- हर मजहब के लोग करते थे उनका सम्मान

रुष्टयहृह्रङ्ख : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व शिया धर्मगुरु डॉ। कल्बे सादिक ¨हदू-मुस्लिम व शिया-सुन्नी एकता के प्रबल समर्थक थे। गुस्सा तो उन्हें कभी आता ही नहीं था। आज तक लोगों ने उन्हें अपना आपा खोते नहीं देखा। समय के ऐसे पाबंद कि लोग उनके आने-जाने से घड़ी मिला लेते थे। यही वजह है कि उनका सम्मान हर मजहब के लोग करते थे।

मॉर्डन एजुकेशन को दिया बढ़ावा

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सेक्रेटरी व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी बताते हैं कि कल्बे सादिक ने आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा दिया। वह ताउम्र शिक्षा को बढ़ावा देने व मुस्लिम समाज को रूढि़वादी परंपराओं से छुटकारा दिलाने की कोशिश करते रहे। हमेशा कहते थे कि इस्लामिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा पर मुसलमानों को खास महत्व देना चाहिए। इसके जरिए ही आप बेहतर मुकाम पा सकते हैं।

90 में ही हिंदुओं को सौंपना चाहते थे अयोध्या की जमीन

जिलानी ने बताया कि कल्बे सादिक ने विरोधियों से भी कभी ऐसी बात नहीं की जो उन्हें बुरी लगे। वह चीजों को बड़े फलक पर देखते थे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में भी यदि उनकी मर्जी के खिलाफ कोई फैसला होता था तो वह उसका विरोध नहीं करते थे। वह 90 के दशक में ही अयोध्या की बाबरी मस्जिद की जमीन को ¨हदुओं को सौंपना चाहते थे। ¨कतु पर्सनल लॉ बोर्ड के बाकी पदाधिकारी तैयार नहीं हुए। फैसला उनकी मर्जी के खिलाफ हुआ फिर भी उन्होंने विरोध नहीं किया। लखनऊ में शिया-सुन्नी समझौते में भी उनका अहम योगदान था। वह कहते थे कि जो भी विवाद है उसे बंद कमरे में निपटा लेना चाहिए। गरीब लड़के-लड़कियों की पढ़ाई न रुके इसके लिए उन्होंने ट्रस्ट भी बनाया था। वह ऐसी जुबां बोलते थे जिसे हर धर्म के लोग पसंद करते थे। उन्होंने विदेशों में भी भारत की तारीफ की।