- मथुरा में बिना आवेदन बांट दी बेसिक टीचर की नौकरी

- यूपी एसटीएफ ने किया खुलासा, तत्कालीन बीएसए फरार

- एडीजी लॉ एंड ऑर्डर का बयान, अन्य जिलों में भी होगी जांच

फर्जीवाड़े के जरिए नौकरी पाए
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LUCKNOW : मथुरा में जालसाजों ने बिना आवेदन 150 बेसिक टीचर की नौकरी बांट डालीं। फर्जीवाड़े के जरिए नौकरी पाए टीचरों ने ज्वाइन भी कर लिया और छह महीनों से ड्यूटी भी कर रहे थे। पर, इसी बीच यूपी एसटीएफ को मिली गुमनाम शिकायत पर जांच शुरू हुई तो इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। पता चला पूरे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड बीएसए दफ्तर में जूनियर क्लर्क महेश शर्मा है। जिसने तत्कालीन बीएसए से मिलीभगत कर यह फर्जीवाड़ा अंजाम दिया। वर्तमान बीएसए की भी भूमिका पूरे मामले में संदिग्ध मिली। जिसके बाद एसटीएफ टीम ने आरोपी महेश, दो कंप्यूटर ऑपरेटरों व 13 टीचरों को अरेस्ट कर लिया। जबकि, तत्कालीन बीएसए संजीव कुमार सिंह की एसटीएफ तलाश कर रही है। टीम ने आरोपियों के कब्जे से चार लाख रुपये, कंप्यूटर सिस्टम, पांच मोबाइल फोन, फर्जी नियुक्ति पत्र व अन्य दस्तावेज बरामद किये हैं।

मेरिट सूची में नाम नहीं और बना दिया टीचर
एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह ने बताया कि वर्ष 2016-17 शासन ने प्रदेश में टीचरों की कमी के चलते बेसिक शिक्षा विभाग में 27 हजार टीचरों की भर्ती के निर्देश दिए गए थे। इनमें मथुरा में 272 शिक्षक भर्ती किए जाने थे और 257 शिक्षकों की मेरिट लिस्ट जारी की गई थी। हालांकि, उस मेरिट लिस्ट से किसी की भी भर्ती न हो सकी और भर्ती का मामला पेंडिंग हो गया। करीब एक साल तक भर्ती का मामला ठंडे बस्ते में रखने के बाद बीते दिसंबर महीने में करीब 250 टीचरों की भर्ती की गई। मथुरा में शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े की गोपनीय शिकायत पर एसटीएफ के एएसपी आलोक प्रियदर्शी ने जांच की। मेरिट लिस्ट व अप्लीकेशन रजिस्टर से भर्ती शिक्षकों के ब्योरे का मिलान कराया गया तो कई नाम ऐसे निकले जिनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं था लेकिन, उन्हें नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद जूनियर क्लर्क महेश से सख्त पूछताछ की गई तो उसने कुबूल किया कि 150 ऐसे लोगों को ज्वाइनिंग कराई गई जिन्होंने आवेदन तक नहीं किया था। उसने कुबूल किया कि इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन बीएसए संजीव कुमार सिंह की भी रजामंदी थी और उन्हें वसूली गई रकम में से मोटा हिस्सा दिया गया था।

रिकॉर्ड रूम किया गया सील
आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि एक कैंडीडेट से टीचर की भर्ती के लिए 10 लाख रुपये वसूले गए थे। प्रारंभिक जांच में अब तक करीब 150 शिक्षकों की फर्जी भर्ती किए जाने का मामला सामने आ रहा है। मथुरा के अलावा अन्य जिलों में भी शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली की आशंका है। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनन्द कुमार ने बताया कि अन्य जिलों में भी पड़ताल की जाएगी। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद बीएसए अपने कार्यालय में ताला बंद कराकर चले गए थे। जिस वजह से बीएसए दफ्तर का रिकॉर्ड रूम सील कर दिया गया है। अब बुधवार को बीएसए की मौजूदगी में रिकॉर्ड रूम खोलकर संबंधित दस्तावेज कब्जे में लेकर उनकी भी जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि एसटीएफ की आगरा यूनिट की टीम ने मथुरा बीएसए ऑफिस के जूनियर क्लर्क महेश शर्मा के अलावा फर्जी तरीके से भर्ती किए गए टीचर मनीष कुमार शर्मा, विन्देश कुमार, देवेंद्र शिकरवार, दीप करन, मनोज कुमार वर्मा, तेजवीर सिंह आर्या, पायल शर्मा, भूपेंद्र कुमार, योगेन्द्र सिंह, चिदानन्द उर्फ चेतन, सुभाष, रवेन्द्र सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, कंप्यूटर ऑपरेटर मोहित भारद्वाज व राधा कृष्ण को गिरफ्तार किया है। सभी आरोपी मथुरा के ही निवासी हैं, उनके खिलाफ मथुरा कोतवाली में धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। जरूरत पड़ने पर उन्हें पुलिस कस्टडी रिमांड पर भी लिया जाएगा।

चार टीचर करते थे दलाली
फर्जी तरीके से भर्ती हुए टीचर चेतन, सुभाष, रवेन्द्र व पुष्पेंद्र अन्य लोगों से संपर्क कर उन्हें क्लर्क महेश के पास ले जाते थे। इसके बदले उन्हें मोटी रकम दी जाती थी। महेश को प्रति कैंडीडेट दो लाख रुपये तक हिस्सा मिलता था। एसटीएफ इसकी भी जांच कर रही है कि प्रति कैंडीडेट 10 लाख रुपये तक वसूले जाने के बाद किसको कितना हिस्सा दिया जाता था। फर्जी शिक्षकों को एक स्कूल में ज्वाइन कराने के बाद उसका दूसरे स्कूल में तबादला करा दिया जाता था, ताकि उनके मूल दस्तावेज न मिल सकें। फर्जी टीचरों को कितने वेतन का भुगतान हुआ, इसकी भी जांच की जा रही है।