लखनऊ (ब्यूरो)। यह तो महज एक उदाहरण है लेकिन हकीकत यही है कि रोजाना हजारों बच्चे ई-रिक्शा पर सवार होकर अपनी जान हथेली में रखकर स्कूल से आ जा रहे हैैं। इस जानलेवा सफर को रोकने और बच्चों को सेफ रखने के लिए न तो कोई सिस्टम है और न ही कोई कार्रवाई होती है। जिसका सीधा फायदा ई-रिक्शा चालक उठाते हैैं और चंद पैसों के लिए स्कूली बच्चों की जान खतरे में डाल देते हैैं। पैरेंट्स की ओर से भी इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। गुजरते वक्त के साथ हालात बेहद भयावह हो रहे हैैं, पढ़ें इस रिपोर्ट में

खुलेआम भरते हैैं बच्चों को

वैसे तो स्कूली परिवहन के साधनों की लिस्ट में ई-रिक्शा शामिल नहीं है, इसके बावजूद रोजाना हजारों स्कूली बच्चे ई-रिक्शा में सवार होकर स्कूल से घर आते जाते हैैं। स्कूल प्रबंधन की ओर से इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। महज 20 से 30 रुपये के लिए ई-रिक्शा चालकों की ओर से स्कूली बच्चों की जिंदगी खतरे में डाली जा रही है।

एक भी मानक नहीं

ई-रिक्शा वालों के लिए कोई मानक निर्धारित नहीं है। 30 हजार के करीब ई-रिक्शा राजधानी की रोड्स पर नियमों को ताक पर रखकर दौड़ रहे हैैं। इन ई-रिक्शा में स्कूली बच्चों के साथ साथ हजारों मुसाफिर सफर करते हैैं और अपनी जिंदगी को दांव पर लगाते हैैं। एक भी ई-रिक्शा में सुरक्षा संबंधी एक भी मानक का पालन नहीं होता है। ज्यादातर ई-रिक्शा चालकों के पास डीएल तक नहीं होता है।

स्कूल बस और वैन ही मान्य

स्कूली बच्चों को लाने और छोडऩे के लिए स्कूल बस और स्कूल वैन ही मान्य हैैं। इसके अतिरिक्त कोई भी अन्य साधन मान्य नहीं हैं। इसके बावजूद ई-रिक्शा, ऑटो और हाथ रिक्शा से स्कूली बच्चों को लाया जा रहा है, जिससे उनकी सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैैं। जिम्मेदारों की ओर से इस दिशा में कोई चेकिंग अभियान भी नहीं चलाया जा रहा है।

इस तरह बच्चे हैैं असुरक्षित

1-कोई हेल्पलाइन नंबर नहीं

2-ई-रिक्शा पूरी तरह से ओपन होते हैैं

3-बच्चों को आगे बिठा लेते हैैं चालक

4-रफ्तार पर लगाम नहीं

5-ई-रिक्शा के पलटने का खतरा ज्यादा

6-बिना ट्रेनिंग ई-रिक्शा दौड़ा रहे चालक

7-अश्लील गाने भी बजाते हैैं ई-रिक्शा चालक

8-निर्धारित संख्या का ध्यान नहीं रखा जाता

9-बच्चों से मनमाना किराया वसूला जाता

10-स्कूल प्रबंधन से कोई सरोकार नहीं

केस वन

16 अगस्त 2022 को हाथरस में सलेमपुर क्रॉसिंग के पास ई-रिक्शा पलटा था, जिसमें पांच साल के एक स्कूली बच्चे की मौत हो गई थी और चार बच्चे घायल हो गए थे।

केस दो

एक मई 2023 को कानपुर के नवाबगंज के डॉल्फिन चौराहे पर कार ने ई-रिक्शा को टक्कर मारी थी। जिसमें 12 साल की बच्ची की जान चली गई थी और चार बच्चे घायल हुए थे।

केस तीन

24 जुलाई 2022 को राजधानी के वजीरगंज की हैदर मिर्जा रोड पर सवारियों से भरा ई-रिक्शा पलट गया था। जिसमें हुसैनी अपार्टमेंट निवासी रियाज, उनकी पत्नी और दो साल के बेटे अब्दुल अहमद घायल हो गए थे। जिसमें अब्दुल की उपचार के दौरान मौत हो गई थी।

केस चार

एक साल पहले शहीद पथ पर डिवाइडर से टकराई कार ने ई-रिक्शा को भी टक्कर मारी, जिसमें ई-रिक्शा सवार नेहा शहीद पथ से सुल्तानपुर रोड पर करीब 45 फिट नीचे गिरी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई, वहीं अन्य चार अन्य लोग घायल हो गए थे।

केस पांच

19 जुलाई 2022 को ठाकुरगंज के कैंपवेल रोड निवासी वसीम की पत्नी अपने दस साल के बेटे तौहीद के साथ ई-रिक्शा से अमीनाबाद जा रही थी। जैसे ही तेज रफ्तार ई-रिक्शा यहियागंज पहुंचा, तभी बाइक सवार को बचाने में ई-रिक्शा डिवाइडर से टकराकर पलट गया। जिसमें तौहीद की मौत हो गई।

पैरेंट्स से बातचीत

जो बच्चे ई-रिक्शा से स्कूल आते जाते हैैं, उन पर रोक लगनी चाहिए। ई-रिक्शा में सफर करना बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है। जिम्मेदारों को एक्शन लेना चाहिए।

-हेमा खत्री

पैरेंट्स की भी जिम्मेदारी है कि वो देखें कि उनके बच्चे किस तरह से स्कूल आते जाते हैैं। ई-रिक्शा में सफर करना कतई भी सेफ नहीं है। इन पर लगाम लगनी चाहिए।

-अमित मिश्रा

राजधानी की रोड्स पर आसानी से देखा जा सकता है कि किस तरह से बच्चे अपनी जान हथेली में रखकर ई-रिक्शा में सफर करते हैैं। स्कूल वाले भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं देते हैैं।

-प्रिया द्विवेदी

ई-रिक्शा से बच्चे आते जाते हैैं, यह नियम विरुद्ध है। ऐसे ई-रिक्शा वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। ई-रिक्शा से सफर करने के दौरान बच्चों की जिंदगी खतरे में रहती है। नियमित रूप से चेकिंग होनी चाहिए।

-ज्ञान तिवारी

ई-रिक्शा से स्कूली बच्चों को ढोना गैर कानूनी है। जो बच्चे ई-रिक्शा से आते जाते हैैं, उनकी जान खतरे में रहती है। इनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

-राकेश सिंह, अध्यक्ष, अभिभावक विचार परिषद