लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई में जल्द ही ब्रेन ट्यूमर की समस्या से जूझ रहे मरीजों को एडवांस्ड और सटीक इलाज मिल सकेगा। दरअसल, यहां पर जल्द ही गामा नाइफ मशीन लगने वाली है। जिससे ब्रेन के छोटे से छोटे ट्यूमर का भी आसानी से इलाज हो सकेगा। ऐसे में मरीजों को दिल्ली या चंडीगढ़ का रुख नहीं करना पड़ेगा। अधिकारियों के मुताबिक, पीपीपी मॉडल पर इसे संस्थान में लगाने का प्रपोजल तैयार किया गया है। मंजूरी मिलते ही आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

नहीं करना पड़ेगा रेफर
पीजीआई में रोजाना 4 हजार से अधिक मरीज आते हैं। इसमें न्यूरो सर्जरी की ओपीडी में करीब 200 से अधिक मरीज आते हैं, जिसमें कई मरीज ट्यूमर के होते हैं। गामा मशीन न होने के कारण ऐसे मरीजों को दिल्ली या चंडीगढ़ रेफर करना पड़ता है। पर पीजीआई प्रशासन अब इसे संस्थान में लगाने की तैयारी कर रहा है, ताकि मरीजों को दूसरे संस्थान में रेफर न करना पड़ा। बता दें कि इससे पहले गामा नाइफ को लोहिया संस्थान में लगाने की तैयारी चल रही थी। पर अधिक बजट के कारण मशीन लगाने की अनुमति नहीं मिल पाई। बीते चार वर्षों से संस्थान प्रशासन इस ओर लगा हुआ है। यह मशीन प्रदेश में किसी भी सरकारी संस्थान में नहीं है।

छोटे ट्यूमर का भी सफल इलाज
गामा नाइफ मशीन बिना कोई चीरा लगाये ब्रेन में ऐसे छोटे ट्यूमर पर सटीक वार कर सकती है, जहां पर न्यूरो सर्जन द्वारा ऑपरेशन करना संभव नहीं है। इसमें गामा किरणों की डोज दी जाती है। जिससे रक्तवाहिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचता। यह इलाज रेडिएशन अंकोलॉजी व न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉक्टर मिलकर करते हैं। इसमें मरीज की फ्रेमिंग व इमेजिंग कर रेडिएशन दिया जाता है, जिससे ट्यूमर पर सटीक वार किया जा सकता है।

पीपीपी मॉडल पर लगेगी मशीन
पीजीआई निदेशक प्रो। आरके धीमन ने बताया कि गामा नाइफ मशीन करोड़ों रुपये की आती है। मशीन को पीपीपी मॉडल के तहत लगाने की तैयारी चल रही है, ताकि संस्थान और मरीजों पर ज्यादा बोझ न पड़े। यह मशीन न्यूरो सर्जरी विभाग में लगेगी। मशीन को लगाने के लिए जरूरी जगह संस्थान में उपलब्ध है। इसके लिए जरूरी ट्रेनिंग आदि की भी व्यवस्था की जाएगी, ताकि मरीजों को अधिक से अधिक फायदा मिल सके।

पीपीपी मॉडल पर गामा नाइफ मशीन लगाने की तैयार चल रही है। इसके लिए जरूरी जगह भी उपलब्ध है। उम्मीद है कि जल्द ही मशीन संस्थान में लग जाएगी।
-प्रो। आरके धीमन, निदेशक, पीजीआई