- निर्धारित समय पर स्थाई संबद्धता न लेने पर तीन कॉलेजों पर जुर्माना

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LUCKNOW:

एक तरफ सरकार 50 की उम्र पार कर रहे कर्मचारियों की स्क्रीनिंग को लेकर गंभीर है, वहीं सोमवार को बायोकेमिस्ट्री विभाग के पूर्व एचओडी व यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो। यूएन द्विवेदी को लखनऊ यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद ने सत्रांत लाभ दे दिया। जबकि सत्र लाभ दिए जाने को लेकर यूनिवर्सिटी की तरफ से शासन को भेजे गए प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया गया। हालांकि यह सत्र का लाभ कंडीशनल मिलेगा और शासन के निर्देश न आने पर रिकवरी की जाएगी। वहीं कार्यपरिषद में तीन कॉलेजों पर लगे अर्थदण्ड को बरकरार रखा गया है।

प्रो। शुकांत का मामला लीगल सेल को

एलयू के वीसी प्रो आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में आयोजित कार्यपरिषद शिक्षकों के नाम रही। बैठक के दौरान समाजशास्त्र विभाग के शिक्षक डॉ। एसके चौधरी के मामले में कमेटी की रिपोर्ट पर कानूनी सलाह लेने को कहा गया। जूलॉजी डिपार्टमेंट में डॉ। एसपी त्रिवेदी को अहर्ता की डेट से सीनियरिटी का लाभ देने पर कार्यपरिषद ने अपनी सहमति दे दी। जूलॉजी के ही डॉ। सुधीर पवार के मामले में कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में परीक्षण कर अहर्ता डेट से लाभ देने पर सहमति दी गई। वही हाईकोर्ट के निर्देश के अनुपालन में कहा गया कि विभाग में वरिष्ठता को लेकर कोई क्लेम करता है तो ग्रीवांश कमेटी बनाकर प्रकरण के निस्तारण किये जाए।

ये निर्णय भी लिए गए

15 अक्टूबर को मैथ डिपार्टमेंट के शिक्षक डॉ। प्रवीण नागर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। जबकि शिक्षाशास्त्र विभाग के शिक्षक डॉ। एके शुक्ला के असाधारण अवकाश को अनुमोदित करने के साथ ही उन्हें ज्वाइन कराने के निर्देश दिए गए। शोभित शुक्ला के पीएचडी वायबा के मसले पर परिषद ने एक्ट के परीक्षण के आधार पर वायबा होगा या नही, तय करने के निर्देश के साथ ही परिसर स्थित डिस्पेंसरी के डॉ। बीबी मिश्रा को नए डॉक्टर के नियुक्ति तक 70000 मानदेय पर रखने का फैसला सुनाया। इसके अलावा बैठक में कार्यपरिषद ने फिक्स टेंपरेरी कर्मचारियों को पूर्व की भांति 11 माह तक रखने का आदेश देते हुए कहा कि आगे से समय पर इनकी सैलरी दी जाए।

कॉलेजों पर अर्थदंड बरकरार

निर्धारित समय मे स्थाई संबद्धता न ले पाने के आरोप से घिरे मुमताज डिग्री कॉलेज, नगर निगम डिग्री कॉलेज और सरदार भगत सिंह पर यूनिवर्सिटी की तरफ से लगाये गए एक लाख रुपये के अर्थदंड को कार्यपरिषद ने बरकरार रखा है।

मानवता के मसले पर हुई बहस

बैठक के बारे में सूत्रों का कहना है कि जब प्रोफेसर यूएन द्विवेदी के मामले में सत्र लाभ पर चर्चा हुई। उस दौरान यह कहा गया कि डॉक्टर द्विवेदी को सरस्वती सम्मान मिल चुका है इसलिए मानवता के आधार पर उन्हें सत्रांत लाभ दिया जाना चाहिए। जिस पर डॉक्टर कविराज ने कहा कि एक तरफ तो मानवता की बात हो रही है, मानवता के आधार पर सत्र लाभ देने की बात हो रही है। वही मानवता के मसले पर डॉक्टर सुधीर पवार का लिफाफा नहीं खोला जा रहा है। इसके बाद डॉक्टर सुधीर पवार का लिफाफा खोला गया।

बनाई गई गाइडलाइन

यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दिव्यांग स्टूडेंट्स और कर्मचारियों के लिए एक पॉलिसी तैयार की है। जिसके तहत यूनिवर्सिटी कैम्पस में दिव्यांग लोगों को कहीं भी आने जाने और डिपार्टमेंट में प्रवेश करने के लिए रैंप और लिफ्ट जैसी सुविधाओं को तैयार करना शामिल है। इसके अलावा अगर यूनिवर्सिटी में कोई दिव्यांग स्टूडेंट्स एडमिशन लेता है तो उसके लिए पढ़ाई की पूरी व्यवस्था करने के साथ ही उनके प्रवेश के लिए किस तरह तैयारी की जाए, इसकी नए सिरे से तैयारी की जाएगी।