- पीएसी जवानों को पदावनत करने की होगी जांच

- निर्णय से पहले शासन को नहीं दी गई थी जानकारी

रुष्टयहृह्रङ्ख : पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली के एक और मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी नाराजगी जताई है। पीएसी जवानों को पदानवत कर सिविल पुलिस से वापस भेजे जाने का फैसला शासन की अनुमति के बिना लिया गया था। मुख्यमंत्री ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी को ऐसा निर्णय लेने वाले अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करने को कहा है। डीजीपी जल्द प्रकरण की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे। सीएम योगी ने डीजीपी को पदानवत किए गए जवानों को नियमानुसार जल्द पीएसी में पदोन्नति दिए जाने का निर्देश भी दिया है। योगी ने कहा कि ऐसी कार्रवाई से पुलिस बल के मनोबल पर प्रभाव पड़ता है।

बिना शासन की अनुमति से फैसला

सिविल पुलिस से पीएसी जवानों को उनके मूल संवर्ग में वापस भेजने का आदेश एडीजी स्थापना पीयूष आनन्द ने नौ सितंबर को जारी किया था। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में अपनी ओर से तो भूल सुधार कर लिया था, लेकिन शासन की अनुमति के बिना यह कदम उठाने का फैसला अब उन पर भारी पड़ गया है। हालांकि एडीजी स्थापना ने जवानों को पदानवत किए जाने का आदेश जारी करने के बाद एडीजी पीएसी को एक पत्र लिखकर पदानवत जवानों को वरिष्ठता के आधार पर पीएसी में पदोन्नति दिए जाने की सिफारिश की थी।

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यह था पूरा मामला

पीएसी के जवानों को बीते दो दशकों में ड्यूटी के लिए थानों पर भेजा गया था। इनमें सैकड़ों पीएसी जवान थानों पर ही टिक गए थे और लंबे समय तक वहीं ड्यूटी करते रहे। इसी दौरान उन्हें पदोन्नति भी हासिल हो गई थी। पीएसी के जवान जितेंद्र कुमार ने सिविल पुलिस में उसकी पदोन्नति न होने पर वर्ष 2019 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें सिविल पुलिस में पदोन्नति पाए कई पीएसी जवानों का उल्लेख किया गया था। हाईकोर्ट ने इस पर पुलिस मुख्यालय को छह सप्ताह में निर्णय आदेश दिया था। तब मुख्यालय में बैठे अधिकारियों को इस गड़बड़ी की भनक लगी। चार सदस्यीय समिति बनाकर प्रकरण की जांच कराई गई थी तो सूबे में 932 ऐसे पीएसी कर्मी सामने आए थे, जो सिविल पुलिस में सेवाएं दे रहे थे। इनमें छह जवान सिविल पुलिस में उपनिरीक्षक तथा 890 जवान हेड कांस्टेबिल के पदों पर पदोन्नति पा चुके थे। 22 जवान सिपाही के ही पद पर थे, जबकि 14 जवान अपना सेवाकाल पूरा कर चुके थे। एडीजी स्थापना ने छह उपनिरीक्षकों व 890 मुख्य आरक्षियों को पदानवत करते हुए तथा 22 जवानों को इसी पद पर उनके मूल संवर्ग पीएसी में भेजने का आदेश दिया था।

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पूरे प्रकरण की जांच होगी :डीजीपी

पीएसी जवानों के मामले में सबसे बड़ा सवाल उन तत्कालीन अधिकारियों व कर्मियों का है, जिन्होंने नियमों को ताख पर रखकर जवानों को पदोन्नति दी। नियम कहता है कि एक संवर्ग के कर्मी को दूसरे संवर्ग में पदोन्नति नहीं दी जा सकती। यानी पीएसी जवानों को सिविल पुलिस संवर्ग में पदोन्नत करने का कोई आधार ही नहीं है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि पूरे प्रकरण की बिंदुवार जांच कराई जाएगी। परीक्षण कराया जाएगा कि किस स्तर पर किन नियमों का उल्लंघन हुआ है। जो भी अधिकारी व कर्मी दोषी पाए जाएंगे, उन पर कठोर कार्रवाई होगी।