- रोजाना दर्जनों मरीज बाहर से एमआरआई कराने को मजबूर

- टेंडर में मशीन की लंबी वेटिंग होने की वजह से हो रही परेशानी

LUCKNOW: बलरामपुर हॉस्पिटल में मरीज आज भी एमआरआई के लिए भटक रहे हैं जबकि एमआरआई बिल्डिंग का शिलान्यास करीब 20 माह पहले ही हो चुका है। वहीं एक मंजिला भवन भी बनकर तैयार हो गया है। इसके बावजूद मरीज प्राइवेट लैब जाने को मजबूर हैं। जानकारों की मानें तो शासन स्तर पर मशीन का टेंडर हो चुका है, लेकिन लंबी वेटिंग की वजह से अस्पताल को अब तक मशीन नहीं मिल सकी है।

टेंडर में अटकी मशीन

फरवरी 2019 में सीएम ने बलरामपुर अस्पताल के 150वें स्थापना दिवस पर एमआरआई भवन का शिलान्यास किया था। कुछ महीनों बाद एक मंजिला भवन तैयार भी हो गया, लेकिन मशीन अब तक नहीं लगी है। अस्पताल के निदेशक डॉ। राजीव लोचन का कहना है कि बिल्डिंग और एमआरआई मशीन का शासन स्तर पर टेंडर हो चुका है, लेकिन मशीन देने की लिस्ट में अस्पताल 23वें स्थान पर है। इसकी वजह से देरी हो रही है।

ट्रेनिंग भी हो चुकी है

बलरामपुर के निदेशक ने बताया कि एमआरआई मशीन चलाने के लिए हॉस्पिटल के तीन एक्सरे टेक्नीशियन को लोहिया संस्थान में तीन महीने की ट्रेनिंग भी कराई जा चुकी है। उनकी ट्रेनिंग को आठ माह से ज्यादा का समय बीत चुका है। वहीं रोज करीब 20-25 मरीजों को एमआरआई जांच कराने की जरूरत होती है, लेकिन सुविधा न होने की वजह से मरीजों को निजी पैथोलॉजी भेजा जाता है। मरीज को एमआरआई कराने में कम से कम 5 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं।