- जालसाजों ने तमाम कंपनियों के वॉलेट साफ करने का निकाला नया तरीका

- एसएमएस में लिंक भेजकर केवाईसी अपडेट करने का दे रहे झांसा

- लिंक पर क्लिक करते ही गायब हो रही रकम, साइबर क्राइम सेल में शिकायतों का तांता

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW : 'आपके पेटीएम ई-वॉलेट की वैलिडिटी खत्म होने वाली है, सेवा जारी रखने के लिये कृपया नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक कर अपना केवाईसी अपडेट करें.' यह उस एसएमएस का तर्जुमा है, जो आजकल लोगों के मोबाइल फोन पर आ रहा है। आम लोग इसे ई-वॉलेट कंपनी का एसएमएस समझ इसमें दिये गए लिंक को क्लिक कर देते हैं, जिसके तुरंत बाद उनके वॉलेट से रकम पार हो जाती है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि यह ई-वॉलेट कंपनी नहीं बल्कि, जालसाजों द्वारा फेका गया जाल है, जिसके जरिए हर रोज ठगी का शिकार हो रहे हैं। साइबर क्राइम सेल में इस तरह की शिकायतों का तांता लगा हुआ है, पुलिस जांच कर रही है लेकिन, जालसाज पकड़ से दूर बने हुए हैं।

लिंक में ही होता है 'खेल'

सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट व एथिकल हैकर सचिन गुप्ता ने बताया कि वॉलेट से रकम उड़ाने वाले जालसाज ऐसा लिंक तैयार करते हैं, जिसके बैकग्राउंड में ऑटोमेटिक स्क्रिप्ट होती है। लिंक पर क्लिक करते ही इसी ऑटोमेटिक स्क्रिप्ट के जरिए पेमेंट को ऑटोमेटिक रन करा देती है और आपके वॉलेट से बिना जानकारी ई-वॉलेट से रकम पार हो जाती है। सचिन आगे बताते हैं कि कुछ साइबर जालसाज लिंक भेजते हैं, जिसे क्लिक करते ही रकम पार नहीं होती बल्कि, उसके जरिए मोबाइल की बैकग्राउंड में मालवेयर इंस्टॉल हो जाता है। यह मालवेयर मोबाइल फोन के पूरे डाटा को जालसाज तक बेरोकटोक पहुंचा देता है। इसके साथ ही मोबाइल का रिमोट एक्सेस जालसाज के हाथ में आ जाता है। जिसकी मदद से वह दूर बैठकर जब चाहे अकाउंट या ई-वॉलेट से रकम पार कर सकता है।

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एप के जरिए भी हो सकते हैं शिकार

नोएडा स्थित सेंटर फॉर साइबर क्राइम इंवेस्टिगेशन के संस्थापक व एंटी टेररिस्ट स्क्वायड में एएसपी डॉ। दिनेश यादव बताते हैं कि एसएमएस के अलावा साइबर क्रिमिनल्स मोबाइल एप के जरिए भी मोबाइल फोन में घुसपैठ कर सकते हैं। आजकल तमाम तरह की एंड्रॉयड एप्स आती हैं, जिनमें मालवेयर होता है। यह मालवेयर आपके मोबाइल का डाटा लगातार निश्चित सर्वर पर भेजता रहता है। कुछ दिन पहले इसी तरह की एप 'कैम स्कैनर' के बारे में खुलासा हुआ था, जो लोगों के मोबाइल फोन का डाटा चाइनीज सर्वर पर भेजती थी। जिसके बाद गूगल प्ले स्टोर ने उसे बैन कर दिया। डॉ। यादव ने बताया कि इसके अलावा लोग मोबाइल फोन बच्चों के हाथों में दे देते हैं, यह बच्चे प्ले स्टोर से तमाम गेम एप्स डाउनलोड कर लेते हैं। इनमें से कई एप में मालवेयर होता है, जो मोबाइल फोन में मौजूद डाटा को दूसरे सर्वर पर भेजता है।

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बरतें सावधानी

- किसी भी अनजान लिंक को क्लिक न करें।

- केवाईसी अपडेट करनी हो तो उस कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर ही करें।

- अननोन एप कभी भी डाउनलोड न करें।

- बच्चों को डायरेक्ट गेम्स एप डाउनलोड करने से रोकें।

- किसी भी अनजान कॉल पर आपकी कोई भी डिटेल पूछे तो उसे किसी से शेयर न करें।