- धरना-प्रदर्शन के बजाय 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' रैलियां होंगी आयोजित

- आगरा, आजमगढ़, इलाहाबाद और सहारनपुर में मायावती करेंगी रैलियां

- मायावती का आरोप बीजेपी और एसपी की मिलीभगत से दर्ज हुआ उनके खिलाफ मुकदमा

LUCKNOW: पिछले कुछ दिनों से सूबे की राजनीति को गरमाने वाले दयाशंकर सिंह मामले में बहुजन समाज पार्टी बैकफुट पर नजर आ रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने न केवल आगामी 25 जुलाई को प्रस्तावित आंदोलन को वापस लेने की घोषणा की। साथ ही कहा कि बसपा सिर्फ दलितों की नहीं, बल्कि सर्वसमाज की लड़ाई लड़ रही है। भाजपा-सपा की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों का पर्दाफाश करने के लिए आगामी 21 और 28 अगस्त को आगरा और आजमगढ़ में 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' रैली आयोजित की जाएंगी। वहीं दयाशंकर पर कार्रवाई के मामले में गेंद राज्य सरकार के पाले में डालते हुए बोलीं कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें बुआ कहकर सम्मानित किया है। अब वे अपनी बुआ को न्याय दिलाएं।

नाटक कर रही है सपा

मायावती ने कहा कि सपा-भाजपा की मिलीभगत का ही परिणाम है कि राज्य सरकार ने दयाशंकर के बयान पर खुद एफआईआर दर्ज नहीं की। जब बसपा की ओर से एफआईआर करायी गयी तो भी दयाशंकर को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है, बल्कि सरकार की ओर से नाटक किया जा रहा है। मायावती ने कहा कि जिस भाजपा नेता की मां और पत्नी ने बीजेपी की शह पर बसपा नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है, उन्हें पहले खुद ही दयाशंकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना चाहिए था। उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अगर वह महिला और बेटी के सम्मान के बजाय दलितों के सम्मान की लड़ाई लड़ती तो अच्छा रहता, लेकिन दलित विरोधी मानसिकता के चलते उसने ऐसा नहीं किया।

मेरे खिलाफ केस संसद की अवहेलना

मायावती ने प्रदेश सरकार पर भी हमला बोला। कहा कि हजरतगंज थाने में पुलिस ने सरकार के दबाव में मेरे खिलाफ केस रजिस्टर किया गया है। संविधान का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी सांसद को संसद में अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। उसमें बाहरी संस्था हस्तक्षेप नहीं कर सकती। सपा और भाजपा की आपसी मिलीभगत से उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं है, इस लिए वह धरना-प्रदर्शन में अपना समय बर्बाद करने के बजाय जनता के सामने इस मामले को लेकर जाएगी। आगरा और आजमगढ़ के बाद चार सितंबर को इलाहाबाद तथा 11 सितंबर को सहारनपुर में रैली होगी।

प्रधानमंत्री पर भी साधा निशाना

मायावती ने कहा कि गुजरात के उना में दलितों की पिटाई का मामला सामने आने के बाद भाजपा हताश है। इस मामले को उन्होंने संसद सत्र के पहले दिन से ही जोरदार तरीके से उठाया था। इससे पहले रोहित वेमुला कांड से भी दलित वोटर पूरी तरह मेरे साथ आकर खड़ा हो गया है। यह सब बीजेपी से नहीं पच रहा है, इसलिए झूठे आरोप लगाये जा रहे हैं। उन्होंने नसीमुद्दीन की बात का समर्थन किया कि बहन और बेटी को पेश करने का तात्पर्य उनसे अपने पिता के बयान के बारे में राय जानने से था।

जातिवाद को दिया बढ़ावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गोरखपुर रैली पर निशाना साधते हुए कहा कि वे जातिवाद और परिवारवाद से दूर रहने के उपदेश दे रहे थे, यह सिर्फ यूपी के लिए है या फिर उन प्रदेशों के लिए भी जहां बीजेपी की सरकार है? प्रधानमंत्री ने गुजरात की संपन्न माने जाने वाली मोध-घांची जाति को ओबीसी की कैटेगरी में लाकर क्या जातिवाद को बढ़ावा नहीं दिया है और ओबीसी का हक नहीं मारा?