लखनऊ (ब्यूरो)। कई सालों से अवैध कब्जे और ट्रैफिक जाम का दर्द झेल रहे राजधानी के चारबाग और कैसरबाग जैसे बिजी इलाकों को इस 'बीमारीÓ से मुक्ति मिलती नहीं दिख रही है, क्योंकि जिनपर अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी है वे ही अवैध कब्जा करा रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में सामने आईं तस्वीरें इसकी तस्दीक कर रही हैं। यहां पुलिस चौकी के बगल में ही अवैध कब्जा कर दुकानें चल रही हैं। अतिक्रमण व अवैध कब्जे के चलते चारबाग का ट्रैफिक जाम लोगों के सब्र का सालों से इम्तिहान ले रहा है। इसे खत्म करने के लिए डीएम, एसएसपी व पुलिस कमिश्नर तक रोड पर उतर चुके हैं। बीते 10 सालों में 170 बार अतिक्रमण के खिलाफ अभियान भी चलाया जा चुका है, लेकिन हालात जस के तस हैं।

सात सदस्यीय टीम भी बनाई गई

कुछ वक्त पहले चारबाग के जाम व अतिक्रमण को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट ने भी अफसरों को फटकार लगाई थी। जिसके बाद तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश ने सात सदस्यीय टीम बनाई थी, जिन्हें रोजाना चिन्हित स्थल रवींद्रालय, लोको चौकी, चारबाग मेट्रो स्टेशन, फुट ओवरब्रिज के नीचे, नत्था तिराहा, रोडवेज बस स्टेशन, दुर्गापुरी मेट्रो स्टेशन, चारबाग छोटी लाइन रेलवे स्टेशन कट के आसपास रोड पर दुकानें न लगने देेने के निर्देश दिए गए थे और दुकानें वेंडिंग जोन में ही लगवाने की बात कही गई थी।

जिन्हें करनी थी निगरानी, उन्होंने फेर ली नजर

चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर रोड पर आड़े-तिरछे आटो-टेंपो, ई-रिक्शा, रोडवेज बसें न खड़ी हों, किस भी हाल में चारबाग जाम से मुक्त हो, यही टीम बनाने का उद्देश्य था। इसके अलावा, छह सदस्यीय एक निगरानी समिति भी गठित की गई थी। इस कमेटी को उन आदेशों का पालन कराने केसाथ ही मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी थी।

ये थे 7 सदस्यीय टीम के मेंबर्स

-रीजनल ऑफिस नगर निगम

-रीजनल अस्टिेंट डायरेक्टर रोडवेज

-ट्रैफिक इंस्पेक्टर

-स्थानीय थाना प्रभारी

-रीजनल इंस्पेक्टर परिवहन

-एक्सईएन पीडब्ल्यूडी

-थाना प्रभारी जीआरपी रेलवे चारबाग

इन 6 मेंबर्स को करनी थी निगरानी

-अपर नगर मजिस्ट्रेट

-अपर नगर आयुक्त नगर निगम

-एसीपी

-एडीसी ट्रैफिक

-सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम

-एआरटीओ प्रवर्तन, परिवहन विभाग

केस एक

चौकी के बगल में चल रहीं अवैध दुकानें

रोड पर अतिक्रमण की बात पुरानी है, अब नई तस्वीर है पुलिस चौकी पर ही अतिक्रमण। नाका हिंडोला थाना की पुलिस चौकी चारबाग के बगल में फुटओवर ब्रिज जाने वाले रास्ते पर है। चौकी से सटी हुई चाय-पानी की दुकान वहां धड़ल्ले से चल रही है। चौकी पर अफसर भी आते हैं, जिनपर निगरानी की जिम्मेदारी थी और कर्मचारी भी रहते हैं, जिन्हें अतिक्रमण हटाना था।

केस दो

चौकी के बाहर पान मसाला शॉप

दूसरी तस्वीर है वजीरगंज थाने की बस स्टेशन पुलिस चौकी की। जहां पुलिस चौकी पर ही पान मसाला शॉप खुल गई है। यहां चौकी पर ही खड़े होकर लोग धड़ल्ले से कोटपा अधिनियम का उल्लंघन करते हैं। यहां आपको पब्लिक प्लेस में सिगरेट का धुआं उड़ाते और पान मसाला थूंकते लोग नजर आ जाएंगे।

10 साल में 170 बार चला अभियान

चारबाग के साथ-साथ शहर को साफ रखने के लिए पिछले 10 साल में नगर निगम की तरफ से 170 बार अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया जा चुका है। हालांकि, कुछ दिन बाद स्थिति पहले जैसी हो जाती है। इसकी वजह यह है कि एक तरफ अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलता है। दूसरी तरफ इसकी आड़ में कर्मचारी अपनी जेब भी गर्म करते हैं। यही वजह है कि अभियान चलाने के बाद इसकी कोई मॉनीटरिंग नहीं की जाती। साथ ही दोबारा अतिक्रमण होने पर जिम्मेदार अधिकारी पर कोई कार्रवाई होती है। हर रोड पर दुकान लगाने के रेट भी फिक्स हैं।

कर्मचारी निभाते है 'डबल ड्यूटी' की जिम्मेदारी

चारबाग में रोड पर अवैध तरीके से लोग दुकानें, गुमटी या ढाबा खोलकर बैठे हैं। कई जगहों पर रोज की, तो कहीं महीने के हिसाब से रकम वसूली जा रही है। इतना ही नहीं, किस दिन अतिक्रमण अभियान चलाया जाएगा, किस दिन उस इलाके में नगर निगम का अमला पहुंचने वाला होता है, इसकी खबर कर्मचारी पहले ही दुकानदारों तक पहुंचा देते हैं। ऐसे में, दुकानदार दुकानों से अपना सामान समेट लेते हैं और उनके जाने के बाद दोबारा रोड पर दुकानें सज जाती हैं।

एरिया वाइज फिक्स होता है रेट

सिटी की अलग-अलग जगह पर अतिक्रमण करने का रेट अलग होता है। रेट यह देखकर तय होता है कि कहां पर दुकानदार की कैसी बिक्री है। ज्यादा बिक्री वाली जगह पर रेट ज्यादा होता है। रोड पर दुकान अवैध तरीक से चलाने के लिए रोजाना 100 से 300 रुपए देना होगा। वहीं, यदि चारबाग रेलवे स्टेशन के आसपास अवैध तरीके से दुकान चला रहे हैं तो रेट बढ़कर 200 से 400 रुपए हो जाता है।