- राजधानी के कई बैंकों की शाखाओं में आग से लड़ने के इंतजाम नहीं
LUCKNOW:
राजधानी में विभिन्न बैंकों की करीब 620 ब्रांचें हैं, जिनमें करीब 60 फीसद में ग्राहकों एवं उनकी संपत्ति की सुरक्षा भगवान भरोसे है। इनमें कई ब्रांचों में आग से निपटने के कोई इंतजाम नहीं है। संडे को गंज के पीएनबी की एक शाखा में आग लगने से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जल गए। गौरतलब है कि इससे पहले भी राजधानी के कई बैंकों की शाखाओं में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं।
सामने आई थीं लापरवाहियां
करीब चार माह पहले तत्कालीन ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर नवीन अरोड़ा ने सभी जोन में बैंकों में चेकिंग अभियान चलाया था। जिसमें कई बैंकों में लापरवाहियां सामने आई थीं। इनमें से कई में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं मिला था। उन्होंने बैंक मैनेजरों से सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट सौंपने को कहा था। हालांकि ज्यादातर बैंकों ने आज तक रिपोर्ट नहीं दी है।
ये मांगी गई थी जानकारी
- बैंकों की सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट
- सीसीटीवी कैमरों का फीड
- स्मोक अलार्म, फायर अलार्म की कार्यशीलता
-कर्मचारियों को आग बुझाने की जानकारी
- हेडक्वार्टर एवं पुलिस थानों से हॉटलाइन कनेक्टिविटी
शार्ट सर्किट से अधिक हादसे
अभी तक जिन भी बैंकों में आग लगने की बात समने आई है, उनमें से लगभग सभी में इसका कारण शार्ट सर्किट सामने आया है। बैंकों के सर्वर पर लोड अधिक होने के कारण शार्ट सर्किट का खतरा रहता है।
किस जोन में कितने बैंक शाखा
जोन बैंक
पूर्वी 170
उत्तरी 147
पश्चिमी 95
मध्य 154
दक्षिणी 54
पहले हुए हादसे
डेट- 20 सितंबर 2020
बैंक- बैंक ऑफ इंडिया, इंदिरा नगर सी ब्लॉक
भीषण आग पर फायर ब्रिगेड के जवानों ने कई घंटे की मशक्कत के बाद काबू पाया। आग लगने का कारण आज तक पता नहीं चला है।
डेट- 11 जून 2019
बैंक- इंडियन ओवरसीज बैंक, अलीगंज
चंद्रलोक कॉलोनी के पास इंडियन ओवरसीज बैंक की शाखा में लगी आग। किसी तरह आग पर काबू पाया गया। फर्नीचर, कंप्यूटर, एसी आदि जल गए।
डेट- 7 जुलाई 2018
बैंक- एसबीआई, हजरतगंज
एसबीआई के मुख्य शाखा परिसर में नौवें तल पर लगी आग। शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका। दमकल की दो गाडि़यों ने पाया काबू।
डेट- 3 नवंबर 2015
बैंक- बैंक ऑफ बाड़ौदा, गोमतीनगर, हुसडि़या चौराहा
यूपीएस और बैटरी रूम में लगी आग। दो घंटे लगे आग पर काबू पाने में। बैंक का काफी सामान और महत्वपूर्ण दस्तावेज जलकर राख।
बैंकों में हर तीन माह में सुरक्षा ऑडिट होता है, जिसकी रिपोर्ट बैंकों को फायर डिपार्टमेंट को देनी होती है। यहां कई बैंकों में न फायर फाइटिंग सिस्टम हैं और ना ही आग से लड़ने के संसाधन।
विजय कुमार सिंह, चीफ फायर अफसर