लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश में इस साल का सबसे बड़ा बिजली संकट सामने आया है। वर्तमान समय में करीब 3500 मेगावाट की कटौती की जा रही है, जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है। बिजली संकट की प्रमुख वजह असम में आई बाढ़ एवं कई उत्पादन इकाईयों का बंद होना है। उपभोक्ता परिषद की ओर से तत्काल बिजली की उपलब्धता पर फोकस किए जाने संबंधी मांग उठाई गई है।

इस साल का सबसे बड़ा संकट
उत्तर प्रदेश में अक्टूबर के महीने में इस साल का सबसे बड़ा बिजली संकट सामने आ रहा है। यूपीएसएलडीसी की दैनिक प्रणाली रिपोर्ट पर नजर डालें तो ग्रामीण एरिया को जो रोस्टर के मुताबिक 18 घंटे बिजली मिलनी चाहिए, उसमें केवल 13 घंटा 11 मिनट बिजली मिली है यानी लगभग 5 घंटा बिजली कटौती रही है। इसी प्रकार नगर पंचायत को जो 21 घंटा 30 मिनट बिजली मिलनी चाहिए वो केवल 18 घंटे 6 मिनट मिली है। तहसील को जो 21 घंटे 30 मिनट बिजली मिलनी चाहिए वो भी केवल 18 घंटे 26 मिनट मिली है यानी कि लगभग तीन घंटे बिजली की कटौती हुई है। प्रदेश में जो बिजली सितंबर माह तक लगभग 2500 से 3000 मेगावाट मिल रही थी वो अब बंद हो गई है, क्योंकि वह सितंबर तक ही मिलनी थी। वहीं, सिक्किम से भी 250 मेगावाट बिजली बाढ़ के चलते नहीं मिल पा रही है।

पीक डिमांड 23500 मेगावाट
वर्तमान में लगभग बिजली की पीक डिमांड 23500 मेगावाट जा रही है और उत्तर प्रदेश में बिजली की उपलब्धता 20000 से 20500 मेगावाट के बीच है। ऐसे में लगभग तीन हजार से 3500 मेगावाट की बिजली कटौती हो रही है। एनुअल मेंटीनेंस और खराबी के कारण निजी घरानों की कई उत्पादन इकाइयां बंद हैैं। उनकी कुल संख्या लगभग 11 है और 3054 मेगावाट बिजली का उत्पादन ठप है। बारा की 660 मेगावाट, रिहंद की 500 मेगावाट, टांडा की 660 मेगावाट और रोजा की 300 मेगावाट उत्पादन इकाई के बंद होने का प्रभाव काफी ज्यादा पड़ा है। वहीं, ऊंचाहार की 500 मेगावाट और हरदुआगंज की 105 मेगावाट की बंदी के कारण भी प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में पावर कारपोरेशन को युद्ध स्तर पर बिजली की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए।

मेंटीनेंस का काम तत्काल रोका जाए
उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन से मांग की है कि वर्तमान में बड़े पैमाने पर बिजली की उपलब्धता न होने के कारण बिजली कटौती हो रही है, इसलिए अक्टूबर माह में जो मेंटीनेंस का कार्य शुरू किया गया है, उसे तत्काल रोका जाए। उत्तर प्रदेश राज विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि जहां उत्तर प्रदेश की राज्य सेक्टर की उत्पादन निगम की बिजली इकाइयां लगभग 4225 मेगावाट का उत्पादन कर रही हैं, जो काफी अच्छी स्थिति में है, लेकिन अन्य इकाइयों की बंदी के कारण एकाएक बिजली संकट उत्पन्न हो गया है। वहीं, आने वाले समय में बिजली की मांग और बढ़ेगी। ऐसे में पावर कारपोरेशन को उसे दिशा में भी ध्यान देना होगा। जहां एनुअल मेंटीनेंस में मशीन लंबे समय तक के लिए बंद की गई है, उन्हें जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश करनी होगी और दूसरा पावर एक्सचेंज पर इस समय बिजली महंगी जरूर है, लेकिन इस पर भी नजर रखनी चाहिए। जितनी भी बिजली की उपलब्धता हो उसके हिसाब से अपना कार्य योजना बनानी चाहिए। जिससे बिजली की डिमांड के अनुसार सप्लाई की जा सके और प्रदेश के उपभोक्ताओं को बिजली संकट का सामना न करना पड़े।

बिजली चोरी रोकने का प्रयास
बिजली चोरी रोककर लाइन लॉस को कम करने के लिए शक्ति भवन में समीक्षा बैठक हुई। जिसमें पावर कारपोरेशन अध्यक्ष डॉ। आशीष कुमार गोयल ने कहा कि लाइन लॉस कम करना बेहद जरूरी है, इसके लिए बिजली चोरी रोका जाना जरूरी है। पूरे प्रदेश में हाई रेवेन्यू लॉस के 400 फीडर चिन्हित किए गए हैैं। जिनको ठीक करने के लिए लगातार प्रयास जारी हैैं। उन्होंने कहा कि जिस फीडर पर ज्यादा लाइन लॉस है, वहां विजिलेंस एवं बिजली विभाग की टीमें संयुक्त प्रयास करके लाइन लॉस कम करें। ऐसे में एरिया में चेक मीटर लगाए जाएं, जिससे मीटर की गड़बड़ियों को पकड़ा जा सके।