- भक्तों ने पूरे विधि-विधान के साथ घरों में किया कन्या पूजन

- दुर्गा पूजा पंडालों में समिति के सदस्यों के बीच ही हुई संधि पूजा

LUCKNOWकोरोना प्रोटोकॉल के बीच शनिवार को राजधानी में अष्टमी व नवमी मनाई गई। बंगाली समाज की ओर से ढाक की धुन और धुनुचि आरती के बीच मंत्रोच्चारण करते पुरोहितों ने संधि पूजा कराई। संधि पूजा के दौरान इस बार पंडालों में सन्नाटा ही छाया रहा क्योंकि कोरोना की वजह से अधिकतर जगहों पर समितियों के सदस्य ही इस पूजा में शामिल हुए।

ढाक की धुन के बीच संधि पूजन

बंगाली समाज द्वारा संधि पूजन सुबह 11 बजे से विधि विधान के साथ शुरू हुआ, जिसमें खासतौर पर कमल के फूलों का यूज किया गया। संधि पूजा में मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। कई जगहों पर कमेटी की महिला सदस्यों द्वारा धुनुचि आरती के साथ ढाक की धुन पर नृत्य किया गया। बंगाली क्लब के अध्यक्ष अरुण बनर्जी ने बताया कि सीमित लोगों की मौजूदगी में संधि पूजन किया गया। ट्रांसगोमती नगर दुर्गा पूजा एवं दशहरा कमेटी के संयोजक तुहिन बनर्जी ने बताया कि अलीगंज के चंद्रशेखर पार्क के सामने 108 दीपकों संग संधि पूजा की गई। छावनी दुर्गा पूजा कमेटी के प्रवक्ता निहार डे ने बताया कि पूजन के दौरान मां से कोरोना के संहार की कामना की गई। श्रीरामकृष्ण मठ में अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथा नंद के सानिध्य में मां का आह्वान किया गया।

मंदिरों में उमड़ी भीड़

वहींघरों व मंदिरों में मां के महागौरी व सिद्धिधात्री स्वरूप की पूजा की गई। जिसके लिए सुबह से ही मंदिरों में लोग दर्शनों के लिए उमड़ पड़े। भक्तों को प्रोटोकॉल के तहत ही थर्मल स्कैनिंग व उचित दूरी का पालन कराते हुए ही मंदिरों में प्रवेश दिया गया। इस दौरान जय मातादी के जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया। संदोहन देवी मंदिर, छोटी व बड़ी कालीजी मंदिर, दुर्गा मंदिर, पूर्वी देवी मंदिर व संकटा देवी मंदिर समेत अन्य दुर्गा मंदिरों में मां का भव्य श्रृंगार किया गया।

विधि-विधान से कन्या पूजन

वहीं व्रत का पारण करने से पूर्व लोगों द्वारा कन्या पूजन किया गया। कोरोना के कारण इस बार अधिकतर लोगों ने मंदिरों या आसपास के इलाकों में जाकर कन्याओं को हलवा, पूरी व चना का भोग लगाया और दान दिया। इस दौरान भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया गया।

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कल होगा मूर्ति विसर्जन

दुर्गा पूजा विसर्जन कमेटी के अध्यक्ष रूपेश मंडल ने बताया कि सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार विसर्जन 26 अक्टूबर को किया जाएगा। विसर्जन झूलेलाल वाटिका में बनाए जाने वाले जलकुंड में होगा। सभी से अपील है कि वे छोटे वाहन में माता की प्रतिमा लेकर पांच श्रद्धालुओं के साथ ही विसर्जन के लिए आएं। विसर्जन की तस्वीरें कमेटी को उनके व्हाट्सएप पर भेजी जाएंगी। वहीं, बंगाली क्लब द्वारा मां की प्रतिमा का विसर्जन परिसर में ही किया जाएगा। साथ ही सिंदूर खेला के साथ मां को विदाई दी जाएगी।