लखनऊ (ब्यूरो)। मॉक ड्रिल के दौरान मुख्य रूप से नियोनेटल आईसीयू और पीडियाट्रिक आईसीयू में तैयारियों का जायजा लिया गया। मॉक ड्रिल के दौरान बलरामपुर अस्पताल में डॉ। रितेश द्विवेदी ने व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। यहां सिर्फ दो मिनट के अंदर बच्चे को एडमिट करने के साथ उसका इलाज शुरू कर दिया गया।
सीएचसी में दिखी कमियां
सीएमओ ने विभिन्न सीएचसी का निरीक्षण किया। इस दौरान कई कमियां सामने आईं। सर्वाधिक कमी स्टाफ की ट्रेनिंग को लेकर दिखाई दी। सीएमओ डॉ। मनोज अग्रवाल ने बताया कि जो कमियां मिली हैं, वे अधिकतर सीएचसी में ही दिखाई दी हैं। इन कमियों को तत्काल दूर करने के लिए कह दिया गया है।
दोबारा होगी ट्रेनिंग
इस मॉक ड्रिल के दौरान स्टाफ में कुछ कमियां देखने को मिली हैं। डिप्टी सीएमओ ने बताया कि नीकू-पीकू को चलाने के लिए स्टाफ को ट्रेनिंग काफी पहले दी गई थी। शुक्रवार को मॉक ड्रिल के दौरान इसमें कुछ कमियां सामने आई हैं। स्टाफ को इसके लिए दोबारा ट्रेनिंग देने की आवश्यकता महसूस की गई है। जल्द ही नीकू-पीकू चलाने के लिए स्टाफ को दोबारा ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि समय रहते सारी तैयारियां पुख्ता कर ली जाएं।


इन चीजों को परखा गया
- संक्रमित बच्चे को एडमिट करने में लगने वाला समय
- बच्चे का इलाज कितनी देर में शुरू किया जाता है
- आईसीयू में बच्चे का ट्रीटमेंट कैसे किया जा रहा है


इन सीएचसी में भी मॉक ड्रिल
- माल सीएचसी
- मलिहाबाद सीएचसी
- गोसाईंगंज सीएचसी
- चिनहट सीएचसी


अस्पतालों में मॉक ड्रिल के दौरान ज्यादा कमियां नहीं सामने आई हैं। सीएचसी स्तर पर कुछ समस्याएं हैं, जिन्हें दूर करने के लिए कह दिया गया है।
डॉ। मनोज अग्रवाल, सीएमओ