लखनऊ (ब्यूरो)। सीट आरक्षण की तस्वीर साफ होने के बाद अब प्रत्याशियों की ओर से पार्टी सिंबल पर चुनाव लडऩे के लिए टिकट लेने की कवायद में जुट गए हैैं। प्रत्याशियों की ओर से इसके लिए पार्टी पदाधिकारियों से नजदीकी भी बढ़ाई जा रही है, जिससे निकाय चुनाव का टिकट मिलने में उन्हें कोई समस्या न आए। वहीं दूसरी तरफ जिन प्रत्याशियों को पता है कि उन्हें किसी भी पार्टी से टिकट नहीं मिलेगा, वो निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके हैैं और इसके आधार पर ही चुनावी तैयारी कर रहे हैैं।

सुबह से शाम तक टिकट की कवायद

सीट आरक्षण आते ही प्रत्याशियों की ओर से अपनी-अपनी पार्टी से टिकट लेने के लिए होड़ सी मची हुई है। प्रत्याशियों की ओर से पार्टी के बड़े पदाधिकारियों का दिल जीतने के लिए खासी मेहनत भी की जा रही है। कोई गांव कनेक्शन ढूंढ रहा है तो कोई अपने राजनैतिक सफर में मिली सफलताओं को आधार बनाकर टिकट पाने की जुगत में लगा हुआ है। हालांकि सफलता किसे मिलेगी, ये तो टिकट की तस्वीर साफ होने के बाद ही स्पष्ट होगा।

पति लगा रहे हैैं जोर

जिन वार्डों की सीट महिला आरक्षित है, वहां पर महिला प्रत्याशियों के पति अपनी पत्नी के लिए चुनावी टिकट लाने की कवायद कर रहे हैैं। एक तरफ जहां उनके पति चुनावी प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रहे हैैं, वहीं दूसरी तरफ पत्नी प्रत्याशी के लिए टिकट के लिए पसीना बहाते हुए नजर आ रहे हैैं। वहीं जिन वार्डों में सीट अनारक्षित है, वहां भी खासी जुगलबंदी देखने को मिल रही है। एक तरफ जहां पुराने पार्षद खुलकर मैदान में उतर आए हैैं, वहीं दूसरी तरफ नए प्रत्याशी भी वोटर्स को साथ लाने की कवायद में जुट गए हैैं।

सत्र के बाद अधिसूचना

इस समय विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इस सत्र के समाप्त होते ही पूरी संभावना है कि निकाय चुनाव संबंधी अधिसूचना जारी हो जाए। इसे ध्यान में रखते हुए प्रत्याशियों की ओर से वोटर्स के बीच खुद को स्थापित करने के लिए खासी ताकत झोंक दी गई है। उनकी ओर से वोटर्स का दिल जीतने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैैं। वहीं दूसरी तरफ प्रत्याशियों की ओर से निगम के जोनल कार्यालयों में संपर्क कर एनओसी के बाबत जानकारी प्राप्त की जा रही है। इसके साथ ही प्रत्याशियों की ओर से अपना हाउस और वॉटर टैक्स भी क्लियर किया जा रहा है।

आपत्तियां भी आ रहीं सामने

हाल में ही जारी सीट आरक्षण को लेकर आपत्तियां दर्ज कराने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। अभी ये समयावधि पूरी होने में समय है। ऐसे में अभी से ही डीएम कार्यालय में आपत्तियां दर्ज होना शुरू हो गई हैैं। ज्यादातर आपत्तियां भाजपा पार्षदों की ओर से आ रही हैैं। उनकी ओर से सीट आरक्षण को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैैं।

लखनऊ मेयर की सीट अनारक्षित, कई दावेदारों के चेहरे खिले

आखिरकार मेयर सीट को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया। पहले जहां संभावनाएं जताई जा रहीं थी कि मेयर सीट एक बार फिर से महिला आरक्षित हो सकती है लेकिन जब सोमवार को सीट आरक्षण की तस्वीर साफ हुई तो मेयर पद के कई दावेदारों के चेहरे खिल गए। मेयर की सीट अनारक्षित होते ही दिग्गज एक्टिव मोड में आ गए हैैं और खुद को दावेदार बताने लगे हैं।

डॉक्टर से लेकर जनप्रतिनिधि तक

अभी तक जो तस्वीर सामने आई है, उससे साफ है कि डॉक्टर से लेकर जनप्रतिनिधि (वर्तमान पार्षद ) तक मेयर पद का चुनाव लडऩे की कवायद कर रहे हैैं। हालांकि उन सभी को इंतजार था तो बस सीट आरक्षण का और जैसे ही सीट आरक्षण अनारक्षित हुआ, वो सभी अब अपने लिए टिकट की व्यवस्था करने में जुट गए हैैं।

दिग्गज नजर आएंगे मैदान में

इस बार मेयर का चुनाव कांटे की टक्कर वाला होगा। इसकी वजह यह है कि एक से बढ़कर एक दिग्गज मेयर पद की दावेदारी के रूप में खुद को निकाय चुनाव के मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी ओर से पार्टी के आला पदाधिकारियों को भी साथ लाने के लिए गुणा भाग करना शुरू कर दिया गया है। जिससे टिकट की राह में कोई व्यवधान न आ सके। सीट आरक्षण की तस्वीर साफ होने के बाद अब पार्टियों की ओर से मेयर पद के उम्मीदवार की घोषणा कर दी जाएगी।