- बसपा शासन काल में हुए अरबों के स्मारक घोटाले का मामला

- सरकारी धन का गबन, साजिश रचने तथा भ्रष्टाचार की धाराओं में आरोपित

LUCKNOW : बसपा शासन काल में हुए अरबों के स्मारक घोटाला मामले में सोमवार को एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में दाखिल आरोप पत्र में भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के तत्कालीन निदेशक व सेवानिवृत्त आइएएस रामबोध मौर्य के साथ ही 25 लोकसेवकों को आरोपित बनाया गया है। ये सरकारी धन का गबन, इसकी साजिश रचने तथा भ्रष्टाचार के आरोपित हैं। वहीं, 32 कंर्सोटियम प्रमुखों को सरकारी धन का गबन व इसकी साजिश रचने का आरोपित बनाया गया है। उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान के निरीक्षक व इस मामले के विवेचक विनोद चंद्र तिवारी ने कुल 57 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।

इनकी बढ़ी मुश्किलें

लोकसेवकों में सेवानिवृत्त आईएएस रामबोध मौर्य के अलावा उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन परियोजना प्रबंधक पीके जैन, सैयद शमीम अहमद, सुनील कुमार गौतम, सुधीर कुमार अग्रवाल, सुरेंद्र कुमार चौबे, राजीव शर्मा, सत्य प्रकाश गुप्त, भूपेंद्र दत्त त्रिपाठी, अरुण कुमार गौतम, सुधीर कुमार शुक्ला, राजीव कुमार सिंह, राजेश चौधरी, हीरालाल व मुकेश कुमार शामिल हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन अपर परियोजना प्रबंधक अहमद अब्बास रिजवी, सुनील कुमार गौतम, राकेश चन्द्रा, अखिलेश कुमार सक्सेना, तत्कालीन इकाई प्रभारी शिवपाल सिंह, पुरुषोत्तम कुमार शर्मा, काशीराम सिंह, मुरली मनोहर सक्सेना, विनोद कुमार सिंह व शिव कुमार वर्मा को भी आरोपित बनाया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन लेखाकार सुखलाल यादव भी आरोपित है।

इसके खिलाफ भी आरोप पत्र

कंर्सोटियम प्रमुखों में राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, जितेंद्र मिश्रा, ज्ञानेंद्र कुमार अग्रहरि, अशोक कुमार सिंह, द्वितीय, संतोष कुमार पांडेय, मुन्नी देवी, राम आसरे, मंगला प्रसाद द्विवेदी, हमीद, राम लखन सिंह, राजेश कुमार सिंह, राम परेश, विनोद कुमार श्रीवास्तव, बच्चू लाल, निशा देवी, बचाऊ सिंह, अशोक कुमार श्रीवास्तव, अखिलेश कुमार सिंह, श्याम नारायण, राजेश कुमार जायसवाल, अब्दुल फराह चौधरी, राजकुमार सिंह, सत्यवीर चिकारा, अंकुर अग्रवाल, दिलीप कुमार मौर्या व अंजना के खिलाफ भ्रष्टाचार व साजिश रचने की धारा में आरोप पत्र दाखिल किया गया है।

अब 15 को सुनवाई

विशेष जज पवन कुमार राय ने सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख तय की है। अब तक इस मामले में 72 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। इनमें खनन निदेशालय उत्तर प्रदेश में संयुक्त निदेशक व सलाहकार रहे डा। सुहेल अहमद फारुखी समेत 15 आरोपितों के आरोप पत्र पर संज्ञान लिया जा चुका है, जबकि पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व बाबूसिंह कुशवाहा तथा अन्य के खिलाफ विवेचना अभी जारी है।

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यह है मामला

वर्ष 2007-2011 के दौरान का यह मामला लखनऊ व नोएडा में स्मारकों एवं उद्यानों के निर्माण व इससे जुड़े अन्य कार्यो में प्रयोग किए जाने वाले सैंडस्टोन की खरीद-फरोख्त में अरबों के घोटाले का है। इन स्मारकों में अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल, गौतम बु़द्ध उपवन, ईको गार्डन व नोएडा का अंबेडकर पार्क था। इसके लिए 42 अरब 76 करोड़ 83 लाख 43 हजार का बजट आवंटित हुआ था, जिसमें 41 अरब 48 करोड़ 54 लाख 80 हजार की धनराशि खर्च की गई। लोकायुक्त की जांच में राजफाश हुआ कि खर्च की गई धनराशि का 34 प्रतिशत यानी 14 अरब 10 करोड़ 50 लाख 63 हजार 200 रुपये विभागीय मंत्रियों व अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। लोकायुक्त की रिपोर्ट में इस मामले की एफआइआर दर्ज कर विवेचना की संस्तुति की गई थी। एक जनवरी, 2014 को इस मामले की एफआइआर उप्र सतर्कता अधिष्ठान के निरीक्षक राम नरेश सिंह राठौर ने थाना गोमतीनगर में दर्ज कराई थी।