलम यह है कि कार्यदायी संस्थाओं की ओर से खेल किया जा रहा है। आलम यह है कि कागजों में तो शत प्रतिशत कर्मचारी दिखाए जा रहे हैैं, लेकिन फील्ड से ज्यादातर कर्मचारी लापता मिल रहे हैं। जिससे सफाई व्यवस्था डिरेल होती नजर आ रही है। शहर सरकार की ओर से लापरवाह संस्थाओं के खिलाफ जुर्माना संबंधी कार्रवाई तो की जा रही है लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

केस 1

सआदतगंज वार्ड के शीला गार्डेन, सोनापुरम, कनक सिटी, सुमैया विहार, केतन विहार चित्रांश स्कूल के पास इत्यादि क्षेत्रों में मेयर ने सफाई कार्य का औचक निरीक्षण किया था। यहां मास्टर रोल में तो 50 से अधिक कर्मचारी दर्ज थे लेकिन मौके पर एक भी कर्मचारी नहीं मिला।

केस 2

जोन-5 के गुरुनानक नगर वार्ड के प्रेमनगर, पूरननगर, गुप्ता मार्केट, सरदारी खेड़ा, विशेश्वर नगर, जोधा खेड़ा में भी 11 परमानेंट और 10 संविदा सफाई कर्मचारी तैनात हैं, जिसमें से 10 गायब मिले। मेयर ने मास्टर रोल तलब किया, तो 10 कर्मचारियों की अनुपस्थिति दर्ज थी और एक परमानेंट कर्मचारी छुट्टी पर था।

परमानेंट कर्मचारियों पर पड़ रहा बोझ

कार्यदायी संस्थाओं की लापरवाही के कारण परमानेंट कर्मचारियों पर बोझ पड़ रहा है। बता दें कि किसी भी वार्ड में सफाई के लिए कार्यदायी संस्थाओं और निगम के परमानेंट कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। निगम के परमानेंट सफाई कर्मी तो अपनी जिम्मेदारी बाखूबी निभा रहे हैैं लेकिन ज्यादातर कार्यदायी संस्थाओं के कर्मचारी लापरवाही बरत रहे हैैं।

इस तरह होता खेल

अभी तक जो मामले सामने आए हैैं, उससे साफ है कि मास्टर रोल में तो सफाई कर्मियों की शत प्रतिशत संख्या दिखाई जाती है लेकिन मौके पर पूरे सफाई कर्मी नहीं मिलते हैैं। हालांकि राहत की बात यह है कि अभी तक भुगतान संबंधी निर्णय नहीं लिया गया है। विधिवत जांच के बाद ही भुगतान किया जाएगा।

जुर्माने का असर नहीं

निरीक्षण के दौरान जिन कार्यदायी संस्थाओं की लापरवाही सामने आती है, उन पर एक से दो लाख तक का जुर्माना लगाया जा रहा है। इसके बावजूद स्थिति में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। आए दिन संस्थाओं की लापरवाही सामने आ रही है।

योजनाएं भी कागजों में सिमटी

1- स्मार्ट वॉच

निगम प्रशासन की ओर से सफाई कर्मियों को स्मार्ट वॉच दी गई। पहले तो इसका असर दिखा लेकिन बाद में यह सिर्फ शोपीस बनकर रह गई।

2- आईकार्ड

कई बार सफाई कर्मियों को आईकार्ड दिए जाने की योजना बनाई गई लेकिन अभी तक शत प्रतिशत कर्मचारियों को आईकार्ड नहीं दिए जा सके हैैं।

3- वाट्सएप पर फोटो

पहले व्यवस्था लागू हुई कि निगम के अधिकारी फील्ड में जाकर औचक निरीक्षण करेंगे और सफाई कर्मियों की उपस्थिति चेक करके वाट्सएप पर फोटो भेजेंगे। फिलहाल यह योजना बंद है।

4- लोकेशन ट्रैकिंग

योजना बनाई गई थी कि कमांड सेंटर से सफाई कर्मियों की लोकेशन ट्रैकिंग की जाएगी। हालांकि यह योजना भी रफ्तार नहीं पकड़ सकी।

सफाई कर्मियों की उपस्थिति को चेक करने के लिए जो भी योजनाएं बनाई गई थीं, उन्हें फिर से लागू किया जाएगा। इसके साथ ही औचक निरीक्षण कर उपस्थिति चेक की जाएगी।

-संयुक्ता भाटिया, मेयर