- छात्रा को लेकर खुद फैकेल्टी आए थे कुलसचिव, मदद करने की बात कहीं थी

- पेपर लीक में लॉ फैकेल्टी के किसी भी शिक्षक के शामिल होने से किया इंकार

- वायरल ऑडियो में अपने किसी भी शिक्षक के शामिल होने से किया इंकार

LUCKNOW : लखनऊ यूनिवर्सिटी के तत्कालीन रजिस्ट्रार और वर्तमान वीसी एसके शुक्ला ही महिला परीक्षार्थी रिचा मिश्रा को न्यू कैंपस स्थित लॉ फैकल्टी के शिक्षकों से मिलाने लाए थे। उन्होंने रिचा की पहचान कराते हुए कहा था कि ये एलएलबी थर्ड सेमेस्टर में नर्वदेश्वर कॉलेज में पढ़ती हैं आप सब इनकी हेल्प करिएगा। यह खुलासा शनिवार को डीन लॉ प्रो। सीपी सिंह ने न्यू कैंपस स्थित लॉ फैकेल्टी में प्रेस कांफ्रेंस में किया। इस अवसर पर उनके साथ फैकल्टी के अन्य शिक्षक भी मौजूद थे। उन्होंने फैकेल्टी के सभी शिक्षकों का मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि अगर शिक्षक किसी को महत्वपूर्ण सवाल बताता है और उसमें से 50 से 80 प्रतिशत सवाल परीक्षा पेपर में आ जाते हैं तो उसे पेपर लीक कहना गलत है। वहीं उन्होंने सभी वायरल ऑडियो और कुलसचिव के लॉ फैकेल्टी में छात्रा को लेकर आने के मामले की जांच करने की बात कही।

कोई काम बता दीजिए कैंपस क्यों आना

डीन लॉ प्रो। सीपी सिंह ने कहा कि बात 12 अक्टूबर से कुछ दिन पहले की है उस समय कुलसचिव रहे (वर्तमान कार्यवाहक वीसी) एसके शुक्ल का फोन आया था। बोले हमें आपसे मिलना है, मैंने पूछा सर कोई काम हो तो बता दीजिए। इस पर वह बोले। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके लिए बगैर जाए काम नहीं होता, इसलिए आना है। मेरी याद में 12 अक्टूबर को वह न्यू कैंपस स्थित फैकल्टी पहुंचे, उसी समय शेखर हॉस्पिटल की डायरेक्टर रिचा मिश्रा भी आ गई।

डेढ़ घंटे रुके चाय पी और

डीन प्रो। सीपी सिंह ने बताया कि एसके शुक्ल करीब डेढ़ घंटे तक कार्यालय में बैठे। इसके बाद उन्होंने रिचा का परिचय कराया। फिर कहा कि आप सब लोग इनकी मदद कीजिएगा। इसके बाद वह चले गए। जब डीन से पूछा गया कि हेल्प का मतलब क्या है तो उन्होंने बताया कि हेल्प तो एडमिशन और परीक्षा के समय ही की जाती है। उन्होंने शिक्षकों का बचाव करते हुए बोला कि किसी ने पेपर नहीं बल्कि सिलेबस बताया था। अगर कोई कहता है कि पेपर बता दीजिए तो एक दो महत्वपूर्ण प्रश्न बताए जा सकते हैं। ऑडियो के घेरे में आए प्रो। आरके सिंह कुलपति के परिचित थे इसलिए उनसे सीधी बता होती थी।

महत्वपूर्ण सवाल बताना पेपर लीक नहीं

लॉ फैकेल्टी के शिक्षक डॉ। अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि अगर परीक्षा में 50 से 80 प्रतिशत तक बताए गए सवाल आते हैं तो इसे पेपर लीक करना नहीं कहा जा सकता है। अगर छात्रा को पेपर बताना होता तो पूरा का पूरा बताया जाता। एक-दो प्रश्न तो महत्वपूर्ण सवाल पूछने में आते हैं। वहीं ऑडियो में पेपर बताने की बात पर उन्होंने कहा कि ये जांच का विषय है। साथ ही कहा कि आखिर पेपर किसने बताया। इस घटना से लॉ के शिक्षकों की छवि धूमिल हुई है। उनके मुताबिक छात्रा रिचा की पृष्ठभूमि के बारे में कुलपति पूरी तरह जानते थे। शिक्षकों पर इसको लेकर दबाव डाला गया। उन्होंने कहा कि वायरल ऑडियो किसका है यह पता नहीं। यूनिवर्सिटी से जुड़े 17 से 18 कॉलेज हैं। पेपर यहां के भी शिक्षक बनाते हैं। ऐसे में परीक्षा नियंत्रक के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं पता कि कौन से पेपर का पेपर आएगा। फिलहाल उन्होंने पूरे मामले की जांच करने की मांग की है।