लखनऊ (ब्यूरो)। साइबर क्रिमिनल्स जालसाजी के तरीकों में लगातार बदलाव कर रहे हैं। आए दिन वे ठगी के नए तरीकों से लोगों की मेहनत की कमाई लूट रहे हैं। बात चाहे सोशल मीडिया की हो या ऑनलाइन शॉपिंग की, आपको हर तरफ ठगी करने वाले मिल ही जाएंगे। इनका तरीका ऐसा होता है कि लोग आसानी से इनके चंगुल में फंस जाते हैं। पिछले कुछ महीनों से राजधानी में भी कुछ लेटेस्ट तरीकों से ठगी की गई है

एआई के जरिये आपके डेटा का यूज

इन दिनों साइबर पुलिस के पास ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से ठगी के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इसमें ठग आपके सोशल मीडिया अकाउंट पर जाकर आपकी फोटो या फिर आवाज कॉपी करते हैं। इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आपकी आवाज से वॉयस मैसेज तैयार करते हैं। इसके बाद इस आवाज से लोगों को अपना निशाना बनाते हैं। इसमें जालसाज ज्यादातर रिश्तेदार बनकर इसका फायदा उठाते हैं। लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि कॉलर उनका अपना रिश्तेदार नहीं, बल्कि एक जालसाज है और इसी झांसे में आकर वह सामने वाले के खाते में पैसा ट्रांसफर कर देता है।

हिडेन एप इंस्टॉल करके

इन दिनों साइबर जालसाज हिडेन एप का भी खूब यूज कर रहे हैं। जल्दी पैसा कमाने या फिर अन्य लालच देकर आपके मोबाइल पर एक लिंक भेज देते हैं, जैसे ही लिंक पर क्लिक होता है, हिडेन एप अपना काम शुरू कर देता है और कब ये आपके मोबाइल में इंस्टॉल हो जाता है इसकी भनक तक नहीं लगती है। मोबाइल में इंस्टाल होने के बाद डेटा का पूरा एक्सेस जालसाजों के पास पहुंच जाता है। यानी मोबाइल तो आपके पास है, लेकिन यूज जालसाज करते हैं और फिर मोबाइल नंबर से लिंक खातों से रुपये उड़ा दिए जाते हैं। साइबर पुलिस इस तरह की ठगी पर लगाम लगाने के लिए लगातार काम कर रही है।

मिस्ड कॉल के जरिये चपत

जालसाजों का ठगी करने का एक ये भी तरीका है। इसमें जालसाज अपने टारगेट को दो से तीन बार मिस्ड कॉल करते हैं, इसके बाद अचानक उस शख्स के फोन से मोबाइल सिग्नल चला जाता है, इसी दौरान ठग रुपये उड़ाते हैं। ऐसे ही कुछ केस की जांच के बाद पुलिस को पता चला कि इस तरह की ठगी सिम स्वैपिंग की जरिये हो रही है। इसमें मिस कॉल करने के बाद ठग आपके नंबर का डुप्लिकेट सिम निकलवा लेते हैं और उस सिम को अपने फोन में लगाते हैं। डुप्टिकेट सिम निकलते ही आपका सिम बंद हो जाता है। इसके बाद आपके सारे ओटीपी का एक्सेस ठगों के पास होता है और वह आसानी से ठगी कर लेते हैं।

वाट्सएप हैक करके

वाट्सएप सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। इसमें जालसाज किसी शख्स को अलग-अलग तरीकों से संपर्क करते हैं, उन्हें किसी क्लास में शामिल होने, या कमाई का झांसा देकर एक लिंक पर क्लिक करने को कहते हैं, लिंक पर क्लिक करते ही एक ओटीपी आता है, जिसे वे मांग लेते हैं। इस ओटीपी को डालते ही ठगों के पास सामने वाले के वाट्सएप का एक्सेस चला जाता है। यानी आपके फोन से लॉगआउट होकर उसके फोन में लॉगिन हो जाता है। इसके बाद ठग आपके वाट्सएप से आपके दोस्तों और रिश्तेदारों को मैसेज कर मदद मांगते हैं, क्योंकि मैसेज आपके नंबर से गया होता है इसलिए लोग इस पर भरोसा करके पैसे दे देते हैं।

लोन डिफॉल्टर पर नजर

तीन साल पहले कोरोना काल में तंगी की वजह से कई लोगों की नौकरी गई, तो कईयों का बिजनेस चौपट हो गया था। ऐसे में आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर अधिकतर लोगों ने लोन ले लिया था। इसके तहत साइबर क्रिमिनल्स ऐसे लोगों को कॉल करते हैं जिनका लोन डिफॉल्ट हो चुका है, कॉल पर ये लोग लोन को कम अमाउंट में सेटलमेंट कराने का झांसा देते हैं और सेटलमेंट प्रोसेस के लिए एडवांस पैसा जमा कराने के नाम पर ठगी करते हैं। वहीं, कई मामलों में ये लोग डिफॉल्टर को पुलिस अधिकारी बनकर कॉल करते हैं और कानूनी कार्रवाई करने की धमकी देकर रकम ऐंठ रहे हैं।

इन तरीकों से भी फ्रॉड

- मैट्रीमोनियल साइट से फ्रॉड

- सेक्सटॉर्शन व फ्रेंडशिप के नाम पर ठगी

- एटीएम क्लोनिंग के नाम पर ठगी

- ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर ठगी

- रेड मारने की धमकी देकर ठगी

- खुद को पुलिस अधिकारी बताकर ठगी

ऐसे करें बचाव

- अगर आपके पास कोई रिक्वेस्ट आए तो उसे वैरिफाई करें।

- बिना सोचे-समझे किसी को भी पैसा न भेजें।

- ठगी का शिकार होने पर सूचना साइबर पुलिस को दें।

- किसी भी अंजान लिंक पर क्लिक न करें

- सोशल मीडिया पर अपने अकाउंट को प्राइवेट रखें।