- डीजे आई नेक्स्ट की ओर से कोरोना काल के बीच स्कूल खोलने की चुनौती और उपाय विषय पर वेबनार का आयोजन

- वेबनार में शामिल हुए डीआईओएस, स्कूल प्रबंधकों ने बच्चों की सुरक्षा को बताया टॉप प्रायरिटी

LUCKNOW:

अनलॉक में धीरे-धीरे सब कुछ खुलने लगा है, केंद्र की ओर से सशर्त स्कूल खोले जाने की भी इजाजत मिल चुकी है लेकिन पेरेंट्स के मन में बच्चों की सुरक्षा को लेकर भय बना हुआ है। इसी को देखते हुए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सोमवार को कोरोना काल के बीच स्कूल खोलने की चुनौती और उपाय पर एक वेबनार का आयोजन किया। जिसमें पेरेंट्स के साथ स्टूडेंट्स के मन में चल रहे डर को दूर करने के साथ उनका भरोसा जीतने पर सहमति बनी। बेबनार में डीआईओएस समेत कई स्कूल प्रबंधकों ने अपनी राय रखी।

पेरेंट्स का बढ़ेगा भरोसा

वेबिनार के दौरान लखनऊ प्ले गु्रप एसोसिएशन के अध्यक्ष तुषार चेतवानी ने बताया कि अभी बड़े बच्चों के स्कूल खोलने की ही बात हो रही है, लेकिन छोटे बच्चे भी स्कूल को मिस कर रहे हैं। कोविड-19 में काफी कमी देखी जा रही है, ऐसे में गाइडलाइन का पालन करते हुए स्कूल खुलने चाहिए। वहीं यूरो किड्स के डायरेक्टर अनूप ने बताया कि पहले बड़े बच्चों की क्लास खुलती हैं, तो पेरेंट्स में भी भरोसा बढ़ेगा। इसके बाद यह देखना होगा कि छोटे बच्चों की क्लास कब से खोली जा सकती हैं।

मन से डर निकालना होगा

फैजाबाद रोड स्थित टाइनी टॉट्स स्कूल की प्रिंसिपल पूनम लखमनी ने कहा कि पेरेंट्स के मन से डर निकालना होगा। सेफ्टी को टॉप प्रायरिटी पर रखना होगा। उन्हें बताना होगा कि हम सुरक्षा को लेकर क्या-क्या कदम उठा रहे हैं। वहीं सेंट बेसिल्स स्कूल के टीचर प्रखर श्रीवास्तव ने कहा कि स्कूलों को सेफ्टी के लिए जो भी उपकरण लेने होंगे उसका भी खर्च उठाना पड़ेगा। पेरेंट्स और स्टूडेंट्स को जानकारी देनी होगी कि हम सुरक्षा के क्या-क्या मानक अपना रहे हैं और किस तरह के उपकरण लगा रहे हैं।

सरकारी आदेशों पर खुलेंगे स्कूल

स्कूल आगे खुलेंगे ऐसे में बच्चों की सुरक्षा सबसे जरूरी है। इससे पहले सरकार द्वारा ऑनलाइन क्लासेस या टीवी से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। बीच-बीच में हम लोग पेरेंट्स से गाइडलाइन को फॉलो करने की अपील करते रहते हैं, जिससे स्टूडेंट्स को भी समझ में आए कि जब वो स्कूल जाएंगे तो गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होगा। अंत में यही कहूंगा सरकार द्वारा स्कूल खोलने को लेकर जो भी निर्देश आएंगे उसी आधार पर स्कूल खोले जाएंगे।

मुकेश कुमार सिंह, डीआईओएस, लखनऊ

स्कूलों को न करें टारगेट

सरकार के साथ बैठक के दौरान 12 अक्टूबर से 10वीं और 12वीं क्लास खोलने का प्रस्ताव दिया है। हम लोग सरकारी गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करेंगे। लेकिन, यदि सभी अरेंजमेंट के बाद भी कोई कोविड 19 संक्रमित निकलता है तो कोई स्कूल मैनेजमेंट को टारगेट नहीं करे। हां, अगर कोई स्कूल नियमों का पालन नहीं करता है, तो जांच करें और उनके खिलाफ एक्शन लें। सभी स्कूल जल्द से जल्द खोले जाएं।

अनिल अग्रवाल, प्रेसिडेंट अनएडेड स्कू्ल एसोसिएशन, लखनऊ

मेंटली प्रिपेयर होना होगा

वेबनार में हम सब स्कूल खोलने के उपायों को लेकर बात कर रहे हैं ताकि स्टूडेंट्स का यह साल बर्बाद न हो। हम लोगों ने 2 नवंबर से स्कूल खोलने का प्रस्ताव दिया है। स्कूल खोलने से पहले पेरेंट्स, स्टूडेंट्स और स्कूल मैनेजमेंट को प्रिपेयर होना होगा। सुझाव यह भी है कि एक दिन ऑफ और एक दिन ऑनलाइन माध्यम से स्कूल खुले। प्रश्न यह भी है कि क्या इस दौरान जो नुकसान हुआ है, सरकार उसे देखते हुए मदद करेगी।

अतुल कुमार, प्रसिडेंट, एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल यूपी

आने वाले हैं बोर्ड एग्जाम

10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम होने हैं, इसलिए बच्चों का स्कूल आना बेहद जरूरी है, क्योंकि ऑनलाइन क्लासेस की अपनी सीमाएं हैं। टीचर और स्टूडेंट आमने-सामने होंगे तो वे ठीक से अपने विषय साझा कर सकेंगे। अभी हमें ट्रायल बेस पर स्कूल खोलने चाहिए और अलग-अलग समय पर स्टूडेंट्स को बुलाना चाहिए। इसके बाद हम नाइन्थ क्लास भी खोलने की तैयारी कर सकते हैं।

कुसुम बत्रा, प्रिंसिपल एंड असिस्टेंट डायरेक्टर, आईएससी ब्रांच, एसकेडी एकेडमी

सरकार करे आर्थिक मदद

जो गाइडलाइन बन रही है, वह छोटे स्कूलों के लिए भी बनाई जाए। सरकार तक यह बात पहुंचे, इसका प्रयास किया जाना चाहिए। सरकार यह भी देखी कि उसके द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का छोटे स्कूल पालन कर भी रहे हैं कि नहीं। जिन स्कूलों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, उन्हें आर्थिक मदद दी जाए, ताकि उन्हें फिर खोला जा सके।

आनंद द्विवेदी, अध्यक्ष, स्वपोषित विद्यालय प्रबंधक एसोसिएशन

अवेयरनेस प्रोग्राम चलाना होगा

स्टूडेंट्स के बेहतर भविष्य को देखते हुए स्कूलों को खोलना ही होगा, उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इस संबंध में गाइडलाइन जारी कर देगी। साथ ही सभी स्कूलों को इसका पालन करना होगा। इसके अलावा अवेयरनेस प्रोग्राम भी चलाने होंगे, जिससे पेरेंट्स के मन से बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं खत्म हों और उनका भरोसा बढ़े।

डॉ। सुशील गुप्ता, प्रेसीडेंट, प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन, आगरा