लखनऊ (ब्यूरो)। क्या आपको पता है कि आप जाने अंजाने में अंडरग्राउंड वॉटर लेवल को दूषित कर रहे हैैं। अगर आपको जानकारी नहीं है तो बता दें कि गीले वेस्ट को इधर-उधर फेंकना या सूखे वेस्ट के साथ गीले वेस्ट को रखने की आदत आपकी हेल्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। दरअसल, इसकी वजह से अंडरग्राउंड वॉटर लेवल में लीचेट मिल रहा है, जिसकी वजह से अंडरग्राउंड वॉटर लेवल दूषित हो रहा है।

90 फीसदी लोगों में यह आदत

राजधानी में करीब 90 फीसदी ऐसे भवन स्वामी हैैं, जो घर से निकलने वाले गीले वेस्ट को या तो रोड साइड फेंक देते हैैं या निगम की वेस्ट कलेक्शन कर्मचारियों को सूखे वेस्ट के साथ देते हैैं। निगम के कर्मचारी भी दोनों ही वेस्ट को एक साथ कलेक्ट कर लेते हैैं और शिवरी स्थित प्लांट में डाल देते हैैं। गीले वेस्ट के ढेरों से बेहद जहरीला लीचेट जनरेट होता है, जो सीधे अंडरग्राउंड वॉटर में जाकर मिल जाता है।

इंदौर मॉडल अपनाना होगा

हम सभी जानते हैैं कि स्वच्छता के मामले में इंदौर नंबर एक है। इसकी वजह यह है कि इंदौर की जनता भी स्वच्छता के प्रति जागरूक है। वहां कोई भी भवन स्वामी गीला वेस्ट निगम को नहीं देता है बल्कि उसके माध्यम से अपने घर में ही खाद बनाता है और उसका यूज अपने घर के गमलों या बगीचों में करता है। लखनवाइट्स को भी इसी आदत को डेवलप करना होगा और नगर निगम लखनऊ भी पिछले दो साल से यही अपील कर रहा है लेकिन कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है।

नियम नहीं मानते हैैं

नियम है कि आपको अपने घर के अंदर गीला और सूखा वेस्ट अलग-अलग रखना है लेकिन शायद ही कोई ऐसा घर हो, जहां इस नियम को फॉलो किया जाता है। गीला और सूखा वेस्ट एक साथ दिए जाने से निगम कर्मचारियों की सेहत पर भी विपरीत असर पड़ता है।

इस तरह बना सकते हैं खाद

1-पुरानी बाल्टी या मटका इत्यादि लें, फिर उसमें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर छेद कर दें।

2-अब उस बाल्टी के तले में मिट्टी बिछाएं और मिट्टी के ऊपर पुराना अखबार बिछा कर उसे कवर करें।

3-अपने किचन से निकला गीला कूड़ा जैसे फल, सब्जी के छिलके, पत्ते, बचा हुआ खाना इत्यादि उसमें डालें।

4-इसके बाद गुड़ एवं दही का घोल बनाकर उसके ऊपर छिड़काव करें और फिर पुराना कागज या अखबार बिछाएं।

5- इसके बाद फिर मिट्टी डालें और अगले दिन कूड़ा डालने के लिए फिर से इसी विधि को अपनाएं।

6-यह खाद 30 दिन में बनकर तैयार हो जाएगी।

यहां भी सुधार की जरूरत

1-रोड पर स्पिटिंग-ज्यादातर लोग रोड पर पान मसाला खाकर थूक देते हैैं, जिससे रोड लाल हो जाती है।

2-रोड साइड यूरिनेट करना-अधिकांश लोग पब्लिक टॉयलेट होने के बावजूद रोड किनारे यूरीन पास करते हैैं।

3-पानी की बर्बादी-अधिकांश घरों में रोजाना पांच से छह लीटर पानी की बर्बादी होती है, इसमें सुधार करना होगा।

4-सड़क पर वेस्ट फेंकना-निगम कर्मियों द्वारा रोड पर झाड़ू लगाई जाती है। कई लोग झाड़ू लगने के बाद फिर से रोड पर वेस्ट फेंक देते हैैं।

मेरी सबसे यही अपील है कि वेस्ट कलेक्शन कर्मियों को सिर्फ सूखा वेस्ट दें और गीले वेस्ट के माध्यम से घर में खाद बनाएं। इस खाद का उपयोग अपने घर की बागवानी या मोहल्ले के पार्क में करें। इसका बहुत फायदा मिलेगा।

इंद्रजीत सिंह, नगर आयुक्त