- राजभवन के निर्देश पर वर्ष 2017 में गठित हुई थी अनुशासनात्मक समिति

- एलयू में आज होगा दो प्रोफेसर्स के भविष्य का निर्णय

- दोनों ही प्रोफेसर्स द्वारा नियुक्ति के लिए लगाए गए थे फर्जी मार्कशीट्स

- राज्यपाल के निर्देश पर कार्य परिषद की ओर से गठित कमेटी ने तैयार किए आरोप पत्र

LUCKNOW : फर्जी मार्कशीट के सहारे एलयू में नौकरी कर रहे फर्जी शिक्षकों का जिन्न एक बार फिर बुधवार को बाहर आने वाला है। राजभवन के निर्देश पर गठित अनुशासनात्मक समिति की बुधवार को पहली बैठक बुलाई गई है, जिसमें यूनिवर्सिटी के दो शिक्षकों पर कमेटी को निर्णय लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन को जानकारी देनी है। कमेटी की रिपोर्ट पर यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से मामले को कार्य परिषद में ले जाकर निर्णय करना है।

जहां कोर्स ही नहीं वहां की डिग्री लगाई

यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग में रीडर के पद पर तैनात रिटायर प्रो। आरसी त्रिपाठी और समाजशास्त्र विभाग के शिक्षक डॉ। सुकांत चौधरी व वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रो। डीआर साहू के खिलाफ यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग के शिक्षक प्रो। विनोद सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी कि इनकी नियुक्तियां फर्जी अंक पत्र और नियमों को दरकिनार कर की गई है। डॉ। सिंह के प्रत्यावेदन पर यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद ने जांच कराते हुए पत्रकारिता विभाग के शिक्षक डॉ। आरसी त्रिपाठी को दोबारा से उनके मूल विभाग हिंदी में भेज दिया था। डॉ। त्रिपाठी पर आरोप थे कि उन्होंने अपनी एमएमएस की जो डिग्री लगाई है, वह फर्जी है और जिस यूनिवर्सिटी से डिग्री जारी की गयी है, वहां पर उक्त वर्ष में एमएमसी कोर्स था ही नहीं। मामले की जांच में पोल खुलने के बाद कार्य परिषद ने बगैर किसी कार्रवाई के उनके मूल विभाग भेज दिया था।

डॉ। सुकांत चौधरी की अर्हता को लेकर सवाल

समाजशास्त्र विभाग के शिक्षक डॉ। सुकांत चौधरी पर आरोप है कि वर्ष 2001 में जिस विज्ञापन के आधार पर उनकी नियुक्ति की गयी है, उसके अनुसार उनकी अहर्ता नहीं थी। उनके समाजशास्त्र में महज 51 फीसदी ही अंक हैं। वहीं समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ। डीआर साहू पर आरोप हैं कि उन्होंने संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर नियमों को दरकिनार कर प्रमोशन हासिल किया है। उक्त आरोपों के क्रम में कार्य परिषद के फैसले के खिलाफ डॉ। विनोद सिंह ने राजभवन में शिकायत की थी। शिकायत के आधार पर राजभवन ने वर्ष 2017 में यूनिवर्सिटी प्रशासन को आदेश जारी कर कार्य परिषद के माध्यम से प्रकरण के निस्तारण का निर्देश दिया था, जिस पर यूनिवर्सिटी के वीसी की अध्यक्षता में एक अनुशासनात्मक कमेटी का गठन किया गया था।