लखनऊ (ब्यूरो)। संस्थान ने 320 कॉटन जीनोटाइप की जीनोम सीक्वेंसिंग करके 39 लाख हाई क्वालिटी एसएनपी तैयार किए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन एसएनपी के जरिए कॉटन की अलग-अलग वैरायटी की खासियत का अंदाजा होता है। इस एसएनपी को संस्थान ने चिप के रूप में बाजार में उतारने के लिए हैदराबाद की न्यूक्लियोम इंफर्मेटिक्स के साथ करार किया है।

एमओयू साइन किया गया
एनबीआरआई में शुरू हुए वन वीक वन लैब प्रोग्राम के तहत इसको लेकर एमओयू साइन किया गया। इस चिप को लेकर संस्थान के निदेशक डॉ एके शासनी का कहना है कि कॉटन को लेकर संस्थान लगातार काम कर रहा है। एक तरफ जहां जीनोम एडिटिंग को लेकर काम हो रहा है वहीं व्हाइट फ्लाई रोधी कपास की वैरायटी डिवेलप करने का भी काम जारी है। कॉटन एक इंपॉर्टेंट क्रॉप है, ऐसे में इस तरह की चिप से कपास की ईल्ड पर भी असर पड़ेगा।

कॉटन इंडस्ट्री में आएगा चेंज
संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चिप कॉटन इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव ला सकती है। यह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध होगी। संस्थान के वैज्ञानिक समीर सावंत ने बताया कि एसएनपी या सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म ऐसे मार्कर हैं जो डीएनए की खासियत बताते हैंैं। इस चिप से कॉटन की खासियत पता चलेगी, जिससे इंडस्ट्री अपनी डिमांड के अनुरूप कॉटन के प्रोडक्शन पर काम कर सकती है।

ब्रीडिंग में भी मिलेगी मदद
यह चिप न केवल इंडस्ट्री बल्कि शोध करने वालों और वैज्ञानिकों के लिए भी अहम है। चिप में जो भी कॉटन की वैरायटी से संबंधित जानकारी होगी, यह जानकारी ब्रीडिंग में भी मदद करेगी। बार बार जीनोम एडिटिंग कर खासियत का पता लगाने की जरूरत नहीं होगी। इससे समय बचेगा और ज्यादा प्रभावी वैरायटी डिवेलप की जा सकेगी।