- केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में नहीं मिल सका बुजुर्ग को इलाज

- अस्पताल प्रशासन ने आरोप को बताया बेबुनियाद

LUCKNOW: केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में मरीज इलाज के लिए अक्सर भटकते रहते हैं और कभी-कभी तो मरीज की जान भी बिना इलाज के चली जाती है। शुक्रवार को भी यहां एक मरीज की जान इलाज न मिलने से हो गई। हालांकि अस्पताल प्रशासन इस आरोप को बेबुनियाद बता रहा है।

रायबरेली के मरीज की मौत

रायबरेली के सलोन ग्राम ख्वाजापुर निवासी 85 वर्षीय प्रभुदयाल को यूरीन की प्रॉब्लम होने पर परिजन उन्हें शुक्रवार को केजीएमयू लेकर आए। परिजनों का आरोप है कि यहां उन्हें इलाज नहीं मिला, जिसके कारण उन्होंने बेटी की बांहों में ही दम तोड़ दिया। थक-हार कर परिजन रोते-बिलखते शव को लेकर वापस गांव के लिए रवाना हो गए।

न स्ट्रेचर मिला और न डॉक्टर

मृतक के बेटे सुरेश कुमार ने बताया कि पिता को रुक-रुक कर पेशाब होने की समस्या थी। गांव में डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने उन्हें केजीएमयू ले जाने को कहा। इस पर वे उन्हें लेकर केजीएमयू आ गए। यहां ट्रॉमा पहुंचे तो काफी देर तक रजिस्ट्रेशन कराने के लिए इधर-उधर भटकते रहे। रजिस्ट्रेशन हो गया तो डॉक्टर को दिखाने के लिए उन्हें काफी भटकना पड़ा लेकिन किसी डॉक्टर ने उन्हें देखा नहीं। इतने बड़े अस्पताल में एक स्ट्रेचर तक पिता को नहीं मिल सका। यहां काउंटर पर कर्मचारी ने कहा कि स्ट्रेचर आधार कार्ड पर नहीं मिलेगा इसके लिए डीएल या पैन कार्ड होना चाहिए। यहां करीब डेढ़ घंटे तक वे पिता को लेकर भटकते रहे और इलाज के अभाव में उनकी जान चली गई।

निजी एंबुलेंस से ले गये घर

वहीं, मरीज की मौत होने के बाद ट्रॉमा के अंदर खड़ी एंबुलेंस ने शव गांव ले जाने से मना कर दिया। ऐसे में परिजनों ने बाहर से एक निजी एंबुलेंस बुक की और शव को अपने साथ लेकर चले गए। शव को एंबुलेंस तक ले जाने के लिए एक गार्ड ने जुगाड़कर स्ट्रेचर परिजनों को दिला दिया।

कोट

हमारे यहां प्राथमिकता के आधार पर गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता है। मरीज की मौत इलाज न मिलने से हुई, यह आरोप बेबुनियाद है।

डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू