लखनऊ (ब्यूरो)। यूपी बोर्ड परीक्षा के परिणाम से पहले छात्र-छात्राओं को फोन कर वसूली करने का मामला सामने आया है। इसका खुलासा खुद माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने किया है। उन्होंने इस संबंध में सभी जिलों के डीआईओएस को निर्देश दिया है कि वे स्कूल के माध्यम से बच्चों तक यह सूचना प्रेषित करवाएं कि वे ऐसे किसी झांसे में न आएं। ज्ञात हो कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा का मूल्यांकन और प्रायोगिक परीक्षा पूरी होने के बाद बोर्ड का पूरा अमला परिणाम तैयार करने में जुटा है। इस बीच मेरठ, गाजियाबाद, लखनऊ और वाराणसी आदि जिलों से वसूली की शिकायत मिल रही हैं। असामाजिक तत्व अंक बढ़वाने या स्टूडेंट्स को फेल से पास करवाने के नाम पर रुपयों की मांग कर रहे हैं। सचिव ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्र लिखकर ऐसी घटना का पता चलने पर तत्काल एफआईआर दर्ज कराने को कहा है।

झारखंड-छत्तीसगढ़ के निकले नंबर

बोर्ड परीक्षा में पास कराने के नाम पर रुपये वसूलने वालों के नंबर झारखंड और छत्तीसगढ़ के पते पर जारी हुए हैं। इसका खुलासा मेरठ, गाजियाबाद और वाराणसी के स्टूडेंट्स को जिस नंबर से कॉल आई थी, उनकी जांच में हुआ। नंबर बढ़वाने के नाम पर बोर्ड स्टूडेंट्स को फोन करने के मामले पिछले वर्षों में भी सामने आ चुके हैं। पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के पूर्व सभापति अमरनाथ वर्मा के एक रिश्तेदार को फोन कर नंबर बढ़ाने का मामला आया था। इस मामले में भी एफआईआर दर्ज हो चुकी है।

बोर्ड का कर्मचारी बनकर देते हैं झांसा

ऐसे करने वाले शातिर खुद को बोर्ड ऑफिस का कर्मचारी बताकर झांसा दे रहे हैं। पूर्व के वर्षों में ये शातिर बच्चों या उनके अभिभावक से अपने खाते में सीधे रुपये ट्रांसफर करने को कहते थे, लेकिन इस साल नंबर बढ़वाने के लिए पहले मिलने को बोल रहे हैं।

कैसे बचें साइबर क्रिमिनल्स के जाल से

बोर्ड ऑफिस का कोई कर्मचारी नंबर बढ़ाने के नाम पर बच्चों को फोन नहीं करता है। किसी भी स्टूडेंट के पास ऐसी कॉल आती है तो उसे तत्काल डीआईओएस, अपने स्कूल के प्रधानाचार्य या शिक्षक के अलावा पुलिस को सूचित करना चाहिए। नंबर बढ़वाने या फेल से पास करवाने का कोई दावा करे तो उसकी कॉल रिकॉर्ड कर लें।

कैफे से फॉर्म भरवाने में लीक हो रहे नंबर

10वीं-12वीं के छात्र-छात्राओं के नंबर पर साइबर अपराधियों के फोन जाने से बोर्ड की गोपनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्कूलों के प्रधानाचार्य बोर्ड के पोर्टल पर छात्र-छात्राओं से संबंधित सूचनाएं भेजते हैं और सारी सूचनाएं स्कूल, डीआईओएस कार्यालय व बोर्ड ऑफिस के बीच रहती है। ऐसे में, साइबर अपराधियों तक नंबर पहुंचना कई सारे सवाल खड़े करता है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ वर्षों में बोर्ड के सारे कार्य ऑनलाइन हो गए हैं।

अंक बढ़ाने या फेल से पास कराने के लिए कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों को फोन कर प्रलोभन दिया जा रहा है। छात्र-छात्राओं व अभिभावकों से अनुरोध है कि प्रलोभन में न आएं।

- दिव्यकांत शुक्ल, सचिव, यूपी बोर्ड