- विभूतिखंड स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल में घटना से सनसनी

- दूसरी लाश लेने पहुंचे परिजन तो पता चली गड़बड़ी

LUCKNOW: सोचिए तब क्या हो जब हॉस्पिटल में एडमिट बुजुर्ग महिला की मृत्यु हो जाए और जब परिजन लाश लेने पहुंचे तो पता चले कि लाश कोई और ले गया। इतना तक भी ठीक है लेकिन, अगर यह पता चले कि लाश का दूसरे परिवार ने अपने धार्मिक रीतिरिवाज से अंतिम संस्कार भी कर दिया तो उस मृतका के परिवार पर क्या गुजरेगी। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया विभूतिखंड एरिया में, जहां एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एक ही दिन दो महिलाओं का निधन हुआ और एक के परिजन दूसरी महिला की लाश को ले गए और अंतिम संस्कार कर दिया। मामला संज्ञान में आने पर हड़कंप मच गया। इंस्पेक्टर विभूतिखंड ने बताया कि पीडि़त परिवार की तहरीर पर जांच की जा रही है।

आईसीयू में चल रहा था इलाज

इंस्पेक्टर विभूतिखंड राजीव द्विवेदी के मुताबिक, गोमतीनगर के विवेकखंड निवासी अर्चना गर्ग (70) को न्यूरो की समस्या होने की वजह से इलाज के लिये विभूतिखंड स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। उन्हीं की तरह अलीगंज निवासी इशरत मिर्जा (70) को भी न्यूरो की बीमारी होने की वजह से इसी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। दोनों ही महिलाओं की हालत नाजुक होने की वजह से हॉस्पिटल के न्यूरो मेडिसिन के आईसीयू में इलाज चल रहा था।

एक ही दिन हुआ निधन

इंस्पेक्टर द्विवेदी ने बताया कि बीती 11 फरवरी को दोनों ही महिलाओं का निधन हो गया। जिसके बाद उनके शव हॉस्पिटल की म‌र्च्युरी में रख दिये गए। जिसके बाद अर्चना गर्ग के परिजन मच्र्युरी पहुंचे और वहां रखी दो लाशों में से एक महिला की लाश लेकर चले गए। इशरत मिर्जा के तीनों बेटे लखनऊ से बाहर रहते हैं, लिहाजा, उनके आने पर 12 फरवरी को वे लोग लाश लेने हॉस्पिटल की मच्र्युरी पहुंचे। लेकिन, वहां का नजारा देख उनके होश उड़ गए। मच्र्युरी में उनकी मां इशरत की लाश गायब थी। परिजनों ने पुलिस को इसकी सूचना दी। जानकारी मिलने पर पहुंची पुलिस ने जब जांच की तो पता चला इशरत मिर्जा की लाश अर्चना गर्ग के परिजन ले गए।

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उड़ गए होश

पुलिस ने अर्चना गर्ग के पति जीके गर्ग को कॉल किया तो पता चला कि वे लोग तो जिस लाश को अर्चना की लाश समझ कर लाए थे उसका दाह संस्कार मंगलवार को ही भैंसा कुंड श्मसान घाट पर कर दिया था। गर्ग ने उन्हें बताया कि वे लोग प्रयागराज में हैं और मृतका की अस्थियां भी संगम में विसर्जित कर चुके हैं। यह सुनकर इशरत के परिजनों के होश उड़ गए।

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मौलाना ने निकाला हल

इंस्पेक्टर राजीव द्विवेदी ने बताया कि इशरत के परिजनों ने इस अनहोनी का शरीयत की रोशनी में हल निकालने के लिये मौलाना को बुलाया। मौलाना ने पूरी समस्या सुनने के बाद कहा कि अगर मृतका के शरीर का एक भी रेशा मिल जाए तो उसे दफना कर फातिया पढ़ने से मृतका का अंतिम संस्कार मान लिया जाएगा। इसके बाद हॉस्पिटल पहुंचे जीके गर्ग व परिजनों ने बताया कि दोनों महिलाओं की शक्ल काफी मिलती जुलती थी। बीमारी की वजह से दोनों का चेहरे में सूजन आ गई। जिसकी वजह से उनसे पहचानने में गलती हो गई। इशरत के परिजनों के साथ भैंसा कुंड श्मसान घाट पहुंचे और मृतका की बाकी बची अस्थियां लेकर वापस कब्रिस्तान पहुंचे जहां उनका इस्लामी विधि से दफनाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया।