लखनऊ (ब्यूरो) । कार्यक्रम के दौरान निदेशक प्रो आरके धीमन ने संस्थान की उपलब्धियों और आगे की कार्ययोजना के बारे में बताया। वहीं, संस्थान के अध्यक्ष और मुख्य सचिव आरके चौधरी ने बताया कि सभी के प्रयासों के साथ संस्थान को आगे ले जाने के लिए लगातार काम कियेे जा रहे हैं। बीते डेढ़ साल कोविड की वजह से काफी चैलेंजिंग बने हुए हैं। इस दौरान देखने को मिला कि साथ में काम करने की ताकत कितनी अधिक होती है और कैसे सीमित संसाधनों के साथ कोई भी चुनौती से पार पाया जा सकता है। वहीं प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने डॉक्टर्स को मरीजों में ओपीडी को देखने के साथ कम्युनिटी तक पहुंचने के लिए भी अपील की।

यह हुए सम्मानित
कार्यक्रम के दौरान बेस्ट रिसर्च कैटेगरी के तहत फैकल्टी और स्टूडेंट्स समेत 22 विनर्स को सम्मानित किया गया। इसमें मेडिकल कैटेगरी में फैकल्टी के प्रो। उज्ज्वला घोषाल, डॉ गौरव पांडे, डॉ मोईनक सिंह शर्मा और डॉ। आकाश पंडिता को सम्मानित किया गया। वहीं सर्जिकल कैटेगरी में प्रो अमित अग्रवाल, डॉ अरुण के श्रीवास्तव, डॉ। कुंतल कांति दास और डॉ वेद प्रकाश मौर्या को सम्मानित किया गया जबकि बेसिक कैटेगरी में प्रो स्वस्ति तिवारी, डॉ। खालिकुर रहमान, डॉ प्रभाकर मिश्रा और डॉ रोहित सिन्हा को सम्मानित किया गया। इसके अलावा स्टूडेंट कैटगरी के तहत डॉ। अंकित गुप्ता, डॉ भरत सिंह, डॉ सौम्या श्रीवास्तव, डॉ रजनी शर्मा, डॉ। तृप्ति लोखंडे और सुष्मिता राय को सम्मानित किया गया। इसके अलावा डॉ जयकुमार, डॉ वंदना, डॉ वसुंधरा सिंह को भी सम्मानित किया गया। बेस्ट स्टाफ नर्स से रचना मिश्रा और ज्योति कुमारी और बेस्ट टेक्नीशियन में धीरज सिंह और सुनील तिवारी को सम्मानित किया गया।

इमरजेंसी मेडिसिन में होगी सुपरस्पेशियलिटी पढ़ाई
निदेशक प्रो आरके धीमन ने बताया कि इमरजेंसी मेडिसिन और आप्थेलमी में सुपरस्पेशियलिटी डीएम कोर्स शुरू करने जा रहे हैं। इसका प्रस्ताव पास हो गया है। इसके आलावा रेडियो फार्मेसी में एमएससी, टेली आईसीयू के लिए काम चल रहा है। इस सिस्टम से प्रदेश से पुराने 6 मेडिकल कॉलेजों को जोड़ा जाएगा। यह देश का पहला मॉडल होगा।

1 पीटीएच टेस्ट बतायेगा कैल्शियम लेवल कितना
थायराइड सर्जरी के दौरान पैरा-थायराइड ग्लैंड के डेमेज होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसकी वजह से बॉडी में कैल्शियम मेनटेन नहीं होने से मरीज के शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है। यह कमी होने से सांस रूकने से लेकर जान तक चली जाती है। यह समस्या किन मरीजों में ज्यादा हो सकती है इसको पहचानने के लिए पीटीएच टेस्ट ऑपरेशन के दौरान कर लेते हैं। अगर इसका लेवल 4 से कम तो ऐसे मरीजों में कैल्शियम पहले से ही शुरू करना पड़ेगा। अगर लेवल 4 से अधिक है तो हम उन पेशेंट को जल्दी डिस्चार्ज कर सकते हैं। यह टेस्ट क्लीनिकल सर्विस में भी लागू कर दिया गया है। इससे मरीजों का अंडर या ओवर ट्रीटमेंट करने से बच सकते हैं।
डॉ अमित अग्रवाल


2 जीआई लक्षण मरीजों में आईबीएस की समस्या ज्यादा

लोगों में बैक्टीरियल व वायरल इंफेक्शन के कारण इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम आईबीएस डवलप हो जाता है। खासतौर पर कोविड के दौरान स्टूल में भी वायरस के अंश देखने को मिले, लेकिन यह लोगों में कितना अफेक्ट कर रहा है, इसको देखने के लिए भारत के 108 और बांग्लादेश के 280 लोगों को शामिल किया गया। साथ ही 262 कंट्रोल ग्रुप को भी इसमें शामिल किया गया। इसमें देखने को मिला जिनमें गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल यानि जीआई लक्षण शुरू से होते हैं, उनमें आईबीएस होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। खासतौर पर जिनको कोविड के लक्षण थे, उनमें यह समस्या ज्यादा देखने को मिली थी।
डॉ उज्ज्वला घोषाल


3 कोविड-19 जीबीएस के मामले ज्यादा

कोविड संबंधित गुल्लेन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) किस तरह से टीपीकल जीबीएस से अलग होता है। यह बुजुर्गों और जिनमें रेस्पिरेट्री इन्वाल्वमेंट ज्यादा होती है, उन मरीजों में यह कॉमन पाया जाता है। इसमें एएमएएन वेरिएंट बेहद कॉमन होता है, एआईडीपी वेरिएंट के मुकाबले। इसकी वजह से इसका आउटकम भी बेहद कम है। बुजुर्ग पेशेंट के साथ कोविड के मरीजों में हाईपो जियुसिया और हाइपो इस्मिया के लक्षण बेहद यूनिक देखने को मिलेंगे।
डॉ अंकित गुप्ता

4 बड़ी आंत के इलाज में मिलेगी मदद

गेस्ट्रोलॉजी में एक्यूट सीवियर अल्सरेटिव कोलाइटिस बीमारी होती है। जिसमें बड़ी आंत में सूजन और जलन की शिकायत होती है। इन मरीजों की हालत बेहद गंभीर होती है। शुरुआत में उनको फस्र्ट लाइन ट्रीटमेंट दिया जाता है। इसके बाद तीसरे और पांचवे दिन में देखा जाता है कि क्या ट्रीटमेंट से कोई फायदा हो रहा है। इसी को देखते हुए ऐसे तरीका का ईजाद किया गया जिससे शुरुआत में ही पता चल सके कि ट्रीटमेंट असर करेेगा या नहीं। स्टेटिस्टिकल तकनीक की मदद से पहले से पता लगाने की कोशिश की है। इसमें लैबाट्री व क्लीनिकल पैरामीटर के आधार पर जान सकेंगे कि पेशेंट ट्रीटमेंट को रिस्पांड करेगा या नही। उसी के आधार पर आगे की प्लानिंग की जा सकती है।
सुष्मिता राय