लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां राजधानी के थानों को स्मार्ट बनाने का दावा किया जाता है, तो दूसरी तरफ हकीकत यह है कि शहर के कई थानों का हाल बेहाल है। इन थानों में आने वाले फरियादियों को दी जाने वाली स्वच्छ पानी से लेकर अन्य बेसिक सुविधाएं नदारद हैं। यह हाल सिर्फ कुछ ही थानों का नहीं है, जबकि अधिकतर थानों में यही हाल है। जिसका खामियाजा यहां आने वाले फरियादियों को भुगतना पड़ता है। दावों की पोल उस दौरान खुल गई, जब शुक्रवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के कई थानों की पड़ताल की। हालांकि, कई जगहों के हालात बेहतर भी दिखे

शहर में कुल 53 थाने

शहर में कुल 53 थाने हैं। इन्हें पांच जोन और 13 सर्किल में डिवाइड कर दिया गया है। इन थानों के स्मार्ट थाना होने का दावा किया जाता है। हर एक थाने में रोजाना औसतन 50 से 80 फरियादी इस उम्मीद से आते हैं कि उनको इंसाफ मिल सके। वे कई-कई घंटे थानों में भूखे प्यासे बैठकर अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं। थानों में उनके बैठने, स्वच्छ पानी, टॉयलेट आदि की व्यवस्था होती है, लेकिन शहर के कुछ थानों को छोड़कर अधिकतर में फरियादियों को दिक्कतों का ही सामना करना पड़ता है, क्योंकि यहां पानी से लेकर अन्य व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं।

ठाकुरगंज थाना

कई वर्षों से नहीं हुई सफाई

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम शुक्रवार दोपहर 12.45 बजे ठाकुरगंज थाना पहुंची। फरियादियों की थाना परिसर से लेकर बाहर तक भीड़ जुटी रही। कोई अपनी शिकायत लेकर आ रहा था तो कोई साहब की कार्रवाई से खुश होकर वापस जा रहा था। यहां पर पानी की व्यवस्था तो थी, लेकिन गंदगी इतनी थी कि शायद ही कोई फरियादी यहां पानी पीता हो। यहां बैठे फरियादी किशन ने बताया कि पानी तो है, लेकिन टंकी इतनी गंदी है कि पानी पीने लायक नहीं है, लगता है वर्षों से सफाई नहीं हुई है।

दुब्बगा थाना

चारों तरफ फैली गंदगी

दुब्बगा थाने का हाल काफी हद तक ठीक है। यहां साफ-सफाई की व्यवस्था का काफी ख्याल रखा गया है। पर एक कमी यहां भी रही। पीने का पानी तो था, लेकिन जिस जगह नल था वहां पर गंदगी की भरमार थी। नल के चारों तरफ काई जमा थी, जिसकी वजह से फरियादी यहां पानी पीने से बचते नजर आए। नाम न बताने की शर्त पर एक पुलिसकर्मी ने बताया कि पानी की व्यवस्था तो है, लेकिन कई बार यहीं पर पान और गुटखा खाकर थूक दिया जाता है, जिससे गंदगी बनी रहती है।

चौक थाना

नल के पास जम गई काई

थानों के मुकाबले चौक थाना काफी स्वच्छ दिखा, लेकिन पानी की व्यवस्था यहां पर भी जस की तस है। थाने में आए एक फरियादी ने बताया कि पीने का पानी थाने के परिसर में लगा है, लेकिन यहां नल के पास गंदगी की भरमार है। नल के चारों तरफ काई जमा हुई है, यहां से पानी पीने का मन नहीं कर रहा। पानी की बोतल खरीद कर लाया हूं।

कैसरबाग थाना

टॉयलेट में टंगा ताला

कैसरबाग थाने में एंट्री करते ही बाईं ओर कूड़े का ढेर लगा दिखा। अंदर परिसर में पानी की व्यवस्था यहां भी चरमराई नजर आई। चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। हालांकि, यहां पर महिलाओं के लिए नया टॉयलेट बनाया गया है, लेकिन उसमें ताला जड़ा हुआ था। यहां पर तैनात पुलिस कर्मी ने बताया कि इसे अफसरों के आदेश के बाद ही खोला जाएगा। वहीं, इस संबंध में वेस्ट एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा का कहना है कि समय-समय पर थानों में साफ-सफाई की व्यवस्था की जाती है। स्वच्छ पानी सप्लाई का भी ख्याल रखा जाता है।

सिटीजन हेल्प डेस्क हुई लापता

वर्ष 2017 में पुलिस स्टेशन में हेल्प डेस्क बनाया गया था। इसमें सीनियर सिटीजंस के लिए एक रजिस्टर रखे जाने की योजना बनाई गई थी। जिसमें नाम, आवासीय पता, मोबाइल नंबर, घरेलू मदद और आगंतुकों के नाम शामिल किया गया था। जिसके बाद पुलिसकर्मी इन सीनियर सिटीजंस के पास जाते थे या उनसे मोबाइल फोन पर संपर्क कर उनकी शिकायतें जानने की कोशिश करते थे, जिनका प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाता था, लेकिन अब यह थानों से लापता हो गई है।