लखनऊ (ब्यूरो)। रमजान का तीसरा अशरा शुरू होते ही बाजार में ईद की रौनक बढ़ गई है। कपड़ा खरीदारी से लेकर खाने में सेवईं व ड्राई फ्रूट्स का कारोबार भी फलने-फूलने लगा है। बाजार में लखनवी किमामी के अलावा बनारस की सेवईं की दुकानें सज गई हैं। कारोबारियों का कहना है कि दुकानों में खरीदारों की भीड़ बढ़ रही है, लेकिन असली खरीदारी 25वें रोजे के बाद होगी। वहीं, सेवईं कारोबारियों का कहना है कि बीते साल की तुलना में कारोबार में कमी दिख रही है जिसके ईद तक उठने की उम्मीद है।

बनारसी सेवईं की सबसे ज्यादा मांग

डंडइया बाजार में सेवईं दुकानदार अब्दुल रहीम ने बताया कि 20वें रोजे के बाद खरीदार बढ़े हैं। रोजाना 20 से ऊपर खरीदार आ रहे हैं, जिनकी संख्या पहले 10 तक होती थी। हालांकि, मेन खरीदारी 25 रोजों के बाद ही बढ़ेगी। खरीदार बनारसी सेवईं की मांग कर रहे हैं। यह महीन होती है और हमारे यहां प्रयागराज और लखनऊ से आई है। इसके अलावा लखनवी सेवईं को भी लोग काफी पसंद करते हैं। दुकान में महीन, मोटी, भुनी और कच्ची सेवईं मौजूद है।

कितने में मिल रही सेवईं

90 रुपये प्रति किलो में महीन सेवईं

80 रुपये प्रति किलो में मोटी सेवईं

80 रुपये प्रति किलो में कच्ची सेवईं

140 रुपये प्रति किलो में बनारसी सेवईं

इस साल घटी है डिमांड

बालागंज में सेवईं कारोबारी डॉ। नसीम का कहना है कि लखनऊ में ईद से लेकर रक्षाबंधन तक सेवईं का काम होता है। ईद में लच्छे के अलावा लखनवी और बनारसी सेवईं की सबसे ज्यादा मांग होती है, पर इस साल महंगाई के कारण डिमांड पर असर पड़ा है। पहले जो लोग 10 से 15 केजी तक का ऑर्डर देकर जाते थे, उन्होंने इस बार 5 किलो या 2 किलो का ऑर्डर दिया है। इससे कारोबार पर काफी असर पड़ा है।

बनारस और इलाहाबाद से होती है आवक

सेवईं कारोबारी मोहम्मद उनैस ने बताया कि पूरे हिंदुस्तान में मीडियम सेवईं की सबसे ज्यादा डिमांड लखनऊ में होती है। यह सेवईं यही बनती है और यहां से ही बाहर भेजी जाती है। वही, बनारसी सेवईं की आवक बनारस और इलाहाबाद से होती है, जिसे लोग भी काफी पसंद करते हैं। इसमें बनारसी महीन सेवईं, बनारसी डिब्बे वाली सेवईं, बनारसी 00 सेवईं भी आती है।

कलकत्ता में होती थी सबसे ज्यादा सप्लाई

डॉ। नसीम का कहना है कि लखनऊ की सेवईं सबसे ज्यादा कलकत्ता जाती है। हालांकि, वहां भी फैक्ट्री खुलने से डिमांड कम हुई है, लेकिन सबसे ज्यादा लखनवी व बनारसी सेवईं कलकत्ता ही भेजी जाती है। इसके अलावा कानपुर और आसपास के जिलों में ही सेवईं की सप्लाई बची है।

मैदा के दाम एकदम घटने-बढऩे से दिक्कत

कारोबारी आसिफ का कहना है कि सेवर्ईं का कारोबार सीजनल होता है। ईद के तीन महीने पहले से ही कारोबारी मैदा खरीदकर इसका काम शुरू कर देते हैं। ऐसे में इस साल उस दौरान मैदा के दाम बहुत ज्यादा थे। कारोबारियों ने उसी दाम में खरीदकर काम किया। अब मैदा के दाम घट गए हैं और दुकानदार और ग्राहक घटे हुए दामों पर ही सेवईं खरीद रहे हैं। इससे शुरू में थोड़ा घाटा देखने को मिला है, हम लोग उम्मीद कर रहे हैं कि ईद तक कारोबार में इजाफा देखने को मिलेगा।