- 22 अप्रैल को रात 10 बजे सलातुत तौबा पढ़ें और दुआ में शरीक हों

LUCKNOW: वबा से सुरक्षा के जो भी उपाय चिकित्सक बता रहे हैं उन पर हमें सबको बहुत गंभीरता से अमल करना चाहिए और उम्मीद के दामन को हाथ से न जाने दें। पूरे तरीके से हौसले बुलंद रखें। खुदा पाक की रहमत से ना उम्मीद न हों। वह खुदा बहुत करीम है, रहीम है, सत्तर मां से ज्यादा अपने बंदों से मुहब्बत करने वाला है। वह इस बीमारी से हम सब और पूरी दुनिया को जरूरत निजात देगा। ऐसे हालात में बिना किसी मतभेद के एक दूसरे की हर हाल में सहायता करें। हम सब को अपने पड़ोसी की खबर लेते रहना चाहिए। उनकी हर संभव सहायता करें। यह इंसानी हमदर्दी का बुनियादी हक है। अगर हम उस पर अमल करें तो पूरे शहर, पूरे प्रदेश और पूरे देश में कोई भी इंसान ऐसा नहीं रह जायेगा जो एक दूसरे की मदद से महरूम हो। यह बातें इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने बताई।

जान की हिफाजत सबसे मुकद्दस

मौलाना ने कहा कि इस्लाम धर्म ने इंसानी जान की हिफाजत को सबसे मुकद्दम बताया है। एक मुसलमान की हैसियत से हमारा यह पक्का अकीदा है कि कोई बीमारी ऐसी नहीं है, जिसकी दवा हमारे खालिक ने पैदा नहीं की है इसलिए हमको दवा के साथ दुआ भी करना चाहिए। हमको इस्लामी शरीअत और सीरत नबी सल्ल। से यह तालीम मिलती हैं कि सद्का गुनाहों को दूर कर देता है। सद्का खुदा पाक के गजब को ठंडा कर देता है। बीमारी से शिफा पाने के लिए दुआ व इस्तिगफार का एहतिमाम करना चाहिए। रसूल पाक सल्ल। का फरमान है कि सद्के के जरिये अपने मरीजों का इलाज करो। रसूल पाक सल्ल का फरमान है कि दुआ इबादत का मग्ज है इसलिए हमको चाहिए कि अपने हर काम की कामयाबी के लिए खुदा पाक के हुजूर में खूब दुआयें करें।

दुआ एक साथ पढ़ें

मौलाना फरंगी महली ने कहा कि कोविड जैसी बीमारी के जल्द से जल्द खात्मे और तमाम बीमारों की शिफायाबी के साथ मुकम्मल सिहतयाबी के लिए हम तमाम मुसलमानों से अपील करते हैं कि वह 22 अप्रैल दिन जुमेरात दस बजे सब अपने अपने घरों में दो रकआत नफ्ल सलातुत तौबा पढ़ें। इसके बाद सवा दस बजे ऑनलाइन दुआ में शिरकत करें। यह दुआ इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के फेस बुक पेज www.facebook.com/islamiccentreofindia/ से रिले होगी। हमको पूरी उम्मीद है कि खुलूस नियत के साथ नमाज, दुआ इबादतों और सद्का व खैरात का एहतिमाम करने से हम अपने रब को राजी कर लेगें और वह अपने बंदों को इस बीमारी से निजात दे देगा।

फैमिली कोट

पहले की तरह लाइफ नार्मल हो

इसबार की इफ्तारी पहले जैसी नहीं है। पहले की तरह इसबार ज्यादा पकवान भी नहीं हैं, जो कुछ भी है घर पर ही बनाया जा रहा है। घर पर ही रहकर इबादत कर रहे हैं। इसके साथ दुआ भी कर रहे हैं कि यह कोरोना नामक वबा खत्म हो और पहले की ही तरह हम लोगों की लाइफ नार्मल हो।

। मो। हनीफ खान

सुन्नी सवाल.जवाब

सवाल । अगर किसी मरहूम की छूटी हुई नमाजों का फिद्या अदा करना हो तो कितना होगा

जवाब । एक नमाज का फिद्या एक रोजे के बराबर है। एक दिन की पांच फर्ज नमाजें और एक वाजिब यानी वित्र की नमाज का फिद्या दिया जायेगा। फिद्या एक किलो पांच सौ नब्बे ग्राम गेहूं या उसकी कीमत है।

सवाल । अगर कोरोना वायरस के कुछ लक्षण महसूस हो रहे हैं तो रोजे का क्या हुक्म है।

जवाब । अगर कोई शख्स इस हालत में पहुंच जाये कि कोरोना के कुछ लक्षण उस पर जाहिर होने लगे जैसे सूखी खांसी या सांस लेने में कठिनाई तो उसको रोजा नहीं रखना चाहिए बाद में उसकी कजा कर लें।

सवाल । कोविड से मरने वालों को गुस्ल और कफन कैसे दिया जाये।

जवाब । अगर मुमकिन हो तो एहतियात के साथ बाकायदा गुस्ल दें और अगर यह भी मुमकिन न हो तो पाइप वगैरा से पानी बहा दें और अगर यह भी मुमकिन न हो तो तयम्मुम करा दें और आखिरी सूरत यह है कि प्लास्टिक से सील लाश पर ही पानी बहा दें यह काफी है, जहां तक कफन की बात है तो जिस प्लास्टिक से लाश को सील किया गया है वही कफन है।

सवाल । क्या हम घर पर अपने बीवी बच्चों के साथ इस वबा की वजह से जमाअत के साथ तरावीह अदा कर सकते हैं।

जवाब । जी हां! आप अपने बीवी बच्चों के साथ जमाअत बनाकर तरावीह का एहतिमाम जरूर करें।

शिया सवाल जवाब

सवाल । अगर कोई व्यक्ति कोरोना से बचने के लिए रोजे की हालत में स्टीम लेता है तो क्या रोजा बातिल हो जाएगा।

जवाब । रोजा बातिल नहीं होगा।

सवाल । खुम्स और जकात में क्या अंतर है।

जवाब । श्यिा धर्म में खुम्स नकद माल पर निकाला जाता है और जकात में 9 चीजें है जिन पर जकात निकाली जाती है।

सवाल । वज़ू से पहले कुल्ली करना नाक में पानी डालना वज़ू का हिस्सा है और जरूरी है।

जवाब । वज़ू से पहले कुल्ली करना नाक में पानी डालना, हाथ धोना मुस्तहब है। वाजिब नहीं है, अगर किया जाए तो सवाब मिलेगा।

सवाल । अगर किसी व्यक्ति ने रमजान के पूरे महीने की नियत कर ली हो और वह बीमार हो जाए तो क्या हुक्म है।

जवाब । क्योंकि बीमारी अचानक है लिहाजा वह रोजा छोड़ देगा फिदया देगा कफ्फारा वाजिब ना होगा।

सुन्नी हेल्पलाइन

लोग अपने सवालात दोपहर 2 बजे से 4 बजे के दौरान इन नम्बरों 9415023970 9335929670ए 9415102947ए 7007705774ए 9140427677 और

Email: ramzanhelpline.2005@gmail.com

WWW.farangimahal।

पर सवाल पूछ सकते है।

शिया हेल्पलाइन

महिलाओं के लिए हेल्प लाइन नंबर 6386897124 है जबकि शिया हेल्प लाइन के लिए सुबह 10 से 12 बजे तक 9415580936, 9839097407 नंबर पर संपर्क करें।