लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में सीटी स्कैन कराने वाले मरीजों की दिक्कतें कम नहीं हो रही हैं। एक तो लंबी वेटिंग और अगर जांच हो भी जाए तो उसकी फिल्म नहीं मिल रही है। यह समस्या बीते 15 से 20 दिनों से बनी हुई है, जिसकी वजह से मरीजों को फिल्म लेने के लिए बाजार से 80 रुपये की डीवीडी खरीदकर लाने को मजबूर होना पड़ रहा है, जिसपर फिल्म को अपलोड किया जा रहा है।

मरीजों को नहीं मिल रही राहत

केजीएमयू में रोजाना तीन हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिसमें 400 से अधिक मरीजों को सीटी स्कैन जांच लिखी जाती है। संस्थान के रेडियोलॉजी विभाग व पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के जरिए रोजाना 400 से अधिक मरीजों का सीटी स्कैन हो रहा है। इनमें 200 के करीब सीटी स्कैन पीपीपी मॉडल पर लगी मशीनों पर हो रहे हैं बाकी केजीएमयू की मशीनों पर हो रहे हैं। पर करीब 15-20 दिन पहले से सीटी स्कैन की फिल्म खत्म हो गई है, जिसकी वजह से मरीजों को काफी दिक्कतें हो रही हैं।

डीवीडी लेकर भटक रहे मरीज

मरीजों को सीटी स्कैन फिल्म जांच के बाद नहीं दी जा रही है जबकि, न्यूरो, पेट, कैंसर, रेस्पीरेटरी मेडिसिन समेत दूसरे विभाग के डॉक्टर फिल्म देखकर ही मरीज की बीमारी का अंदाजा लगाते हैं। जांच केंद्र पर मरीज जब फिल्म मांगता है, तो उसे डीवीडी खरीदकर लाने को कहा जाता है, जिसके बाद डीवीडी में फिल्म अपलोड की जाती है। पर कई विभागों में कंप्यूटर की सुविधा नहीं है। ऐसे में, डॉक्टर उन डीवीडी से फिल्म नहीं देख पाते हैं। एक डीवीडी को देखने में 10-15 मिनट का समय भी लग जाता है। नतीजतन, डॉक्टर रिपोर्ट के आधार पर ही इलाज शुरू करते हैं। इतना ही नहीं, निजी अस्पतालों में केजीएमयू के साफ्टवेयर का संचालन मुमकिन नहीं है। ऐसे में, मरीज जब दूसरे डॉक्टर के पास डीवीडी लेकर पहुंचता है, तो वहां डीवीडी चलती नहीं है, जिससे उसकी समस्या और बढ़ जाती है।