लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के कई इलाकों में अवैध मिनी विला बनाने का खेल चल रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि जो मिनी विला बनाए जा रहे हैैं, उनका न तो एलडीए से नक्शा पास कराया जा रहा है, न ही कोई लेआउट। छोटे-छोटे प्लॉट्स पर इस कांसेप्ट को तैयार कर पब्लिक को महंगे दामों में बेचा जा रहा है। एलडीए की ओर से करीब 250 साइट्स चिन्हित की गई हैैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर ली गई है। इतना ही नहीं, एलडीए की ओर से जल्द ही ऐसी निर्माण साइट्स के नाम भी सामने लाए जाएंगे, ताकि पब्लिक इन साइट्स में पैसा न लगाए और भविष्य में उन्हें कोई समस्या न हो।
पहले प्लॉटिंग, फिर विला का रूप
अभी तक जो खेल सामने आया है, उससे साफ है कि ज्यादातर डेवलपर्स की ओर से पहले तो किसी बड़ी जमीन को खरीद लिया जाता है। उसके बाद उसको प्लॉटिंग की शक्ल दी जाती है। जब पब्लिक का रिस्पांस आने लगता है तो धीरे से पूरी साइट को मिनी विला का रूप दे दिया जाता है। इसमें दो तरह के निर्माण कराए जाते हैैं। पहला तो ग्रुप निर्माण, जिसे रो-हाउस कहा जाता है या फिर व्यक्ति की डिमांड के आधार पर उसके सपनों का घर तैयार किया जाता है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति से मोटी रकम भी ली जाती है। रो-हाउस के लिए भी पब्लिक से 40 से 50 लाख तक लिए जाते हैैं।
नए सिरे से चिन्हित
एलडीए वीसी के निर्देश पर टीमों की ओर से पूरे शहर में अभियान चलाकर करीब 230 से 250 अवैध साइट्स को चिन्हित कर लिया गया है और इनकी लिस्टिंग की जा रही है। अब एलडीए की ओर से इन साइट्स और डेवलपर्स के नाम सामने लाने की तैयारी की जा रही है, जिससे पब्लिक इनमें पैसा न फंसाए। इसके साथ ही लेआउट को दरकिनार कर बन रहे अवैध कॉम्प्लैक्स पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। इनके खिलाफ भी सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी।
अभी तक 250 अवैध मिनी विला साइट्स को चिन्हित किया गया है। इनकी लिस्टिंग की जा रही है और अब इनके नामों को प्रकाशित कराया जाएगा, ताकि पब्लिक को पता लग सके कि कौन सी साइट्स अवैध हैैं और कौन सी वैध। प्रयास यही है कि जनता का पैसा न फंसे।
-डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए