लखनऊ (ब्यूरो)। डेंगू का प्रकोप इन दिनों हर ओर देखने को मिल रहा है, जिसकी वजह से शरीर में प्लेटलेट्स की कमी होने लगती है। कई लोग इस दौरान अपना देसी इलाज में भी कर रहे हैं। जहां प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए पपीते के पत्ते का रस, बकरी का दूध जैसे नुस्खे अपनाए जा रहे हैं। हालांकि, डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसी कोई रिसर्च नहीं हुई है जिससे पता चलता हो कि इन चीजों के सेवन से शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ती है। उलटा इनके अधिक इस्तेमाल से हाजमा जरूर खराब हो सकता है। ऐसे में बिना डॉक्टरी सलाह के कोई इलाज खुद से करने से बचें।

ऐसी कोई रिसर्च नहीं

पबमेड में 2019 में पब्लिश हुई एक स्टडी के अनुसार, पपीते के अर्क का प्लेटलेट्स बढ़ने से कोई स्पष्ट संबंध नहीं है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि इसके इस्तेमाल से शरीर में प्लेटलेट्स बढ़ती हैं। संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी विभाग के हेड डॉ। प्रवीर राय ने बताया कि ऐसी कोई स्टडी नहीं है जिससे पता चल सके कि पपीते के पत्तों का जूस या अर्क का सेवन करने से डेंगू में फायदा होगा। वहीं, अगर किसी भी दवा आदि का अधिक इस्तेमाल किया जाये तो वह शरीर को नुकसान ही करेगा। लोगों को सुनी-सनाई बातों में आकर खुद से अपना इलाज करने से बचना चाहिए। डेंगू होने पर अपने डॉक्टर की सलाह मानें, लिक्विड डायट लें और अच्छी तरह रेस्ट करें।

समय से घटता-बढ़ता है प्लेटलेट्स

केजीएमयू के गैस्ट्रो विभाग के एचओडी डॉ। सुमित रूंगटा ने बताया कि डेंगू में अकसर प्लेटलेट्स कम होने की समस्या देखी जाती है। पर यह बीमारी के समय के अनुसार घटता और बढ़ता रहता है, जो अमूमन 5-7 दिनों तक का होता है। इसी दौरान कई बार लोग पपीते के पत्ते का रस या अर्क या फिर बकरी का दूध आदि का सेवन करने लगते हैं। उनको लगता है कि इसके सेवन से उनका प्लेटलेट्स काउंट बढ़ेगा, जबकि ऐसी कोई स्टडी नहीं है कि जो इसे स्थापित कर सके। वहीं, इसके ज्यादा सेवन से गैस्ट्राइटिस की समस्या हो सकती है। डेंगू के दौरान पेट की समस्या सबसे कॉमन होती है। इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी इलाज खुद से नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, मरीज दर्द व बुखार की भी दवा खाते हैं। इसकी वजह से भी पेट की समस्या होती है। ऐसे में, यह कहना भी मुश्किल होगा कि केवल पपीते के पत्ते के कारण ऐसा हुआ।

ऐसी कोई स्टडी नहीं है, जो बताए कि पपीते के अर्क के सेवन से प्लेटलेट्स बढ़ते हैं। प्लेटलेट्स समय के साथ घटती-बढ़ती हैं, इसलिए कई बार मरीजों को लगता है कि इन चीजों के सेवन से उन्हें फायदा हुआ है, जोपूरी तरह से ठीक नहीं है।

-डॉ। सुमित रूंगटा, केजीएमयू