फ्लैग- निजी लैब में हो रहे एंटीबॉडी टेस्ट का कोई फायदा नहीं

- एंटीबॉडी की सही जानकारी के लिए केजीएमयू में ही कराएं टेस्ट

- निजी लैब में हजारों रुपए टेस्ट के लिए लिए जा रहे, केजीएमयू में जांच फ्री

LUCKNOW: कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप धीरे धीरे कम हो रहा है और इस दौरान कोरोना संक्रमण से जो लोग ठीक हो चुके हैं वे एंटीबॉडी लेवल चेक कराने के लिए अपनी जांच करा रहे हैं। कई प्राइवेट लैब में कोरोना के नाम पर एंटीबॉडी की भी जांच की जा रही है और इसके लिए लोगों से ढाई हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं। इनमें से बहुत से लोग जब प्लाज्मा डोनेट करने अस्पताल पहुंचते हैं तो पता चलता है, उनका एंटीबॉडी लेवल सही नहीं है। वहीं डॉक्टर्स का कहना है कि बिना वजह एंटीबॉडी टेस्ट नहीं कराना चाहिए और इसके महंगे टेस्ट से बचना चाहिए।

कोई फायदा नहीं है

केजीएमयू की ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की एचओडी प्रो। तूलिका चंद्रा ने बताया कि कोरोना संक्रमण पता करने के लिए तीन टेस्ट आरटीपीसीआर, रैपिड एंटीजन और ट्नेट ही सही हैं। उसी तरह एंटीबॉडी टेस्ट कराने के लिए स्पेशल टाइटर किट आती है। लोग बिना वजह निजी लैब से एंटीबॉडी टेस्ट कराने के लिए हजारों की फीस भर रहे हैं। ऐसे में लोग पैसे देकर एंटीबॉडी टेस्ट न कराएं। आज की डेट में जो टाइटर वाली किट यूज कर रहे हैं वो सिर्फ केजीएमयू के पास है। जबकि दूसरे केवल अनुमानित एंटीबॉडी पता लगाने वाला टेस्ट कर रहे हैं।

नई किट आ चुकी है

प्रो। तूलिका चंद्रा ने बताया कि एंटीबॉडी लेवल चेक करने के लिए अच्छी किट जा चुकी है, जिसका हमारे यहां यूज किया जा रहा है। प्राइवेट लैब अपनी रिपोर्ट में ये नहीं बता रहे हैं कि वे किस प्लेटफॉर्म का यूज कर रहे हैं। इससे मरीज कन्फ्यूज हो रहे हैं। इसलिए हमारी लोगों से अपील है कि वे अगर केजीएमयू में प्लाज्मा डोनेट करने आना चाहते हैं तो वे यहीं आकर अपना एंटीबॉडी टेस्ट कराएं। इसके लिए उन्हें कोई फीस भी नहीं देनी है। यहां की रिपोर्ट में एंटीबॉडी की परफेक्ट जानकारी मिलती है।

बाकी जांच अनुमानित

डॉ। तूलिका ने बताया कि एंटीबॉडी टेस्ट किट से किया जाता है। एक कंपनी की टाइटर किट आई है। कोई दूसरी कंपनी ऐसी किट नहीं बनाती है। हम जो टेस्ट करते हैं उसकी रिपोर्ट में लिखा होता है कि कौन सी किट से टेस्ट किया गया है। वहीं अन्य किट की जांच सिर्फ अनुमानित होती है और उनका लेवल भी अलग-अलग होता है और हर किट की अपनी कटऑफ होती है।

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जांच में भी अंतर

प्रो। तूलिका चंद्रा ने बताया कि एंटीबॉडी जांच में दो चीजें क्वॉलिटेटिव और क्वांटिटेटिव होती हैं। क्वांटिटेटिव से पता चलता है कि शरीर में एंटीबॉडी की कितनी क्वॉन्टिटी है। वहीं क्वॉलिटेटिव से पता चलता है कि शरीर में एंटीबॉडी हैं भी कि नहीं। केजीएमयू में क्वांटिटेटिव किट यूज की जाती है।

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क्यों बनाएं दूरी

- निजी लैब पुरानी किट से जांच कर रही हैं

- जांच में एंटीबॉडी का सही लेवल नहीं पता चलता है

- टाइटर किट से निजी लैब में नहीं होती है जांच

- क्वॉलिटी नहीं क्वॉन्टिटी जानना जरूरी

कोट

प्राइवेट लैब में एंटीबॉडी टेस्ट कराने से बचना चाहिए। हमारे यहां लेटेस्ट किट से टेस्ट किया जाता है। जो लोग प्लाज्मा डोनेट करना चाहते हैं वे हमारे यहां आकर टेस्ट कराएं।

प्रो। तूलिका चंद्रा