- बाजार बंद होने से हो रही हैं दिक्कतें, सभी कर रहे लॉकडाउन का पालन

LUCKNOW : चांद की तस्दीक होते ही मार्केट में खरीददारी करते लोग। घरों से लेकर मस्जिद और अन्य जगहों पर इफ्तार का आयोजन। लोगों को गले लगाना और साथ में खाना खाना। इन सब चीजों की लोगों को बहुत याद आ रही है। लॉकडाउन के कारण ऐसा हो रहा है। ऐसे में लोगों के मन में रमजान की पुरानी यादें ताजा हो गई हैं

कचौड़ी की जगह पास्ता

पहले इफ्तारी में घर की चीजें यानि कचौड़ी, दही बड़ा, खस्ता आदि होता था अब पास्ता और फल ज्यादा हो गए हैं। पहले हम शरबत या नींबू पानी शामिल करते थे, अब वे रेडी टू मिक्स ड्रिंक हो गया है। इस बार रमजान बेहद ही अलग हैं, बहुत से लोग एक साथ इफ्तार नहीं कर सकते हैं। यह रमजान हमेशा याद रहेंगी।

मौलाना सैफ अब्बास

पुरानी इफ्तारी याद आती है

बाहर सब कुछ बंद है, इसलिए घर पर ही पकवान बन रहे हैं। कुछ दिक्कतें भी हो रही हैं। मैं सबसे ज्यादा मस्जिद में नमाज पढ़ने जाने को मिस कर रहा हूं। इस बार मार्केट जाकर शॉपिंग भी नहीं हो पाई है। पूरानी इफ्तारी याद आ रही है, लेकिन सबकी सुरक्षा के लिए लॉकडाउन भी काफी जरूरी है।

फैसल अली, चौक

रात को घूमना याद आता है

पहले हम काफी लोगों के साथ इफ्तार करते थे लेकिन इस बार सिर्फ परिवार के लोग इसमें रहते हैं। लॉकडाउन की वजह से रात को मार्केट में घूमने, नहारी-कुल्चे खाने जाते थे, यह सब इस बार काफी याद आ रहा है। इस बार तो नमाज पढ़ने भी कोई मस्जिद में नहीं जा पा रहा है। पहले बच्चे रात को घूमने के लिए पूरे दिन इंतजार करते थे।

अरमान खान, मोहारीबाग

याद आ रहा समोसा और कुल्चा

पहले इफ्तारी के दौरान सुहाल, समोसा, पकौड़ी, नहारी-कल्चे, बिरयानी के साथ शाही टुकड़ा शामिल रहता था। लॉकडाउन के कारण सब मिस हो रहा है। पापड़, खजूर, चना आदि से ही इफ्तारी कर रहे हैं। मार्केट में जो मिल रहा है, उसी से काम चला रहे हैं। लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं क्योंकि वह हमारी हिफाजत के लिए है।

अबूजर, चौक