लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां एलडीए की ओर से अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ आलम यह है कि कई ऐसे अवैध निर्माण भी सामने आए हैैं, जिन्हें एलडीए की ओर से पूर्व में सील किया जा चुका है लेकिन निर्माणकर्ताओं की ओर से चोरी छिपे ढंग से निर्माण जारी रखा गया। एलडीए प्रशासन को इसकी जानकारी मिलने के बाद फिर से सीलिंग की कार्यवाही की गई। हालांकि, सवाल यह है कि जब एक बार अवैध निर्माण सील हो गया तो फिर उसमें दोबारा चोरी छिपे ढंग से अवैध निर्माण कैसे होने लगा? कहीं न कहीं मानीटरिंग सिस्टम का न होना भी अवैध निर्माणकर्ताओं को बल प्रदान कर रहा है और इसकी वजह से कार्यवाही होने के बाद भी चोरी छिपे ढंग से अवैध निर्माण कराते रहते हैैं।
प्राइम लोकेशन में पकड़ी गड़बड़ी
हाल में एलडीए की ओर से इंदिरानगर एरिया में एक पांच मंजिला अपार्टमेंट को सील किया गया था। इससे पहले भी एलडीए की ओर से उक्त निर्माण को सील किया जा चुका था। इसकी वजह थी कि प्राधिकरण से मानचित्र का स्वीकृत न कराया जाना। बिल्डिंग सील होने के बाद भी निर्माणकर्ताओं की ओर से चोरी छिपे ढंग से निर्माण जारी रखा गया और अपार्टमेंट तैयार करा लिया गया। जानकारी मिलने के बाद एलडीए की ओर से उक्त निर्माण को फिर से सील कर दिया गया।
कॉमर्शियल कॉम्प्लैक्स में भी खेल
एलडीए की ओर से की जाने वाली कार्रवाई के दौरान कई ऐसे कॉमर्शियल कॉम्प्लैक्स भी सामने आए हैैं, जिन्हें पहले भी सील किया जा चुका है लेकिन दोबारा से उनमें निर्माण होता मिला। इससे खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्माणकर्ताओं को अवैध निर्माण कराने के बाद भी एलडीए कार्रवाई का कोई डर नहीं है। साइट को सील किए जाने के बाद भी उनकी ओर से अवैध निर्माण जारी रखा जाता है और प्राधिकरण को जानकारी तक नहीं होती। जब तक जानकारी होती है, तब तक अवैध निर्माण बनकर तैयार हो जाता है।
कोई मॉनीटरिंग सिस्टम नहीं
एलडीए की ओर से अवैध निर्माणों पर तो एक्शन लिया जा रहा है लेकिन जो निर्माण पूर्व में सील किए गए हैैं, उनकी मॉनीटरिंग के लिए कोई सिस्टम नहीं है। इसका फायदा निर्माणकर्ता उठा रहे हैैं। एलडीए प्रशासन की ओर से कई बार सीलिंग मॉनीटरिंग को लेकर योजनाएं बनाई गईं, लेकिन अभी तक योजनाएं धरातल पर नहीं उतर सकी हैैं। जिसकी वजह से धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैैं। एलडीए प्रशासन को जल्द से जल्द इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है, जिससे अवैध निर्माणों पर लगाम लग सके।
प्लॉटिंग को कर देते ध्वस्त
एलडीए की ओर से अवैध प्लॉटिंग साइट को तो ध्वस्त कर दिया जाता है, जिससे वहां पर दोबारा दीवार इत्यादि निर्माण की संभावना नहीं रहती है, लेकिन जब बात कॉमर्शियल या आवासीय बिल्डिंग्स की आती है तो यहां पर प्राधिकरण बैकफुट पर नजर आता है। प्राधिकरण की ओर से अवैध निर्माण को सील कर पुलिस अभिरक्षा में सौंप दिया जाता है और उसके बाद एलडीए की टीम दोबारा मौके पर जाकर यह नहीं देखती है कि दोबारा निर्माण तो नहीं हो रहा है। जब कोई सूचना देता है तब टीम एक्शन में आती है।
अब नए सिरे से स्टेटस रिपोर्ट
मामले की गंभीरता को देखते हुए अब एलडीए प्रशासन की ओर से नए सिरे से ऐसे निर्माणों को चिन्हित किया जा रहा है, जिनके खिलाफ पूर्व में सीलिंग की कार्रवाई की जा चुकी है। वीसी के निर्देश के बाद सभी जोन में ऐसे निर्माणों की लिस्ट तैयार कराई जा रही है। लिस्ट तैयार होने के बाद यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि कितने ऐसे निर्माण हैैं, जो सील किए जाने के बाद भी बनकर तैयार हो गए हैैं। स्टेटस रिपोर्ट तैयार होने के बाद संबंधित अधिकारियों से भी सवाल जवाब किए जाएंगे।
जिन अवैध निर्माणों को सील किया जा चुका है, अब उनकी स्टेटस रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। अगर कहीं भी सील बिल्डिंग में निर्माण होता मिलता है तो संबंधित निर्माणकर्ताओं के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।
डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए