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LUCKNOW: संस्कृत हमारी मातृभाषा ही नहीं हमारे संस्कारों की भी जननी है। यह केवल भाषा ही नहीं हजारों सालों से हमारी मार्गदर्शक भी रही है। यह हमारे लिए अफसोस की बात है कि हमारे आज यह भाषा अपने अस्तिव को लेकर जूझ रही है। यह बात मेयर डॉ। दिनेश शर्मा ने कहीं। वह शुक्रवार को राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के वार्षिक समारोह में बतौर चीफ गेस्ट मौजूद थे। इस अवसर पर संस्थान के कुल क्भ्0 स्टूडेंट्स को सम्मानित किया गया।

संस्कृत पर हमे गर्व करना चाहिए

डॉ। दिनेश शर्मा ने कहा कि आज के इस वैश्विक युग में हम संस्कृत से दूर होते जा रहे है। हमे अपनी मातृ भाषा पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अपने सामने आने वाले सभी चुनौतियों का पूरे आत्मविश्वास के साथ सामना करना चाहिए। इस मौके पर जबलपुर से आए प्रो। रहस बिहारी द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत से ही हमारी संस्कृति का अस्ति्व है। अगर यही खत्म हो गई तो हमारी संस्कृति खुद ब खुद खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यहां के स्टूडेंट्स का संस्कृत भाषा में प्रदर्शन देखकर खुशी हुई है। इन्हें देखकर लगता है कि अभी संस्कृत का भविष्य खतरे में नहीं है। इस अवसर पर प्रो। ओम प्रकाश पांडेय, प्रो। पवन दीक्षित, प्रो। किशोर झा, प्रो। सुरेंद्र पाठक, डॉ.एनआर कृष्णन, प्रो। अवधेश कुमार चौबे मौजूद थे।