लखनऊ (ब्यूरो)। इस घटना को बस स्टैैंड कर्मचारी 24 घंटे तक अधिकारियों से भी छिपाए रहे। इंजीनियर के बेटे ने रोडवेज बस चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जिसके बाद अधिकारियों ने बस टर्मिनल के सीनियर क्लर्क को सस्पेंड कर दिया।

कन्नौज जाने के लिए गए थे बस स्टैैंड

गाजियाबाद के सिथानी स्थित गुलमोहर एंक्लेव निवासी अरविंद कुमार एनएचएआई में इंजीनियर के पद पर तैनात थे और वर्तमान में उनकी तैनाती कानपुर रीजन में थी। उनके बेटे श्रेय शौर्य ने बताया कि मूलरूप से अरविंद (55) पटना के रहने वाले थे और 23 मार्च को ट्रेन से हरिद्वार से लखनऊ चारबाग पहुंचे थे। वहां से उन्हें बस से कन्नौज जाना था, जिसके लिए वह आलमबाग बस टर्मिनल गए थे।

बिना हार्न दिए दौड़ाई बस

गुरुवार सुबह 8.30 बजे वह बस टर्मिनल पर कन्नौज की बस का इंतजार कर रहे थे। बुलंदशहर डिपो की बस संख्या यूपी 14 एफटी 8060 का संविदा चालक सतेंद्र सिंह तेज रफ्तार में बिना हार्न बजाए बस टर्मिनल में दौड़ा रहा था। इंट्री गेट पर खड़े अरविंद को बस ड्राइवर ने रौंद दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। सूत्रों के मुताबिक, पूरी घटना टर्मिनल में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हो गई।

दो घंटे तक तड़पता रहा

हद तो तब हो गई जब ड्राइवर सतेंद्र, अरविंद को कुचल कर मौके से भाग निकला और घायल अवस्था में अरविंद दो घंटे तक वहीं तड़पता रहा। उसे बस स्टैैंड कर्मचारियों की तरफ से कोई मेडिकल मदद भी नहीं दी गई। स्थानीय लोगों की मदद से आलमबाग पुलिस ने उसे इलाज के लिए लोकबंधु में भर्ती कराया गया और परिजनों को घटना की सूचना दी गई। इलाज के दौरान शुक्रवार को अरविंद की मौत हो गई।

अफसरों से भी छिपाई घटना

आलमबाग टर्मिनल में हुए हादसे की सूचना अफसरों से छिपाई गई। अरविंद की मौत के बाद अफसरों ने आलमबाग टर्मिनल के सीनियर क्लर्क गोपीनाथ को सस्पेंड कर दिया। वहीं, अरविंद के बेटे श्रेय शौर्य ने बुलंदशहर बस डिपो के ड्राइवर के खिलाफ आमबाग थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।

लापरवाही के चलते पहले भी हुए हादसे

आलमबाग टर्मिनल में बस ड्राइवरों की अराजकता के चलते आए दिन हादसे होते हैं। बस की स्पीड व लापरवाही के चलते हर वक्त टर्मिनल में मौजूद पैसेंजर्स की जान पर खतरा बना रहता है। वे बिना हार्न दिए गाड़ी टर्मिनल के अंदर तेज स्पीड में लेकर जाते हैं। इसके अलावा अरविंद की मौत और हादसे की लापरवाही पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि हादसे के बाद न अफसरों को रिपोर्ट भेजी गई और न टर्मिनल में घायल को मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई गई।