- जिन पर कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने और जागरुक करने की जिम्मेदारी वहीं दिखे लापरवाह

- कहीं थे पुख्ता इंतजाम तो कहीं कोविड की गाइडलाइन की उड़ाई जा रही थी धज्जियां

- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियल्टी चेक में सामने आई खामियां

LUCKNOW: कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में डॉक्टर, नगर निगम कर्मी और पुलिस कर्मी फ्रंट लाइन योद्धा की भूमिका निभा रहे हैं। डॉक्टर जहां लोगों की जिंदगी बचा रहे हैं, वहीं नगर निगम कर्मी साफ-सफाई का जिम्मा संभाल रहे हैं। इसके अलावा पुलिस पर लोगों को कोविड की गाइडलाइन का पालन कराने और उन्हे जागरुक करने की दोहरी जिम्मेदारी है। अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए कई पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। ऐसे में थानों में अपने साथियों और फरियादियों को कोरोना से बचाने के लिए कई कदम उठाए गये। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के सीनियर रिपोर्टर मयंक श्रीवास्तव ने थानों में कोविड को लेकर की गई तैयारियों का रियल्टी चेक किया, जिसमें कई थाने पास मिले तो कई फेल हो गये। पेश है एक रिपोर्ट।

कोरोना के इंतजाम को पुख्ता पर नहीं करते यूज

थाना- गाजीपुर

रिजल्ट फेल

गाजीपुर थाने में दो बार सिपाही कोरोना पॉजिटिव निकल चुके हैं। इसके बाद भी सुरक्षा को लेकर गाजीपुर थाना सजग नहीं है। यहां पर एंट्री में न तो थर्मल मशीन से चेकिंग कराई जाती है और न ही सेनेटाइजेशन के लिए मशीन उपलब्ध है। थाने में थर्मल मशीन तो है, लेकिन उसका यूज नहीं किया जाता है। थाने की बिल्डिंग में एंट्री से पहले सेनेटाइजर का स्टैंड तो रखा था, लेकिन उसमें सेनेटाइजर नहीं था। थाने में तैनात ज्यादातर कर्मचारी मॉक्स लगाए जरूर मिले। रियल्टी चेक के दौरान फायर ब्रिगेड की गाड़ी थाने को सेनेटाइज करते दिखी।

यहां मिली दुरुस्त व्यवस्था

थाना विभूतिखंड

रिजल्ट पास

विभूतिखंड थाने में कोरोना से लड़ने वाले कोरोना योद्धा काफी सक्रिय नजर आये। एंट्री प्वाइंट पर पहरा हाथों को सेनेटाइज कराने के बाद ही अंदर जाने देता है। एंट्री करते ही गेट पर बने हेल्प डेस्क पर तैनात महिला पुलिस कर्मी थाने में आने का कारण पूछने के साथ रजिस्टर में एंट्री करती है और थर्मल स्क्रीनिंग करती है। इसके बाद सेंसर लगी सेनेटाइज मशीन से उनके हाथों को सेनेटाइज कराया जाता है। इस सब के बाद थाने के अंदर जाने दिया जाता है।

बिना स्क्रीनिंग के एंट्री नहीं

थाना गोमतीनगर

रिजल्ट पास

गोमतीनगर थाने में भी कोविड की गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जा रहा था। थाने में एंट्री करते ही कोविड डेस्क बनी थी, जहां तैनात महिला पुलिस कर्मी थर्मल स्क्रीनिंग से मशीन ट्रेम्प्रेचर जांचने के बाद हाथों को सेनेटाइज करती है। इसके बाद थाने में आने की वजह पूछने और रजिस्टर में एंट्री के बाद जरूरत पड़ने पर अंदर भेजा जाता है।

संसाधन सभी, लेकिन एक्टिव नहीं

थाना कोतवाली हजरतगंज

रिजल्ट फेल

हजरतगंज कोतवाली परिसर में 6 बड़े ऑफिस हैं, जिसमें हर दिन सैकड़ों लोगों के साथ भारी संख्या में पुलिस कर्मी भी मौजूद रहते हैं। कोतवाली परिसर में कोरोना से लड़ने के संसाधन व चेतावनी जगह जगह चस्पा है, लेकिन उसे फालो नहीं किया जा रहा। थर्मल स्क्रीनिंग मशीन है, लेकिन किसी की जांच नहीं हो रही है। सेनेटाइजेशन टनल बनाई गई है, लेकिन वह काम नहीं कर रही है। यहां तक कि सेंसर सेनेटाइजर मशीन भी खराब मिली।

सोशल डिस्टेंसिंग का ही नहीं हो रहा पालन

थाना महिला थाना

रिजल्ट फेल

महिला थाना में हर दिन दर्जनों लोगों फरियाद व पंचायत करने पहुंचते हैं। इस दौरान न तो उनकी थर्मल स्क्रीनिंग मशीन से जांच की जा रही है और न ही सेनेटाइजेशन की कोई व्यवस्था है। इतना ही नहीं यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं किया जा रहा है। एक साथ कई लोग भीड़ लगाकर बैठे नजर आए। हालांकि लोग माक्स लगाए नजर आए।

रस्सी के सहारे लड़ रहे कोरोना की जंग

थाना । कोतवाली कैसरबाग

रिजल्ट। फेल

कोतवाली कैसरबाग परिसर का नजारा बिल्कुल अलग ही दिखा। यहां कोरोना की जंग के लिए ऑफिस के बाहर केवल रस्सी बांध दी गई ताकि कोई अंदर न आ सके। हालांकि न तो वहां कोई डेस्क बनाई गई और न ही थर्मल मशीन से जांच की जा रही थी। यहां पर सेनेटाइजर की भी व्यवस्था नहीं थी। इस बारे में जब कोतवाली प्रभारी दीनानाथ मिश्र से पूछा गया तो उनका जवाब था कि कोरोना से बचने व लड़ने के लिए सारी सुविधाएं हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही थी।

न कोई जांच न कोई सुविधा

थाना। महानगर

रिजल्ट । फेल

महानगर थाना को कभी आदर्श थाने का खिताब मिला था हालांकि कोविड 19 के खिलाफ जंग लड़ने के लिए थाना में सुविधा नदारत मिली। यहां पर न तो थर्मल स्क्रीनिंग से कोई जांच होती नजर आई और न ही सेनेटाइजेशन की कोई सुविधा थी। बस फायर ब्रिगेड की तरफ से हर दूसरे दिन थाना परिसर को सेनेटाइज किया जाता है।

बॉक्स

चंद लोगों का ही हुआ अब तक कोरोना टेस्ट

अब तक राजधानी में 55 से ज्यादा पुलिस कर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। कई बार अफसरों ने पुलिस लाइन व थानों में तैनात पुलिस कर्मियों के कोरोना टेस्ट कराने का हवाला दिया, लेकिन पुलिस लाइन में महज 160 पुलिस कर्मियों का ही टेस्ट हो सका जबकि वहां हजारों की संख्या में पुलिस कर्मी हैं। कोरोना के मरीज मिलने पर दो बार पुलिस ऑफिस को 24 से 48 घंटे के लिए बंद करना पड़ा जबकि मोहनलालगंज थाने को सील किया गया।

यह है कोरोना की गाइडलाइन

- कोरोना संक्रमित मिलने पर हेल्थ डिपार्टमेंट जिला प्रशासन को अपनी रिपोर्ट देता हैं।

- रिपोर्ट के आधार जिस भी एरिया में एक भी कोरोना संक्रमित मरीज मिलता है उसे हॉट स्पॉट घोषित कर निश्चित दिन के लिए सील कर दिया जाता है।

- यह व्यवस्था सिविल एरिया में तो लागू होती है, लेकिन थानों में इसे फॉलो नहीं किया जा रहा है।

इन थानों में मिल चुके हैं कोरोना पॉजिटिव

- हजरतगंज

- गाजीपुर

- नाका

- ठाकुरगंज

- चिनहट

- आशियाना

- मोहनलालगंज

- मडि़यांव

- पुलिस ऑफिस

- एसीपी मोहनलालगंज ऑफिस

पब्लिक के लिए बन सकते हैं खतरा

इन थानों में दरोगा व सिपाही कोरोना संक्रमित मिले चुके हैं, लेकिन न तो इन थानों को हॉट स्पॉट बनाया गया और न ही उन्हें सील किया गया जबकि इन थानों में हर दिन सैकड़ों लोग काम के सिलसिले में आते हैं। हजरतगंज कोतवाली में 6 अलग-अलग कार्यालय के साथ कोर्ट भी है। जहां हर दिन सैकड़ों पहुंचते हैं। ऐसे में यहां पर सबसे ज्यादा कोरोना का खतरा है।