लखनऊ (ब्यूरो)। खेती किसानी के नाम पर ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन कराकर उससे ईंट मोरंग ढोई जा रही है। ऐसा करके न सिर्फ सरकारी टैक्स की चोरी हो रही है बल्कि ये वाहन हादसों की वजह भी बन रहे हैं। जिले की पुलिस, प्रशासन, परिवहन विभाग के अफसर इस ओर देख ही नहीं रहे हैं। ट्रैक्टर मालिक सरकार को दो तरफ से चूना लगा रहे हैं। कृषि यंत्र होने के चलते पहले सरकार से सब्सिडी पाते हैं और फिर उसे कामर्शियल यूज में लगाकर रकम कमाते हैं, जबकि कामर्शियल यूज करने के लिए ट्रैक्टर ट्राली के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान है। शहर में मात्र 10 फीसदी ट्रैक्टर ट्राली ही आरटीओ में रजिस्टर्ड हैैं।

रजिस्ट्रेशन मात्र 10 फीसदी का

ट्रैक्टर ट्राली ओवरलोड व आड़े तिरछे सामान लादकर चलते हैं और सड़कों पर हादसों की वजह बनते हैं। आरटीओ ऑफिस में करीब एक हजार ट्रैक्टर रजिस्टर्ड हैं। 90 फीसदी ट्रैक्टरों को कृषि कार्य के लिए दिखाया जाता है, पर सड़कों पर कृषि कार्य के लिए वे बहुत कम ही चलते नजर आते हैं। ईंट व मोरंग लादकर अवैध रूप से कारोबार करने में कई दर्जन ट्रैक्टर लगे हैं। वे मोरंग लादकर बाजार में सड़क को घेरकर खड़े कर दिए जाते हैं। बाइक सवार तो अक्सर इसमें पिस जाते हैं। कई ट्रैक्टर स्वामियों द्वारा नाबालिगों को भी चालक का काम दे दिया जाता है। उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं होता।

भारी वाहन का होना चाहिए लाइसेंस

ट्रैक्टर चलाने के लिए भारी वाहन का ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य होता है। अधिकांश चालकों के पास या तो यह होता नहीं या होता है तो दुपहिया वाहन का। वे ट्रैक्टर पर लदे माल के बाद उसकी स्टेयरिंग थामने के काबिल भी नहीं होते। इनकी मनमानी से बेकसूर लोग अपनी जिंदगी खो देते हैं। एक तरफ हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का आदेश किया गया है। वहीं दूसरी तरफ लखनऊ पुलिस व ट्रैफिक पुलिस की मिलीभगत से बिना नंबर प्लेट की अवैध ट्रैक्टर ट्रालियां चल रही हैं।

पुलिस या आरटीओ को नहीं परवाह

एक तरफ मालिक कृषि यंत्र के नाम पर ट्रैक्टर में सब्सिडी के साथ-साथ आरटीओ में बिना शुल्क के रजिस्ट्रेशन कराते हैं और दूसरी तरफ उसका कामर्शियल यूज कर सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का चूना लगा रहे हैं। इन ट्रैक्टर ट्रालियों का न ही बीमा है न ही पॉल्युशन और न फिटनेस। ट्रैफिक पुलिस हो या स्थानीय पुलिस या आरटीओ कोई भी इन ट्रैक्टर ट्राली के चालकों से नहीं पूछता है कि उनके ट्रैक्टर ट्राली पर नंबर क्यों नहीं पड़ा है। पुलिस चौकी, थानों के सामने व ट्रैफिक पुलिस के सामने से ये बेखौफ गुजरती हैं।

हादसे की वजह बन रहे ट्रैक्टर ट्राली

थाना सैरपुर के इंस्पेक्टर को ट्रैक्टर ट्राली के चलते जान गंवानी पड़ी थी। चिनहट में रहने वाले परिवहन विभाग में परिचालक के पद पर तैनात श्रवण कुमार को भी ड्यूटी जाते समय एक नाबालिग ट्रैक्टर ट्राली ड्राइवर ने टक्कर मार दी थी, जिससे उनकी जान चली गई थी। इस मामले में चिनहट थाने में केस भी दर्ज कराया गया था। दुर्घटना में थाना सैरपुर के इंस्पेक्टर की मौत के बाद भी लखनऊ पुलिस की नींद नहीं खुली। राजधानी लखनऊ में कार, बस, ट्रक, बाइक, स्कूटी का ई-चालान व चालान होता है, पर सवाल उठता है कि इन बिना नंबर की अवैध ट्रैक्टर ट्रालियों का चालान क्यों नहीं होता?

यह सही है कि शहर में कामर्शियल वर्क करने वाले ज्यादातर ट्रैक्टर ट्राली का रजिट्रेशन नहीं है। कृषि कार्य के लिए ट्रैक्टर का रजिट्रेशन कराया जाता है लेकिन उन्हें कामर्शियल रूप से यूज किया जाता है। इसके लिए ट्रैक्टर ट्राली का रजिट्रेशन होता है और उसका नंबर भी दिया जाता है। मात्र 10 फीसदी ट्रैक्टर ट्राली का रजिट्रेशन है बाकी सब अवैध है। उनके खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई भी की जाती है।

-अखिलेश कुमार द्विवेदी, एआरटीओ