- कोरोना के मरीज कम होने से राजधानी के अस्पतालों में सब कुछ हो गया सामान्य

- किसी भी कोविउ अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है

LUCKNOW:

पहले जहां 20 से 30 अप्रैल के बीच राजधानी के अधिकतर कोविड अस्पतालों में मरीजों को बेड नहीं मिल रहे थे। ऑक्सीजन की कमी का भी मरीजों को सामना करना पड़ रहा था और कई मरीजों की मौत अस्पताल के गेट पर ही हो गई थी। वहीं अब कोविड अस्पतालों में हालात पूरी तरह काबू में आ चुके हैं। यहां अब न तो बेड की मारामारी है और ना ही ऑक्सीजन की कोई कमी है। यह सामने आया दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियॉलिटी चेक में

सिविल अस्पताल

समय- 1:45

रजिस्ट्रेशन काउंटर पर सन्नाटा

15 दिन पहले कोविड मरीजों से पूरी तरह फुल रहने वाले सिविल अस्पताल में पूरी तरह सन्नाटा दिखाई दिया। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर जहां सिर्फ एक-दो लोग ही नजर आए, वहीं कोविड जांच के लिए जानकारी लेने वाले भी नहीं दिखाई दिए। अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि अब यहां कोरोना संक्रमित मरीजों के आने की संख्या भी काफी कम हो गई है।

केजीएमयू

समय- 12:00

ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं

केजीएमयू में पहले जहां कोविड जांच के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वालों की लंबी लाइन लगी रहती थी और रजिस्ट्रेशन के बाद जांच कराने के लिए भी लागों को घंटों परेशान होना पड़ता था, वहीं अब यहां कोरोना की जांच कराने वालों की संख्या पहले से काफी कम हो गई है। जिससे रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पूरी तरह सन्नाटा दिखाई दिया। यहां अप्रैल के अंतिम सप्ताह में जहां रोज दो से तीन ट्रक लिक्विड ऑक्सीजन रिफिल किया जाता था, वहीं अब इतनी अवधि में सिर्फ एक ट्रक ऑक्सीजन रिफिल किया जा रहा है। एक कर्मचारी ने बताया कि 20 से 30 अप्रैल के बीच कुछ मरीज तो अस्पताल के गेट पर ही दम तोड़ दे रहे थे। अब हालात पूरी तरह कंट्रोल में हैं।

बलरामपुर अस्पताल

समय- करीब 1:00 बजे

बदल गया पूरा माहौल

अप्रैल माह में जहां अस्पताल के बाहर एंबुलेंस और शव वाहनों की कतार लगी रहती थी, वहीं अब यहां सिर्फ एक-दो ऐसे वाहन ही खड़े नजर आए। यहां कोरोना के नए मरीजों के आने का सिलसिला करीब-करीब खत्म हो गया है। यहां एक नर्स ने बताया कि अप्रैल के अंतिम 15 दिनों में स्थिति काफी खराब हो गई थी। मरीज को भर्ती कराने के लिए तीमारदार घंटों रोते-गिड़गिड़ाते रहते थे। अब सब कुछ ठीक हो गया है।

चल रहा है सेवा कार्य

राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में अप्रैल माह से कई सामाजिक संगठनों ने भोजन-पानी आदि की व्यवस्था का काम शुरू किया था जो कोरोना के मरीज कम होने के बाद भी उसी तरह चालू है।

ऑक्सीजन की डिमांड कम

राजधानी के इन तीनों अस्पतालों में हालात सुधरने पर ऑक्सीजन की डिमांड भी करीब 40 से 50 फीसद कम हो गई है। केजीएमसी में जहां रोजाना ग्रास रूट वेट के 31,000 किलोग्राम की गाडि़यां दो से तीन अस्पताल के ऑक्सीजन को रिफिल करती थीं वही अब दो से 3 दिन में एक गाड़ी की जरूरत पड़ रही है।