लखनऊ (ब्यूरो)। अलाया अपार्टमेंट हादसे में सपा प्रवक्ता अब्बास हैदर की मां बेगम अमीर हैदर और पत्नी उज्मा हैदर की मौत हो गई। उनकी मौत की खबर सुनते ही पूरे परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। हर किसी की आंख से आंसू निकलने लगे। लेकिन उसी दौरान जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाने लगा, तो परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। परिजन शव को मॉर्चुरी से बाहर रखने और पीएम न कराने को लेकर हंगामा करने लगे। हालांकि, पुलिस द्वारा उनको काफी समझाया गया पर इसके बावजूद वे नहीं माने। करीब डेढ़ घंटे तक अफरातफरी का माहौल बना रहा और आखिर में बिना पीएम कराये ही परिजन शवों को दफनाने के लिए ले गये।

परिजनों में मच गया कोहराम

सुबह करीब 10:30 बजे हादसे वाली जगह से जीशान हैदर की मां बेगम अमीर हैदर को एंबुलेंस सिविल अस्पताल लेकर पहुंची। उनको तुरंत इमरजेंसी में ले जाया गया। करीब 10:50 बजे डॉक्टरों ने उन्हे ब्रॉट डेड घोषित कर दिया, जिसके बाद वहां कोहराम मच गया। बेटों और बहू समेत अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।

परिजन करने लगे हंगामा

उसके बाद उनके शव को मॉर्चुरी में ले जाया गया। पर जैसे ही यह पता चला कि उनके बेटों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। अधिकारियों ने बिना पीएम शव देने से मना कर दिया, जिससे उनकी परिजनों से तीखी नोकझोंक हो गई और वे जबरदस्ती वहां से निकालकर वापस इमरजेंसी ले आये। पुलिस वालों ने उनको समझाया, लेकिन उन्होंने एक भी नहीं सुनी गई। इस दौरान अस्पताल में कोहराम मचा रहा।

पत्नी की भी हुई मौत

इसी दौरान दोपहर करीब 12:20 पर अब्बास हैदर की वाइफ उज्मा हैदर को लेकर एंबुलेंस पहुंची। उनको तत्काल इमरजेंसी ले जाया गया। जांच के दौरान उनके कोई वाइटल नहीं मिल रहे थे। डॉक्टर ने कई बार सीपीआर दिया, लेकिन कोई हलचल नहीं हुई। जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें भी ब्रॉट डेड घोषित कर दिया। डॉक्टरों के मुताबिक, उनकी मौत सुबह करीब 5-6 बजे के आसपास हुई होगी। मौत की खबर सुनते ही उनके पति अब्बास वहीं फफक-फफक कर रोने लगे। मां की मौत की खबर के बाद उनकी पत्नी की मौत ने उनको अंदर से तोड़ दिया। इस दौरान परिजन एक बार फिर पीएम न कराने का दबाव बनाने लगे। पुलिस के आला अधिकारियों ने उन्हें काफी समझाया, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ। हंगामा करने के बाद परिजन दोनों शवों को करीब 1:30 के आसपास साथ ले गये।

पति ने प्रशासन पर लगाया आरोप

अब्बास हैदर ने आरोप लगाया कि रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद धीमी गति से चलाया गया। रेस्क्यू के नाम पर तमाशा किया जा रहा था। लोग वहां फोटो और विडियो बनाने में लगे हुए थे। करीब 15 घंटे के बाद मेरी पत्नी को बाहर निकाला गया। देरी की वजह से दम घुटकर मेरे लोग मरे हैं। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि उनके परिजनों की हत्या हुई है। पहले अवैध बिल्डिंग बनवाते हैं और उसके बाद लोग मरते हैं। इस मामले में जो लोग जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।