लखनऊ (ब्यूरो)। एसजीपीजीआई के कार्डियो वैस्कुलर एंड थोरेसिक सर्जरी विभाग की बात करें तो यहां करीब तीन सौ लोगों की वेटिंग चल रही है। नए मरीजों को अगले साल दिसंबर की वेटिंग दी जा रही है। ऐसे में मरीजों के पास इंतजार के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं रहता है क्योंकि इसमें अधिकतर गरीब मरीज होते हैं जो प्राइवेट में जाकर सर्जरी नहीं करा सकते हैं। वहीं केजीएमयू में भी लोगों को हार्ट सर्जरी के लिए छह माह से अधिक की वेटिंग दी जा रही है।

रेफरल केसों से आ रही समस्या
पीजीआई के सीवीटीएस के डॉ। एसके अग्रवाल के मुताबिक ओपीडी में रोज 100 से अधिक मरीज आते हैं। इसमें बाई पास, दिल का वाल्व बदलने और दिल में छेद आदि के मरीज होते हैं। जिन्हें सर्जरी की जरूरत होती है। विभाग में केवल चार डॉक्टर रह गये हैं। जूनियर डॉक्टर एक भी नहीं है। इसके बाद भी हर माह 50 से 60 ऑपरेशन किए जा रहे हैं। सर्वाधिक समस्या रेफरल केस को लेकर आती है। रेफरल केस की सर्जरी ज्यादा दिन नहीं टाली जा सकती है।

लॉकडाउन से बना बैकलॉग
केजीएमयू में सीवीटीएस के डॉ। विवेक के मुताबिक हम लोग रोज तीन के करीब सर्जरी कर रहे हंै। इनकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है। लॉकडाउन के कारण काफी बैकलॉग है, इसलिए वेटिंग लिस्ट से रोज 8 से 10 मरीजों को बुलाया जा रहा है। अभी हम सप्ताह में चार दिन सर्जरी कर रहे हैं। यहां करीब 150 से अधिक मरीजों की वेटिंग है। जबकि अबतक 300 से अधिक सर्जरी की जा चुकी है।

बढ़े संसाधान तो बने बात
एसजीपीजीआई व केजीएमयू समेत अन्य अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के साथ ही संसाधन भी सीमित हैं। जिसके तहत वो क्षमता से अधिक सर्जरी कर रहे हैं ताकि मरीजों को कोई दिक्कत न आए। कोरोना के बाद दिल के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि संस्थानों में डॉक्टर व संसाधन बढ़ाए जाएं। तभी यह वेटिंग खत्म होगी।


धमनियां जाम होने वाले मरीज अधिक
दिल से जुड़ी कई बीमारियों में सर्जरी की जरूरत होती है। ओपीडी में दिल की धमनियों में थक्के जम जाने की समस्या वाले मरीज अधिक आ रहे हैं। इसके अलावा दिल का वाल्व बदलना, दिल में छेद होना समेत कई अन्य दिल से जुड़ी बीमारियों के मरीज भी रोज बड़ी संख्या में केजीएमयू और पीजीआई पहुंच रहे हैं।


विभाग में सिर्फ चार डॉक्टर रह गए हैं। जूनियर डॉक्टर एक भी नहीं है। इसके बाद भी हर माह 50 से 60 ऑपरेशन यहां किए जा रहे हैं।

डॉ एसके अग्रवाल, सीवीटीएस, पीजीआई

लॉकडाउन के कारण बैकलॉग काफी लंबा है। सभी सप्ताह में चार दिन ही सर्जरी की जा रही है। सर्जरी की संख्या घटती-बढ़ती रहती है।

डॉ विवेक, सीवीटीएस, केजीएमयू