लखनऊ (ब्यूरो)। मिड फरवरी से एग्जाम्स का दौर शुरू हो रहा है। 15 फरवरी से जहां सीबीएसई बोर्ड के एग्जाम शुरू हो रहे हैं, वहीं 16 फरवरी से यूपी बोर्ड के एग्जाम भी होंगे। ऐसे में तैयारी के लिए स्टूडेंट्स के पास ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। कम दिनों में तैयारी को लेकर स्टूडेंट्स भी टेंशन में हैं। इस टेंशन को दूर करने के लिए एक्सपट्र्स अपना रूटीन ब्रेक न करने, सही डाइट फॉलो करने से लेकर लाइट म्यूजिक सुनने को बेहतर विकल्प मान रहे हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने काउंसलर्स से आखिरी मौके पर कैसे तैयारी करें, इसके टिप्स जाने

सेलेक्टिव स्टडी पर रहे जोर

सबसे अधिक तनाव आखिरी समय में सबकुछ पढ़ लेने की इच्छा के कारण होता है। चूंकि अब समय रहा नहीं है, ऐसे में सेलेक्टिव स्टडी पर फोकस रखना जरूरी है। पूरा सिलेबस पढऩे की बजाय सिलेबस में क्या इंपॉर्टेंट है, उसको पढऩे पर जोर दें। इसके अलावा शॉर्ट आंसर को रटने की बजाय अब समझें।

50 मिनट पढ़ें, 10 मिनट रिलैक्स करें

एक्सपर्ट की माने तो अमूमन लोग कहते हैं कि लगातार दो से तीन घंटे बैठ कर पढ़ रहे हैं, यह तरीका वैज्ञानिक नहीं है। वैज्ञानिक तरीका यह है कि एक घंटे में 50 मिनट पढ़ें और 10 मिनट रिलैक्स करें। 10 मिनट रिलैक्स करने के बाद फिर तैयारी शुरू करें। इसी प्रक्रिया को लगातार अपनाएं।

माइंड मैपिंग टेक्नीक से मिलेगी मदद

एक्सपर्ट बताते हैं कि एग्जाम की तैयारी के दौरान माइंड मैपिंग टेक्नीक रिवीजन की एक बेहतर तरीका हो सकती है। इसके लिए सबसे पहले स्टूडेंट्स को एक नोटबुक में चैप्टर का नाम, उसके अंदर आने वाले इंपॉर्टेंट टॉपिक को नोट करते रहना है। इन नोट्स को एक बार दिमाग में रिवाइज करने से याद भी रहेगा और एग्जाम के एक दिन पहले रिवीजन भी हो जाएगा।

यह करें

1. हेल्दी हैबिट्स फॉलो करें। खाने पीने का खास ख्याल रखें। भरपूर नींद लें। कुछ समय निकालकर शारीरिक व्यायाम करें।

2. स्ट्रेस को दूर करने के लिए अपने दोस्तों से बात कर सकते हैं। कोशिश करें कि बोर्ड वाले दोस्तोंं की बजाय कजिन या उनसे बात करें, जिनके साथ समय बिता कर आप रिलैक्स फील करते हैं।

3. स्ट्रेस दूर करने के लिए म्यूजिक सुनना भी अच्छा विकल्प है। वॉक पर जाना या अपने पेट के साथ खेलने से भी माइंड रिलैक्स रहता है।

4. अपने डेली रूटीन को बिल्कुल डिस्टर्ब न करें। कई लोग एग्जाम के समय रात-रात भर पढऩे लगते है। इससे माइंड और बॉडी का कोऑर्डिनेशन बिगडऩे लगता है।

5. रिवीजन के समय रीडिंग की जगह राइटिंग पर दें जोर। समय कम है ऐसे में सभी सब्जेक्ट्स की डीप स्टडी की जगह हर सब्जेक्ट को मिला कर पढ़ें।

6. पॉजिटिव रहें। अपने दिमाग पर निगेटिविटी हावी न होने दें।

7. अपने मेंटर के टच में रहें, उनसे अहम टॉपिक्स पर बात करते रहें।

क्या न करें

1. एग्जाम की तैयारी के दौरान मोबइल फोन से दूर रहें। रिलैक्स करने के लिए जो समय निकालें उसमें टीवी न देेखें। कोई भी ऐसी एक्टिविटी न करें जिससे डिस्ट्रैक्शन हो।

2. डीप स्टडी पर न जाएं। डीप स्टडी से आपको लगेगा कुछ पढ़ा ही नहीं है और तनाव बढ़ेगा।

3. डेली रूटीन को डिस्टर्ब न करें। कई स्टूडेंट्स रात-रात भर पढ़ते हैं। ऐसा करने पर बीमार होने के चांस बढ़ जाते हैं।

4. कुछ बच्चे पूरी तरह से दुनिया से कट जाते हैं, यह करना भी गलत है।

5. डाइट के साथ कॉम्प्रोमाइज न करें। खाने-पीने का ध्यान रखें। फास्ट फूड और ऑयली फूड से बचें।

पेंरेंट्स के लिए टिप्स

-अपने बच्चे को एक्सपेक्टेशन जैसे गैरजरूरी दबाव से दूर रखें। उसको हमेशा पॉजिटिव रखने का प्रयास करें।

-पेरेंंट्स को चाहिए कि बीच-बीच में अपने बच्चों से बात करते रहें। इससे उन्हें बच्चे की नर्वसनेस का अंदाजा रहेगा। इस दौरान पेरेंट्स से अच्छा गाइड कोई नहीं हो सकता।

-बच्चों को बताएं कि यह परफॉर्म करने का आखिरी मौका नहीं है। बच्चा अगर उम्मीद के मुताबिक परफॉर्म न भी कर पाए, तो भी उसके साथ पॉजिटिव रहें।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

तैयारी के दौरान अपनी पढ़ाई की मुद्रा का विशेष ध्यान रखें। कुर्सी व मेज पर पढऩा सबसे अच्छा विकल्प रहेगा। बेड पर बैठ कर पढ़ रहे हैं तो तकिया की टेक लगाकर न पढ़ें। सीधे और सहज मुद्रा में बैठे। बैठने की मुद्रा से कॉन्सन्ट्रेशन पर पॉजिटिव व निगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है। इसका खास ख्याल रखें।

-डॉ। डीके वर्मा, स्टेट काउंसलर

तैयारी के दौरान थोड़ा स्ट्रेसफुल होना आपको बेहतर परफॉर्मेंस के लिए मोटिवेट करता है। बहुत स्ट्रेस और एकदम स्ट्रेस फ्री होने ही कंडीशन में बच्चा परफॉर्म नहीं कर पाता। ऐसे में स्ट्रेस के साथ पूरी तरह रिलैक्स होकर अपना बेस्ट परफॉर्म करें।

-डॉ। आशुतोष श्रीवास्तव, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट

स्टूडेंट्स अपनी तैयारी को दो शिफ्ट में डिवाइड कर लें। ईवनिंग में 6 बजे से लेकर डिनर के समय तक और डिनर के बाद रात 11 से 12 बजे तक पढ़ें। इसके अलावा सोने के बाद सुबह 7 या 8 बजे से लंच टाइम तक तैयारी करें। बीच के समय रिलैक्स करें। इससे माइंड स्ट्रेस फ्री होगा, बॉडी और माइंड का कोऑर्डिनेशन बेहतर होगा।

-प्रो। विवेक मिश्रा, करियर काउंसलर