- 12 बच्चों को चिनहट से किया गया बरामद

- 123 बच्चों को 5 जिले से कराया गया मुक्त

- 28 ह्यूमन ट्रैफिकिंग गैंग के मेंबर्स अरेस्ट

- गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाई का लालच देकर बेचा जा रहा

- मदरसे में पढ़ाई के नाम से लाया जा रहा, ह्यूमन ट्रैफिकिंग गैंग है एक्टिव

LUCKNOW : दिल्ली, मुंबई और यूपी के कई शहरों में बाल मजदूरी के लिए बच्चों को बेचा जा रहा है। पश्चिम बंगाल, झारखंड व बिहार के दूर दराज इलाके के गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाई का लालच देकर उन्हें लाया जाता है और फिर उन्हें घरों, दुकान, ढाबा व होटल में काम करने के लिए बेच दिया जाता है। दिल्ली की एक संस्था की मदद से 15 दिन के भीतर लखनऊ समेत यूपी के पांच शहरों से 123 बच्चों को न केवल मुक्त कराया गया बल्कि इस गैंग से जुड़े 28 मेंबर्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

ट्रेन व बसों से लाए गए यूपी में

यूपी में ट्रेनों व बसों से तस्करी कर ले जाए जा रहे 123 बच्चों को बरामद किया गया। इस दौरान पुलिस ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े गैंग के 28 मेंबर्स को भी गिरफ्तार किया है। रेस्क्यू आपरेशन से जुड़े सूर्य प्रताप मिश्रा (स्टेट कोऑर्डिनेटर उत्तर प्रदेश, बचपन बचाओ आंदोलन ) ने बताया कि यह बच्चे बिहार के कटिहार, सीतामढ़ी, अररिया जिला से विभिन्न ट्रेनों, बसों से लाए जा रहे थे। बच्चों को मुक्त कराकर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।

खुद को बताते हैं रिश्तेदार

ह्यूमन ट्रैफिकिंग गैंग के साथ जब बच्चों को बरामद किया तो पहले गैंग मेंबर्स ने खुद को उनका रिश्तेदार बताया और कहा कि बच्चों को पढ़ाई के लिए दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित मदरसे में ले जा रहे थे। हालांकि वह लोग बच्चों के परिजनों व मदरसे के प्रबंधक से बात कराने को कहने पर बात नहीं करा सके। बच्चों को किस लिए ले जाया जा रहा था इसकी जांच शुरू कर दी गई।

यहां से मुक्त कराए गए बच्चे

- लखनऊ से 12 बच्चे मुक्त कराकर पांच गैंग मेंबर्स अरेस्ट

- प्रयागराज से 33 बच्चे मुक्त कराकर नौ गैंग मेंबर्स अरेस्ट

- मुरादाबाद से 38 बच्चों को मुक्त कराकर 3 गैंग मेंबर्स अरेस्ट

- अलीगढ़ से 25 बच्चों को मुक्त कराकर 8 गैंग मेंबर्स अरेस्ट

- गोरखपुर से 8 बच्चों को मुक्त कराया गया

- फिरोजाबाद से चार बच्चों को मुक्त कराकर दो गैंग मेंबर्स अरेस्ट

लगा देते है काम पर

ह्यूमन ट्रैफिकिंग मामले में पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि कई बच्चों को पढ़ाने तो कई बच्चों अभिभावकों से उन्हें काम दिलाने की बात कहकर लाया जाता है। काम के साथ पढ़ाई का झांसा दिया जाता है जबकि उन्हें घरेलू काम, होटल व ढाबे में काम करने के लिए लगा दिया जाता है। उन्हें खाना व रहने की सुविधा के बदले कई घंटे काम करना पड़ता है।

ह्यूमन ट्रैफिकिंग की बढ़ाई गई सजा

ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में अब सजा दस साल की है। महिला व बाल विकास मंत्रालय ने विधेयक 2021 के मसौदे पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। विधेयक में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में दोषी पाए जाने पर आरोपी को पहले कम से कम सात वर्ष की सजा होती थी जिसे बढ़ाकर 10 वर्ष तक कर दिया गया है। साथ ही एक लाख से पांच लाख तक का जुर्माना होगा।

कोट

यूपी में ट्रेनों व बसों से तस्करी कर ले जाए जा रहे 123 बच्चों को बरामद किया गया। इस दौरान पुलिस ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े गैंग के 28 मेंबर्स को भी गिरफ्तार किया है। अभियान लगातार जारी है।

सूर्य प्रताप मिश्रा, स्टेट कोऑर्डिनेटर, बचपन बचाओ आंदोलन