- अपहरण की वारदातों की जांच और उस पर कार्रवाई को लेकर डीजीपी मुख्यालय ने जारी किये दिशानिर्देश

- अब सूचना मिलने के तुरंत बाद इंस्पेक्टर से लेकर एसपी को घटनास्थल पर पहुंचना जरूरी

LUCKNOW : कानपुर, गाजियाबाद और गोंडा में अपहरण की ताबड़तोड़ वारदातों के बाद आखिरकार डीजीपी मुख्यालय अलर्ट मोड पर आ गया है। डीजीपी एचसी अवस्थी ने सभी एडीजी, पुलिस कमिश्नर्स और सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को ऐसी वारदातों से निपटने के लिये एसओपी जारी की है। इसके तहत अब अपहरण की सूचना मिलने के तुरंत बाद संबंधित इंस्पेक्टर्स के साथ ही सीओ, एएसपी और एसपी को घटनास्थल का मुआयना करना होगा और फौरन मुकदमा दर्ज कर अपहृत को सकुशल बरामद करने की कार्रवाही शुरू करानी होगी। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर नामजद अभियुक्तों का पॉलीग्राफ टेस्ट, ब्रेन मैपिंग व नार्को टेस्ट भी कराने के निर्देश दिये गए हैं।

तुरंत बनानी होंगी पुलिस टीमें

डीजीपी द्वारा जारी एसओपी में कहा गया है कि अगर शिकायतकर्ता का स्पष्ट आरोप है कि किडनैपिंग किसी अपराध घटित करने के उद्देश्य से की गई है तो उसी अपराध के मुताबिक एफआईआर दर्ज की जाएगी। फिरौती से संबंधित अपराधों में बिना देरी धारा 364ए के तहत एफआईआर दर्ज करते हुए कार्यवाही की प्लानिंग की जाए। अपहृत या अपहृता की सकुशल बरामदगी के लिये इंस्पेक्टर, सीओ, एएसपी द्वारा कार्ययोजना और एसपी के साथ समन्वय बनाकर टीमों का गठन कर काम अलॉट किये जाएं।

दूसरे जिलों व राज्यों को भेजनी होगी जानकारी

एसओपी में कहा गया है कि फिरौती के लिये अपहरण के मामलों में 24 घंटे के भीतर अपहृत या अपहृता का फोटो सहित पूरा विवरण हासिल कर प्रदेश व देश के अन्य राज्यों में प्रेषित कर वहां से जानकारी हासिल किये जाने की कार्यवाही की जाए। इसके अलावा अगर अपहृत के पास मोबाइल फोन है तो उससे संबंधित डाटा जो उपलब्ध हो,जिले में एक्टिव सर्विलांस टीम से उसका टेक्निकल एग्जामिनेशन और एनालिसिस कराया जाये। अपहृत की बरामदगी के लिये स्पेशल टीम का गठन किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर एसटीएफ की मदद के लिये सीनियर अफसरों से संपर्क कर जानकारी देनी होगी। पूरे मामले की सीनियर अफसरों को लगातार निगरानी करनी होगी।