लखनऊ (ब्यूरो)। दिनकर श्रीवास्तव ने अपनी किताब फॉरगॉटेन कश्मीर द अदर साइड ऑफ द लाइन ऑफ कंट्रोल पर बात की। उनके बताया कि किताब इस बारे में है कि कैसे कश्मीर की आजादी की बात करके, अपने हिस्से के कश्मीर को पाकिस्तान ने खुद ही भुला दिया और वहां के लोगों को धोखा दिया।

दादाजी ने महिला कॉलेज की रखी थी नींव

दिनकर प्रकाश श्रीवास्तव ने विद्यार्थी जीवन की याद करते हुए कहा कि मैं कुछ भी भूला नहीं हू। आज भी लखनऊ यूनिवर्सिटी वैसी ही है, जैसे मेरे समय में थी। सत्र 1975.76 में लखनऊ यूनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र विभाग में एमए का छात्र था। उन्होंने बताया कि उनके दादाजी, विशम्भर नाथ श्रीवास्तव 40 के दशक में देश विभाजन से पहले लखनऊ यूनिवर्सिटी के लॉ विभाग के डीन थे और वह पाकिस्तान बनने से पहले लखनऊ के मेयर भी रहे और यहां महिला डिग्री कॉलेज की नींव रखी। वह 21 साल तक इस कॉलेज के संस्थापक अध्यक्ष रहे। बाद में उनके पिता दयानन्द श्रीवास्तव भी कॉलेज की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रहे।

रूहानी के सुर लोगों के रूह में उतरे

लखनऊ यूनिवर्सिटी की छात्राओं द्वारा बनाया गया बैंड रूहानी ने मंच पर पहली बार प्रस्तुती दी। बैंड के गीत श्मस्त मलंग, ओ रे पिया और ये रातें ये मौसम नदी का किनारा, जैसे कई गानों पर युवाओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। तबले पर कृतिका, ड्रम पर अंशिका, सिंथेसाइजर पर वैभवी, गिटार पर इशिका खन्ना व आकांक्षा सिंह, मैंडोलिन पर इशिका नारायण, हारमोनियम पर सीमांती थी।