सीबीएसई का फरमान

=क्लास एक और दो के स्टूडेंट्स को बुक्स से छुट्टी

- अब स्कूल नहीं दे सकेंगे इन बच्चों को होमवर्क

- पढ़ाई के लिए नई तकनीकि के यूज पर दिया जोर

shyamchandra.singh.co.in

LUCKNOW : स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को आने वाले दिनों में अब बस्ते के बोझ से आजादी मिलने वाली है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानि सीबीएसई ने क्लास एक और दो के स्टूडेंट्स को किसी भी तरह का होमवर्क न देने का फरमान सुना दिया है। यही नहीं बोर्ड ने छोटे बच्चों को स्कूल में बैग लेकर आने को भी अनिवार्य नहीं माना है। सीबीएसई ने संबद्ध स्कूलों को एडवाइजरी जारी कर जल्द से जल्द इस पर अमल करने को भी कहा है।

बच्चों की सेहत पर बुरा असर

सीबीएसई ने भारी स्कूल बैग से बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले निगेटिव असर को भी उठाया है। सर्कुलर के अनुसार, इससे छोटे बच्चों की रीढ़ की हड्डी कमजोर होती है। छोटी सी उम्र में इनकी पीठ और कंधों पर अनावश्यक बोझ से आगे चलकर कमर, मांसपेशियों, कंधे में दर्द और थकान जैसे समस्याएं घर करने लगती हैं।

स्कूल बताएं कैसे कम करें वजन

बोर्ड ने सभी स्कूल को ऐसा टाइम टेबल बनाने को कहा है, जिससे किसी भी क्लास के स्टूडेंट्स को केवल जरूरी बुक्स लेकर ही स्कूल आना पड़े। इस संबंध में स्कूलों को भी सुझाव दिए हैं कि वे बच्चों को बताएं कि बैग का वजन कैसे कम रखा जा सके। असेंबली में एक डिमांस्ट्रेशन कर बच्चों को समझा सकते हैं। हालांकि क्लास 1 और 2 के बच्चों को स्कूल बैग नहीं ले जाने की सलाह दी है, उन्हें होमवर्क से भी दूर रखा गया है। स्कूलों से कहा है कि छात्रों को अपने होमवर्क और दूसरे काम को पूरा करने के लिए अलग से समय ि1दया जाए।

स्मार्ट टेक्निक पर जोर

बोर्ड ने बैग का वजन कम करने के लिए सिलेबस को संशोधित कर नया सिलेबस लागू करने की तैयारी करने को कहा है। शुरू में बोर्ड केवल कुछ ही राज्यों में लागू करेगा। इसके साथ ही कई निजी स्कूलों में भी स्मार्ट क्लासेस और टेबलेट का उपयोग करने पर जोर दिया है। बोर्ड ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि भारी और कई-कई वॉल्यूम वाली अनावश्यक सप्लीमेंटरी किताबें खरीदने के लिए बच्चों को बाध्य नहीं कर सकते है।

Guidlines

For school

=भारी स्कूल बैग के बोझ से होने वाले खतरे के बारे में बच्चों को जागरुक करें।

=रोज बैग रीपैक करने की सलाह दे, जिससे अनावश्यक बुक्स और कापियां न आएं

=पीने योग्य साफ पानी की व्यवस्था करे, ताकि पानी की भारी बोतल से परहेज करें।

=खेल के दौरान पहने जाने वाले कपड़े लाने की बजाए स्कूल ड्रेस में खेलने दें

=असाइनमेंट और प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अलग से समय दिया जाए।

=घर पर होने वाले प्रोजेक्ट और असाइनमेंट को ग्रुप बनाकर स्कूल में पूरा कराएं

=आठवीं क्लास तक के बच्चों के लिए जो बुक्स जरूरी हैं वहीं लाने काे कहें

For teachers

=बच्चों को किसी बुक्स ना लाने पर सजा न दें।

=बुक्स से पढ़ाने के साथ दूसरे तरीके भी खोजें

=स्टूडेंटस को ज्यादा कापियां मंगाने की बजाए लूज शीट मगाएं

=स्टूडेंट्स के दो-दो के ग्रुप बनाकर किताबें बांटकर लाने को कहें

Parents

=पैरेंटस टीचर मीटिंग को दौरान पेरेंट्स को बच्चों के स्वास्थय के प्रति जागरूक करे। =बच्चों को हमेशा दो स्ट्रिप वाले स्कूल बैग लेकर स्कूल भेजें।

=प्राइमरी के बच्चों अपना बैग रिपैक करे तब निगरानी करें

=स्कूल बैग से फालतू की चीजें बाहर रखें। खुद टाइम टेबल तैयार करें।

केंद्रीय विद्यालय संगठन ने बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए बस्ते का वजन भी निर्धारित कर रखा है।

क्लास वजन (कि लो में)

क्लास एक और दो - दो

क्लास तीन और चार - तीन

क्लास पांच से आठ - चार

क्लास नौ से बारह - छह

कोट

भारी भरकम स्कूल बैग के कारण अक्सर बच्चों को कमर दर्द, पैरों में दर्द, पैरों के टेढ़ापन की शिकायत होती है। जिसके कारण उन्हें सलाह दी जाती है कि वे बैग न ले जाएं या टाइम टेबल के हिसाब से एक या दो किताबें ही लेकर जाएं और वजन कम रखें।

-डॉ। संतोष सिंह, आर्थोपेडिक सर्जन

कोट

इस विषय पर काफी लंबे समय से चर्चा होती आ रही है। बोर्ड ने अब एक साफ गाइडलाइन दी है। इससे स्कूलों को काफी फायदा होगा। कैसे बच्चों को कम बुक्स के माध्यम से बेहतर शिक्षा दी जा सके। पढ़ाई में दूसरे टेक्निोलॉजी का भी बढ़ावा मिलेगा।

-मनीष सिंह, एसकेडी एकेडमी, डायरेक्टर

बोर्ड के जो भी सुझाव जारी किए हैं। उसका स्कूलों में फॉलो किया जाएगा। ज्यादातर स्कूलों में स्मार्ट लर्निग को पहले से ही बढ़ावा दिया जा रहा है। बच्चों को स्मार्ट क्लास और स्मार्ट टेक्निक से पहले ही पढ़ाई कराई जा रही है।

- सरबजीत सिंह, प्रबंधक अवध कोलीजिएट

बोर्ड ने सिलेबस को और आसान करने को कहा है। यह सिलेबस आ जाएं उसके बाद बैग का वजन और भी कम किया जा सकता है। स्कूलों में पहले से ही बच्चों पर बैग का वजन कम करने का दबाव रहा है। जिसे जितना हो सके कम करने की पूरी कोशिश रहती है।

-अजीज खान, किंग जार्ज पब्लिक कॉलेज, प्रबंधक

पेरेंट्स कोट

यह कदम काफी सराहनीय है। इससे पेरेंट्स पर बुक्स को लेकर हर साल पड़ने वाला दबाव भी कम होगा। इसके साथ ही बच्चों को क्या पढ़ाना है भी तय किया जा सकेगा।

- अनिल अग्रवाल, सीए प्रोफेशनल

बुक्स को लेकर हर साल स्कूल दबाव बनाते है कोर्स की बुक्स से ज्यादा सप्लीमेंट्ररी बुक्स खरीदने का दबाव रहता है। इस पर रोक लेगेगी।

- विकास श्रीवास्तव, प्रोफेशनल

अब यह तय करने में आसानी होगी आपका बच्चा क्या पढ़ रहा है। वह उसके लिए कितना जरूरी है। स्कूल फालतू की बुक्स खरीदने के लिए दबाव बनाते है।

- उर्वशी आहुजा, प्रोफेशनल