लखनऊ (ब्यूरो)। यदि भारतीय संस्कृति पर नजर डाली जाये तो पता चलेगा कि संगीत, साहित्य, चित्रकला तथा नाट्य कला का विकास आध्यात्मिक विकास के साथ ही हुआ है। हमारी संस्कृति में विभिन्न परंपरा के लोग शामिल हैं। ये हमें एक साथ जोड़कर लोगों में प्रेम बांटना सिखाते हैं। ये बातें मंगलवार को राजभवन लखनऊ के गांधी सभागार में गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के सम्मानों से 18 विद्वानों को अलंकृत करते हुये कहीं। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के संस्कृति मंत्रियों और अधिकारियों की उपस्थिति में सांस्कृतिक अनुबंध भी हुआ।

युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा बनेंगे

देश-प्रदेश की समृद्ध संस्कृति का उल्लेख करते हुए गवर्नर ने अकादमी के कार्यों की प्रशंसा की और सम्मानित विभूतियों को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान इन कलाकारों ने अपनी योग्यता के बल पर प्राप्त किया है। मुझे विश्वास है कि इन कलाकारों की योग्यताएं युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। उन्होंने कहा कि संस्कृति बोध से मैं यह महसूस करती हूं कि संगीत और कला एक साधना भी है और भावना भी। जो अव्यक्त को व्यक्त कर दे वह शब्द है। जो व्यक्त में ऊर्जा और चेतना का संचार कर दे, वह नाट्य है जो चेतन में भाव और भावना भर दे और उसे संवेदना की पराकाष्ठा तक पहुंचा दे तो वह संगीत है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन

आयोजन के दौरान गवर्नर ने अनेक राज्यों की लोक संस्कृति के प्रदेश में हुए आयोजनों का जिक्र करते हुए उम्मीद जाहिर की कि एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत आज उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच एक दूसरे राज्य की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किया गया यह समझौता सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाएगा। इस दौरान उत्तर प्रदेश के लोक कलाकारों की टोली ने ढेढिया नृत्य की मनोहारी झलक दिखायी। तो मध्य प्रदेश के लोक नर्तकों ने जोश भरे गुदुमबाजा लोकनृत्य की जोश भरी प्रस्तुति दी।

समझौते पर हुआ हस्ताक्षर

वहीं, प्रदेश संस्कृति व पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश अभिनव संस्कृति वाला प्रदेश है। एक समझौता गुजरात मैत्री दिवस के अवसर पर भी हो चुका है। काशी में हुए तमिल समागम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक दूसरे की सीमा से जुड़े उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों की संस्कृतियों के बीच पहले से ही गहरे संबंध रहे हैं। मध्य प्रदेश की संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने दोनों राज्यों की संस्कृति और आत्मिक रिश्तों का हवाला देते हुये कहा कि मध्यप्रदेश अगर देश का हृदय प्रदेश है तो उत्तर प्रदेश देश की आत्मा है। इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति व पर्यटन मुकेश मेश्राम और मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ल ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।

गवर्नर ने इनका किया सम्मान

समारोह में गवर्नर ने ताम्रपत्र और अंगवस्त्र देकर कथक गुरु डॉ। पूर्णिमा पांडे, उपशास्त्रीय व सुगम संगीत गायक युगांतर सिंदूर, रंगमंच समीक्षा के लिए श्रद्वेय कुंवरजी अग्रवाल की जगह उनके पुत्र को और लोकगायन के लिए उर्मिला श्रीवास्तव को अकादमी की रत्न सदस्यता से अलंकृत किया। उन्होंने बीएम शाह पुरस्कार निर्माता निर्देशक व अभिनेता डॉ। चंद्रप्रकाश द्विवेदी को और सफदर हाशमी पुरस्कार मुंबई के विपुल कृष्ण नागर को प्रदान किया। इसके अलावा अकादमी पुरस्कार से वाराणसी के महंत प्रो। विशंभरनाथ मिश्र व डॉ। अनंत नारायण सिंह को संयुक्त रूप से संगीत कला उन्नयन, बरेली के डॉ। बृजेश्वर सिंह को नाट्य कला उन्नयन, गोरखपुर के डॉ। शरदमणि त्रिपाठी को शास्त्रीय गायन, गौतमबुद्धनगर के ब्रह्मपाल नागर को रागिनी लोकगायन, लखनऊ के पं। रामेश्वर प्रसाद मिश्र को शास्त्रीय गायन, वाराणसी के युवा नर्तक विशाल कृष्णा को कथक नृत्य, महोबा के भूरा यादव राकेश को राई लोकनृत्य, लखनऊ के रंगकर्मी अनिल मिश्रा गुरुजी को नाट्य निर्देशन, वाराणसी के रंगकर्मी अष्टभुजा मिश्र को नौटंकी अभिनय व निर्देशन, वाराणसी के पं। विनोद लेले को तबला वादन और शहनाई वादन के लिए वाराणसी के ही फतेह अली खां की उनुपस्थिति में उनके भाई को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विशेष सचिव संस्कृति अमरनाथ उपाध्याय, अकादमी के निदेशक तरुण राज, पद्मश्री विद्याविंदु सिंह, पद्मश्री मालिनी अवस्थी, फिल्म अभिनेता डॉ। अनिल रस्तोगी समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

डॉ। बृजेश्वर सिंह भी हुए सम्मानित

वरिष्ठ ट्रॉमा सर्जन, रंगकर्मी, लेखक व कवि डॉ। बृजेश्वर सिंह को उत्तर प्रदेश संगीत नाट्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें थिएटर के क्षेत्र में निरंतर नवीन प्रयोगों के लिए दिया गया। इस दौरान उन्होंने बताया कि अकादमी द्वारा मिला थिएटर उन्नयन अवॉर्ड मेरे लिए सचमुच बड़ा सम्मान है। मेरे साथ दो दशकों से भी अधिक समय से थिएटर की सेवा में जुटे तमाम कलाकारों के प्रयासों को आज सम्मान दिया गया है। हम पहले से भी अधिक लगन और मेहनत के साथ थिएटर की सेवा में जुटेंगे।